आरबीआई/2020-2021/10 विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.बीसी.सं.3/06.02.31/2020-21 2 जुलाई 2020 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित) सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक / जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय / महोदया, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र में ऋण प्रवाह कृपया हमारे दिनांक 04 अप्रैल 2007 के परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.सं.63/06.02.31/2006-07, को देखें जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 की धारा 7 (I) के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की परिभाषा दी गई है। 2. इस संबंध में, हम सूचित करते हैं कि भारत सरकार ने दिनांक 26 जून 2020 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ.2119(ई), के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के रूप में उद्यमों को वर्गीकृत करने के लिए नए मानदंड को अधिसूचित किया है। नए मानदंड 1 जुलाई 2020 से लागू होंगे। विस्तृत विवरण निम्नानुसार प्रस्तुत है: 2.1 उद्यमों का वर्गीकरण उद्यम को निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर सूक्ष्म, लघु या मध्यम उद्यम में वर्गीकृत किया जाएगा, अर्थात:-
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ऐसा सूक्ष्म उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर मे विनिधान एक करोड़ रुपए से अधिक नहीं है और आवर्तन पांच करोड़ रुपए से अधिक नहीं है;
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ऐसा लघु उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर मे विनिधान दस करोड़ रुपए से अधिक नहीं है और आवर्तन पचास करोड़ रुपए से अधिक नहीं है; और
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ऐसा मध्यम उद्यम, जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर मे विनिधान पचास करोड़ रुपए से अधिक नहीं है और आवर्तन दो सौ पचास करोड़ रुपए से अधिक नहीं है।
2.2 वर्गीकरण के लिए विनिधान और आवर्तन के संबंध में समेकित मापदंड
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किसी उद्यम को सूक्ष्म, लघु या मध्यम के रूप में वर्गीकरण के लिए विनिधान और आवर्तन का एक समेकित मापदंड लागू होगा।
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यदि कोई उद्यम अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए विनिधान या आवर्तन के दोनों मानदंड में से किसी अधिकतम सीमा को पार करता है, तो वह उस श्रेणी में अस्तित्वहीन हो जाएगा तथा उसे अगली उच्चतर श्रेणी में रखा जाएगा किंतु किसी भी उद्यम को तब तक निम्नतर श्रेणी में नहीं रखा जाएगा जब तक वह विनिधान तथा आवर्तन के दोनों मापदंडों में अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए विनिर्दिष्ट अधिकतम सीमा के नीचे नहीं चला जाता हो।
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वस्तु और सेवा कर पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) सहित सभी इकाइयां, जिन्हें समान स्थाई खाता संख्या (पैन) के लिए सूचीबद्ध किया गया है, को सामूहिक रूप से एक उद्यम के रूप में माना जाएगा और ऐसी सभी इकाइयों के लिए विनिधान और आवर्तन संबंधी आंकड़ों पर सामूहिक रुप से ध्यान दिया जाएगा तथा सूक्ष्म, लघु या मध्यम के रूप में श्रेणी का विनिश्चय करने के लिए केवल कुल मूल्य पर विचार किया जाएगा।
2.3 संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान की गणना
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संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान की गणना को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत फाइल किए गए पूर्ववर्ती वर्षों के आयकर रिटर्न (आईटीआर) से जोड़ा जाएगा।
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नए उद्यम की दशा में, जहां कोई पूर्व आईटीआर उपलब्ध नहीं है, वहां उद्यम के संप्रवर्तक के स्व-घोषणा के आधार पर विनिधान किया जाएगा और ऐसी छूट उस वित्त वर्ष में 31 मार्च के पश्चात समाप्त हो जाएगी जिसमें वह उद्यम अपना पहला आईटीआर फाइल करता है।
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उद्यम के ‘’संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर’’ का वही अर्थ होगा जो आयकर अधिनियम, 1961 के अधीन विरचित आयकर नियम, 1962 में संयंत्र और मशीनरी में उसका है और इसमें सभी मूर्त आस्तियाँ (भूमि और भवन, फर्नीचर और फिटिंग से भिन्न) शामिल होंगी।
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यदि उद्यम बिना किसी आईटीआर का नया है, तो संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर की खरीद (इनवॉइस) मूल्य, चाहे पहली बार या दूसरी बार खरीदा गया हो, माल और सेवा कर (जीएसटी) को छोड़कर, स्व-प्रकटीकरण के आधार पर हिसाब में लिया जाएगा।
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अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1) के स्पष्टीकरण I में निर्दिष्ट कुछ वस्तुओं की लागत को संयंत्र और मशीनरी में विनिधान की राशि की गणना से बाहर रखा जाएगा।
2.4 आवर्तन की गणना
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वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए कोई उद्यम, चाहे वह सूक्ष्म, लघु या मध्यम हो, के आवर्तन की गणना करते समय माल या सेवाओं या दोनों के निर्यात को बाहर रखा जाएगा।
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उद्यम के लिए आवर्तन और निर्यात आवर्तन के संबंध में जानकारी आयकर अधिनियम या केंद्रीय माल और सेवा अधिनियम (सीजीएसटी अधिनियम) और जीएसटीआईएन से संबद्ध होगी।
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ऐसे उद्यम के आवर्तन संबंधी आंकड़े, जिनके पास पैन नहीं है, को 31 मार्च 2021 तक की अवधि के लिए स्व-घोषणा के आधार पर माना जाएगा और उसके पश्चात, पैन और जीएसटीआईएन अनिवार्य होगा।
2.5 संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान या आवर्तन अथवा दोनों में उच्चतर परिवर्तन तथा परिणामस्वरूप पुनः वर्गीकरण की स्थिति में उद्यम रजिस्ट्रीकरण के वर्ष के समाप्त होने से लेकर एक वर्ष की समाप्ति तक अपने वर्तमान स्तर को बरकरार रखेगा। किसी उद्यम के क्रमिक ह्रास की स्थिति में, चाहे वह पुनः वर्गीकरण के परिणामस्वरूप हुआ हो या संयंत्र और मशीनरी अथवा उपस्कर में विनिधान या आवर्तन में वास्तविक परिवर्तन अथवा दोनों के कारण हुआ हो तथा चाहे उद्यम अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत हो अथवा नहीं, उद्यम वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक अपनी वर्तमान श्रेणी में बना रहेगा तथा उसे ऐसे परिवर्तन वाले वर्ष के पश्चात के वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से परिवर्तित स्तर का लाभ प्रदान किया जाएगा। उद्यमों के रजिस्ट्रीकरण, शिकायत निवारण, आदि से संबंधित अन्य पहलुओं का उल्लेख दिनांक 26 जून 2020 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ. 2119(ई), में किया गया है। 3. उपरोक्त अनुदेश, हमारे दिनांक 04 अप्रैल 2007 के दिशानिर्देशों, केवल सूक्ष्म और लघु उद्यमों को विलंबित भुगतान से संबंधित पैराग्राफ 6 को छोड़कर, को अधिक्रमित करेंगे। 4. हम आपको सूचित करते हैं कि आप 1 जुलाई 2020 से प्रभावी नई परिभाषा के अनुसार उद्यमों के पुनर्वर्गीकरण के लिए आवश्यक कार्रवाई आरंभ करें और जल्द से जल्द इस संबंध में अपनी शाखाओं / नियंत्रक कार्यालयों को आवश्यक निर्देश जारी करें। भवदीया, (सोनाली सेन गुप्ता) मुख्य महाप्रबंधक |