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अनुसूचित जाति और जनजातियों के कल्याणार्थ गठित संसदीय समिति की 18 जुलाई 2005 को आयोजित बैठक

भारिबैं /2005-06/136

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं. 34 /09.09.01/2005-06

23 अगस्त, 2005

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक

(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त )

मबेदय,

अनुसूचित जाति और जनजातियों के कल्याणार्थ गठित संसदीय समिति की 18 जुलाई 2005 को आयोजित बैठक

जैसाकि बैंकों को ज्ञात है , भारतीय रिज़र्व बैंक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ऋण उपलब्ध कराने पर कड़ाई से निगरानी रखता है और बैंकों को इस संबंध में विस्तफ्त अनुदेश मास्टर परिपत्र के माध्यम से जारी किए जाते हैं ।

2. बल ही में अनुसूचित जाति और जनजातियों के कल्याणार्थ गठित संसदीय समिति की अजा/अजजा को ऋण उपलब्धि की समीक्षा हेतु 18 जुलाई 2005 को आयोजित बैठक में सदस्यों ने कतिपय अभिमत / सुझाव दिये हैं । समिति द्वारा व्यक्त की गई चिंता के मेनिजर बैंकों को सूचित किया जाता है कि :-

क)यह सुनिश्चित करें कि समाज के कमज़ोर वर्गों के बीच जागरुकता लाने की दृष्टि से अजा/अजजा को दी जानेवाली सुविधाओं का प्रचार-प्रसार पर्याप्त रुप से किया जाता है ।

ख)प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र अग्रिम तथा स्वग्रास्वयो, स्वजशरोयो, एसएलआरएस और प्रमंरोयो जैसी सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत अजा/अजजा को ऋण उपलब्धि बढ़ाने के लिए निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी संभव प्रयास करें ।

ग) यह सुनिश्चित करें कि अपनी बैंक शाखाओं द्वारा ऋण स्वीवफ्त करते समय अजा/अजजा को ऋण सुविधाओं से संबंधित मास्टर परिपत्र में निहित सभी अनुदेशों का कड़ाई से पालन किया जाता है । यह पालन न किये जाने पर बैंकों के निदेशक बोड़ के ध्यान में लाया जाए ।

घ)यह सुनिश्चित करें कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है -


व.बैंकों द्वारा प्रावफ्तिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में राहत उपाय देने से संबंधित 1 जुलाई 2005 का मास्टर परिपत्र सं. भारिबैं/2005-06 /35/ग्राआऋवि. पीएलएफएस.बीसी.6/05.04.02/2005-06 ।

वव.गैर-संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त किसानों को राहत उपायों से संबंधित 24 जून 2004 का हमारा परिपत्र सं. भारिबैं/ 2004/266; ग्राआऋवि.सं.प्लान.बीसी.92/04.09.01/2004-05 और

ववव. जिला स्तरीय बैठकों में जन प्रतिनिधियों का सहभाग से संबंधित 6 जुलाई 2005 का हमारा परिपत्र भारिबैं/2005-06/45; ग्राआऋवि. केका.एलबीएस.बीसी.सं.11/02.01.01/2005-06 ।

3. बैंकों से अनुरोध है कि प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अजा/अजजा के लिए निर्धारित लक्ष्य के महत्व का ध्यान रखते हुए उन्हें प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाएं ।

4. वफ्पया पावती भेजें और की गई कार्रवाई 15 सितंबर 2005 तक हमें सूचित करें ।

भवदीय

( जी. श्रीनिवासन )

मुख्य मबप्रबंधक

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