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कोविड-19 - विनियामकीय पैकेज

भारिबैं/2019-20/244
विवि.सं.बीपी.बीसी.71/21.04.048/2019-20

मई 23, 2020

सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित)

महोदया/महोदय,

कोविड-19 - विनियामकीय पैकेज

कृपया दिनांक 27 मार्च 2020 का परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.47/21.04.048/2019-20 और दिनांक 17 अप्रैल 2020 का परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.63/21.04.048/2019-20 देखें, जिनमें कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों को देखते हुए कुछ विनियामकीय उपाय और संबंधित आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंडो की घोषणा की गई थी। 22 मई, 2020 के गवर्नर के वक्तव्य में घोषित किए गए अनुसार, कोविड-19 व्यवधानों की गहनता से पुनर्भुगतान के दबावों को कम करने और ऋण चुकाने का भार कम करके कार्यशील पूंजी तक पहुंच बेहतर बनाने; वास्तविक अर्थव्यवस्था तक वित्तीय दबाव के संचरण को रोकने और व्यवहार्य कारोबारों और परिवारों की निरंतरता सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देना आवश्यक हो गया है। तदनुसार, इस संबंध में विस्तृत निर्देश निम्नानुसार हैं:

(i) भुगतानों का पुनर्निर्धारण - सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी सुविधाएं

2. कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के विस्तार और निरंतर व्यवधान को देखते हुए, सभी वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित), सहकारी बैंकों, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं, और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (आवास वित्त कंपनियों सहित) ("ऋण देने वाली संस्थाएं") को सावधि ऋण (कृषि सावधि ऋण, खुदरा और फसल ऋण सहित) के संबंध में सभी किश्तों के भुगतान पर, अतिरिक्त तीन महीने अर्थात 1 जून 2020 से 31 अगस्त 2020 तक अधिस्थगन का विस्तार करने की अनुमति दी जाती है। तदनुसार, ऐसे ऋणों के लिए पुनर्भुगतान समयावधि और शेष अवधि भी, इसके अनुरूप शिफ्ट हो जाएगी। अधिस्थगन अवधि के दौरान सावधि ऋण के बकाया हिस्से पर ब्याज का उपार्जन जारी रहेगा।

3. नकद ऋण/ओवरड्राफ्ट ("सीसी/ओडी") के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, ऋण देने वाली संस्थाओं को इन पर लागू ब्याज की वसूली के लिए, अतिरिक्त तीन महीने अर्थात 1 जून 2020 से 31 अगस्त 2020 तक आस्थगन देने की अनुमति है। ऋण देने वाली संस्थाओं को स्व-विवेक से 31 अगस्त 2020 तक की अवधि के लिए उपार्जित ब्याज को एक निधि-आधारित ब्याज सावधि ऋण (एफआईटीएल) में परिवर्तित करने की अनुमति है, जिसका पुनर्भुगतान अधिकतम 31 मार्च 2021 तक करना होगा।

(ii) कार्यशील पूंजी वित्तीयन को आसान बनाना

4. महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक गिरावट से उपजे दबाव का सामना कर रहे उधारकर्ताओ को सीसी/ओडी के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में ऋण देने वाली संस्थाएं एकबारगी उपाय के रूप मे,

(i) 31 अगस्त 2020 तक मार्जिन को घटाते हुए ‘आहरण शक्ति’ की पुनर्गणना कर सकती हैं. तथापि, ऐसे सभी मामले जहां आहरण शक्ति में अस्थाई वृद्धि करने पर विचार किया गया है वहां मार्जिन को 31 मार्च 2021 तक वापस मूल स्तर पर लाना अनिवार्य होगा;. और/या

(ii) 31 मार्च 2021 तक कार्यशील पूंजी चक्र के पुनर्मूल्यांकन के आधार पर स्वीकृत कार्यशील पूंजी सीमा की समीक्षा कर सकती हैं।.

5. उपर्युक्त उपाय इस बात पर निर्भर करेंगे कि ऋण देनेवाली संस्थाएँ पूरी तरह संतुष्ट हों कि ऐसा किया जाना कोविड 19 से उपजे आर्थिक गिरावट को देखते हुए आवश्यक है। साथ ही, इन अनुदेशों के तहत सहायता प्राप्त खाते बाद में कोविड 19 से उपजे आर्थिक गिरावट को देखते हुए उनकी न्यायसंगतता के संबंध में पर्यवेक्षी समीक्षा के अधीन होंगे।

6. ऋणदाता संस्थाएं तदनुसार उपर्युक्त उपायों के कार्यान्वयन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति को तैयार करें।

आस्ति वर्गीकरण

7. उपर्युक्त पैरा तीन के अनुसार अनुमन्य संचित ब्याज के एफआईटीएल में परिवर्तन, और उपर्युक्त पैरा 4 के अनुसार विशेषत: कोविड-19 से उपजे आर्थिक गिरावट के कारण उधारकर्ताओं को प्रदत्त ऋण शर्तों में बदलाव, दिनांक 7 जून 2019 के भारतीय रिजर्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश 2019 (‘विवेकपूर्ण ढांचा’) के अनुलग्नक के पैरा 2 के तहत उधारकर्ता को वित्तीय कठिनाई के कारण प्रदत छूट के रूप में नहीं माना जाएगा और यह आस्ति वर्गीकरण में गिरावट के रूप में परिवर्तित नहीं होगा।

8. 29 फरवरी 2020 तक मानक के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में, यदि वे अतिदेय भी हैं, तो जहां कहीं भी सावधि ऋण के संबंध में अधिस्थगन अवधि प्रदान की गयी है, ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा इस अवधि को आईआरएसी नियमों के तहत अस्ति वर्गीकरण के उद्देश्य से पिछले देय दिनों की संख्या की गणना में शामिल नहीं किया जायेगा।. ऐसे खातों का आस्ति वर्गीकरण संशोधित देय तिथियों और संशोधित भुगतान अवधि के आधार पर निर्धारित होगा।

9. इसी तरह नकद ऋण/ओवरड्राफ्ट (‘सीसी/ओडी’) के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, जहां खाता मानक के रूप में वर्गीकृत है, वहां एसएमए सहित 29 फरवरी 2020 तक आस्थगन अवधि जहां भी उपर्युक्त पैरा 3 के अनुसार प्रदान किया गया है उसे आउट ऑफ ऑर्डर स्थिति के निर्धारण हेतु शामिल नहीं किया जाएगा।

10. 27 मार्च, 2020 और 17 अप्रैल, 2020 के परिपत्रों के अन्य प्रावधान यथोचित रूप में पूर्ववत लागू रहेंगे।

भवदीय,

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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