कर्ज का शेयर में परिवर्तन, प्रतिभूति प्रवर्तन कार्यों पर सहमति स्तर तथा अन्य एससी/आरसी से कर्ज अधिगृहित करने की अनुमति - आरबीआई - Reserve Bank of India
कर्ज का शेयर में परिवर्तन, प्रतिभूति प्रवर्तन कार्यों पर सहमति स्तर तथा अन्य एससी/आरसी से कर्ज अधिगृहित करने की अनुमति
भारिबैं/2013-2014/460 23 जनवरी 2014 अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदय, कर्ज का शेयर में परिवर्तन, प्रतिभूति प्रवर्तन कार्यों पर सहमति स्तर तथा अन्य एससी/आरसी से कर्ज अधिगृहित करने की अनुमति कृपया 23 अप्रैल 2003 का “ प्रतिभूतिकरण कंपनी तथा पुनर्रचना कंपनी (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश तथा निदेश, 2003” (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) तथा 22 अप्रैल 2009 का डीएनबीएस.पीडी(एससी/आरसी)सीसी नं. 13/26.03.001/2008-09 का अवलोकन करें। 2. वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एंव प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI अधिनियम, 2002) में किए गए संशोधन तथा भारत सरकार द्वारा आस्ति पुनर्रचना कंपनी (एआरसी) पर गठित प्रमुख सलाहकार समूह (केएजी) की सिफारिशों के आलोक में भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नवत सूचित करता है: ए) प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्रचना कंपनी (एससी/आरसी) को कर्ज के हिस्से को आस्ति पुनर्रचना के आकलन स्वरूप उधारकर्ता कंपनी के शेयर में परिवर्तित करने की अनुमति है बशर्ते पुनर्रचना के तहत कंपनी का पोस्ट परिवर्तित इक्विटी उनके शेयर धारण के 26% से अधिक न हो। बी) प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्रचना कंपनी (एससी/आरसी) को प्रतिभूति हित का प्रवर्तन के प्रयोजन के लिए यह आवश्यक है कि रक्षित क्रेडिटरों से अबतक 75% की तुलना में उधारकर्ता के बाकाया राशि का कम से कम 60% से अधिक धारण के प्रति सहमति प्राप्त करें । सी) प्रतिभूतिकरण कंपनी / पुनर्रचना कंपनी (एससी/आरसी) को निम्नलिखित शर्तों के तहत अन्य एससी/आरसी से वित्तीय आस्तियों को अधिग्रहण करने की अनुमति है:
ए) बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से अधिग्रहित आस्तियों के लिए एकत्रित करने वाली एससी / आरसी द्वारा जारी एसआरएस का मोचन की तारीख के विस्तार का परिणाम नहीं होगा। बी) संबंधित बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से एकत्रित करने वाली एससी / आरसी द्वारा आस्तियों का अधिग्रहण सहित अन्य एससी / आरसी से अधिग्रहित आस्तियों जो अधिग्रहण की तारीख से आठ साल से पहले किया है, उन आस्तियों की वसूली की अवधि का विस्तार नहीं किया जाएगा। 2. 23 जनवरी 2014 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र-एससी/आरसी)सं. 10/प्रमुमप्र(एनएसवी) 2014 संलग्न है जिसके द्वारा “प्रतिभूतिकरण कंपनी तथा पुनर्रचना कंपनी (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश तथा निदेश 2003 “ के पैराग्राफ 7 को संशोधित किया गया है। भवदीय, (एन.एस.विश्वनाथन) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना गैबैंपवि(नीप्र-एससी/आरसी) सं.10/प्रमुमप्र (एनएसवी) 2014 23 जनवरी 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए और बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन तथा प्रतिभूतिकरण कंपनी अथवा पुनर्रचना कंपनी द्वारा निवेशकों के हितों के लिए अहितकारी तरीके की गतिविधि या ऐसी प्रतिभूतिकरण कंपनी अथवा पुनर्रचना कंपनी के हित पर प्रतिकूल प्रभाव की रोकथाम हेतु, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एंव प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3,9,12 तथा 13 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए “प्रतिभूतिकरण कंपनी तथा पुनर्रचना कंपनी (रिज़ॅर्व बैंक) दिशानिदेश तथा निदेश, 2003 में निहित 23 अप्रैल 2003 की अधिसूचना सं. डीएबबीएस.2/सीजीएम(सीएसएम)-2003 (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) को एतद्द्वारा तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है अर्थात- 2. पैराग्राफ 7 के उप पैराग्राफ (1) में, निम्नलिखित नया क्लॉज (iv) जोड़ा जाए : “(iv) एससी/आरसी को अन्य एससी/आरसी से वित्तीय आस्तियों का अधिग्रहण करने की अनुमति प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्रचना कंपनी (एससी/आरसी) को निम्नलिखित शर्तों के तहत अन्य एससी/आरसी से वित्तीय आस्तियों को अधिग्रहण करने की अनुमति है:
ए) बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से अधिग्रहित आस्तियों के लिए एकत्रित करने वाली एससी /आरसी द्वारा जारी एसआरएस का मोचन की तारीख के विस्तार का परिणाम नहीं होगा। बी) संबंधित बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से एकत्रित करने वाली एससी / आरसी द्वारा आस्तियों का अधिग्रहण सहित अन्य एससी / आरसी से अधिग्रहित आस्तियों जो अधिग्रहण की तारीख से आठ साल से पहले किया है, उन आस्तियों की वसूली की अवधि का विस्तार नहीं किया जाएगा।“ 3. पैराग्राफ 7 में उप पैराग्राफ (5) के बाद निम्नलिखित उप पैराग्राफ (5-ए) जोड़ा जाए: “(5-ए) कर्ज के किसी हिस्से को उधारकर्ता कंपनी के शेयरों के रूप में परिवर्तन (i) प्रत्येक प्रतिभूतिकरण कंपनी अथवा पुनर्रचना कंपनी को निदेशक मंडल से विधिवत अनुमोदित नीति बनाना होगा जिसमें कर्ज को उधारकर्ता कंपनी के शेयर में परिवर्तन के लिए बोर्ड का मापदण्ड निहित हो; (ii) वित्तीय आस्तियों के मामले में जिसमें पुनर्रचना के बाद काया पलट की संभावना बनती है किंतु सामान्यत: यह वृहद चूक और कर्ज का अन्सस्टेनबल स्तर के साथ होती है अत: यह आवश्यक है कि विस्तृत कारोबार योजना के मूल्यांकन तथा परिचालन की अनुमानित स्तर के आधार पर इसे ऋण की सस्टनेबल स्तर तक लाया जाए, जिसे कंपनी द्वारा सेवित किया जा सके। अवशिष्ट अन्सस्टेनबल कर्ज के हिस्से को इष्टम कर्ज इक्विटी संरचना के लिए इक्विटी में परिवर्तित किया जा सकता है। यद्यपि एससी/आरसी को उधारकर्ता कंपनी के कर्ज को शेयर में परिवर्तन के माध्यम से काया पलट करने का मह्त्वपूर्ण अधिकार अथवा अनुमति है किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि वह उधारकर्ता कंपनी को परिचालित कर रहे है। पुनर्रचना के तहत कंपनी का पोस्ट परिवर्तित इक्विटी एससी/आरसी के शेयर धारण के 26% से अधिक नहीं होना चाहिए। 4. पैराग्राफ 7 के उप पैराग्राफ (6) के क्लॉज (i) में निम्नलिखित नया उप-क्लॉज (ई) को उप-क्लॉज (डी) के बाद जोड़ा जाए। (ई) “ कर्ज के किसी हिस्से को उधारकर्ता कंपनी के शेयर के रूप में परिवर्तन” (एन एस विश्वनाथन) |