अनर्जक आस्तियों का समझौता/बातचीत से तय/एक बारगी निपटान - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनर्जक आस्तियों का समझौता/बातचीत से तय/एक बारगी निपटान
आरबीआइ/2009-10/500 21 जून 2010 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक महोदय अनर्जक आस्तियों का समझौता/बातचीत से तय/एक बारगी निपटान बैंकों द्वारा किये गये समझौता निपटान के तरीके के संबंध में हाल में विभिन्न क्षेत्रों में तथा ऋण वसूली न्यायाधिकारणों द्वारा गहरी चिंता प्रकट की गयी है। एक ऋण वसूली न्यायाधिकरण ने यह भी टिप्पणी की है कि बैंकों ने अलग-अलग उधारकर्ताओं के संबंध में अलग-अलग मानदंड अपनाये हैं और वे भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पर्याप्त प्रतिभूति की उपलब्धता के बावजूद दावा की गयी राशि से कम राशि के लिए सहमत हो गये हैं। 2. इस संबंध में हम आपका ध्यान 28 जुलाई 1995 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 81/21.01.040/95 के साथ पठित 4 जनवरी 2007 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी.सं. 50/21.04.018/2006-07, 4 अक्तूबर 2007 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 34/21.04.048/ 2007-08 तथा समय-समय पर जारी अन्य संबद्ध परिपत्रों की ओर आकृष्ट करते हैं तथा आपको सूचित करते हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौता निपटान उचित और पारदर्शी तरीके से किये जाते हैं और इस मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का पूरा पालन किया जाता है पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए। 3. यह भी निर्णय लिया गया है कि अब से समझौता/एक बारगी निपटान की मंजूरी देने वाले अधिकारी/ प्राधिकारी को एक प्रमाण पत्र संलग्न करना चाहिए कि समझौता निपटान भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं। भवदीय (बी.महापात्र) |