RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

121436383

बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन

आरबीआइ/2010-2011/109
बैंपविवि. एफएसडी. बीसी. सं. 25/24.01.011/2010-11

9 जुलाई 2010
18 आषाढ़ 1932 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक/ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय/महोदया

बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन

जैसा कि बैंक जानते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये हैं । इन दिशानिर्देशों को प्रत्येक वर्ष जारी होने वाले मास्टर परिपत्र के रूप में भी संकलित किया गया है, जिनमें से अंतिम परिपत्र 1 जुलाई 2010 का बैंपविवि. सं. एफएसडी. बीसी. 16/24.01.011/2010 - 11 है। क्रेडिट कार्ड परिचालनों से संबंधित दिशानिर्देशों में विभिन्न पहलू शामिल किये गये हैं, उदाहरण के लिए, क्रेडिट कार्ड जारी करना, ब्याज दर और अन्य प्रभार, गलत बिल देना, प्रत्यक्ष बिक्री एजेंट (डीएसए)/प्रत्यक्ष विपणन एजेंट (डीएमए) और अन्य एजेंटों का प्रयोग, ग्राहक अधिकारों की रक्षा जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निजता का अधिकार, ग्राहक गोपनीयता और ऋण वसूली की उचित प्रथाएं शामिल हैं, ग्राहक शिकायतों का निपटान, आंतरिक नियंत्रण और निगरानी प्रणाली, धोखाधड़ी नियंत्रण आदि। इन दिशानिर्देशों के अंग के रूप में बैंकों को सूचित किया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक इन दिशानिर्देशों में किसी के भी उल्लंघन पर बैंकिंग बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949/भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अंतर्गत क्रमश: बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर दंड लगाने का अधिकार रखता है।

2. बैंकों को 7 मई 2007 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि सं. डीआइआर. बीसी. 93/13.03.00/2006-07 द्वारा यह भी सूचित किया गया है कि उन्हें छोटे मूल्यवाले व्यक्तिगत ऋणों और इसी प्रकार के अन्य ऋणों के लिए एक उच्चतम ब्याज दर, प्रोसेसिंग और अन्य प्रभार निर्धारित करना चाहिए । उपर्युक्त अनुदेश क्रेडिट कार्ड बकाये पर भी लागू हैं । यदि बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ कार्ड धारक की अदायगी/चूक संबंधी पृष्ठभूमि के आधार पर अलग-अलग ब्याज दर लगाती हैं तो ऐसी विभेदक ब्याज दरों को लगाने के संबंध में पारदर्शिता होनी चाहिए । दूसरे शब्दों में, कार्ड धारक को यह बात बतायी जानी चाहिए कि उसकी अदायगी/चूक संबंधी पृष्ठभूमि के कारण उससे उच्चतर ब्याज लिया जा रहा है । इस प्रयेजन के लिए बैंकों को अपने वेबसाइट और अन्य माध्यमों से ग्राहकों के विभिन्न संवर्गों पर लगायी जाने वाली ब्याज दरों का प्रचार करना चाहिए । बैंकों/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह भी सूचित किया गया है कि वे क्रेडिट कार्ड धारकों को पहले ही उदाहरण सहित बता दें कि वित्तीय प्रभारों की गणना की विधि क्या है, खासकर उन स्थितियों में जहाँ ग्राहक बकाया राशि के एक अंश का ही भुगतान करता है।

3. बैंकों को उपर्युक्त विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने के बावजूद भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों में बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन के संबंध में, खासकर अत्यधिक वित्तीय प्रभार लगाने, बिना मांगे क्रेडिट कार्ड जारी करने, बिना मांगे बीमा पालिसी जारी करने और प्रीमियम की वसूली करने, ‘फ्री’ कार्ड के बावजूद वार्षिक शुल्क लगाने, फोन के ऊपर ऋण जारी करने, गलत बिल के कारण विवाद, टेलीफोन से निपटान का प्रस्ताव देने, कार्ड धारक की मृत्यु के बाद बीमा दावों का निपटान न करने, आपत्तिजनक कॉल करने, क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता से संपर्क करने में कठिनाई और कॉल सेंटर से सहायता न मिलने आदि के संबंध में क्रेडिट कार्डधारकों की शिकायतें निरंतर प्राप्त हो रही हैं।

4. अत: सभी बैंकों को एक बार पुन: सूचित किया जाता है कि वे क्रेडिट कार्ड परिचालन संबंधी मास्टर परिपत्र में निहित दिशानिर्देशों की भावना को समझते हुए उनका अक्षरश: पालन करें, अन्यथा भारतीय रिज़र्व बैंक संबंधित सांविधिक प्रावधानों के अंतर्गत मौद्रिक दंड लगाने सहित दांडिक कार्रवाई आरंभ करने के लिए बाध्य होगा।

भवदीय

(ए. के. खौंड)
मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?