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अल्‍प-संख्‍यक समुदायों को ऋण सुविधाएं – राष्‍ट्रीय अल्‍प-संख्‍यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2(ग) के अंतर्गत जैन समुदाय का समावेश

भारिबैं/2014-15/334
विसविवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.44/09.10.01/2014-15

दिसंबर 03, 2014

अध्‍यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्‍य बैंक

महोदय / महोदया

अल्‍प-संख्‍यक समुदायों को ऋण सुविधाएं – राष्‍ट्रीय अल्‍प-संख्‍यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2(ग) के अंतर्गत जैन समुदाय का समावेश

कृपया आप अल्‍प-संख्‍यक समुदायों को ऋण सुविधाओं पर 1 जुलाई 2013 के हमारे मास्‍टर परिपत्र ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.2/09.10.01/2013-14 का परिच्‍छेद 2 देखें।

2. भारत सरकार, अल्‍प-संख्‍यक कार्य मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना सं. एस.ओ. 267 (E) दिनांक 27 जनवरी 2014 द्वारा जैन समुदाय को अल्‍प-संख्‍यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया है। यह पहले से अल्‍प-संख्‍यक समुदाय के रूप में अधिसूचित पॉंच समुदायों अर्थात सिख, मुस्लिम, इसाई, झोरोस्ट्रियन और बुद्धिस्‍ट के अतिरिक्‍त है।

3. तदनुसार, हमारे उपर्युक्‍त मास्‍टर परिपत्र में दिये गये अनुदेश जैन समुदाय पर भी लागू होंगे। इसके साथ ही मास्‍टर परिपत्र वेबसाइट पर भी अद्यतन कर दिया गया है।

भवदीया

(माधवी शर्मा)
मुख्‍य महाप्रबंधक

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