विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण
आरबीआइ/2006-07/190
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.14
नवंबर 28, 2006
सेवा में
सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 -
चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर. 381(E) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 के नियम 5 के अनुसार, "भारत में ट्रेडमार्क अथवा प्रैं€चाइस की खरीद के लिए विप्रेषण" हेतु विदेशी मुद्रा के आहरण के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति आवश्यक है [विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III की मद सं.16]। प्रक्रिया को और सरल बनाने तथा ज़्यादा लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 में अनुसूची III में मद सं.16 तथा उससे संबद्ध प्रविष्टि को हटा दिया गया है। अब से आगे, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक भारत में ट्रेडमार्क अथवा प्रैं€चाइस की खरीद हेतु किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा के आहरण को रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना अनुमति दे सकते हैं।
3. इस संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 में संशोधन भारत सरकार ने जुलाई 10, 2006 की अधिसूचना जी.एस.आर.412(E) द्वारा जारी किया है (प्रति संलग्न)।
4. प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक