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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999- चालू खाता लेनदेन- उदारीकरण

भारिबैंक/2009-10/465
ए.पी.(डी्आइआर सिरीज) परिपत्र सं. 52

13 मई 2010

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999-
चालू खाता लेनदेन- उदारीकर

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर.381(ई) के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की और आकर्षित किया जाता है ।

2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 के नियम 4 के अनुसार, तकनीकी सहयोग करार के तहत जहां रायल्टी का भुगतान स्थानीय बिक्री पर 5% से अधिक और निर्यातों पर 8 % है और एक-मुश्त भुगतान 2 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है [विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 में अनुसूची ।। की मद 8], प्रेषणों के लिए विदेशी मुद्रा आहरण हेतु  वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार का पूर्वानुमोदन आवश्यक है । भारत सरकार ने विदेशी तकनीकी करार के उदारीकरण के संबंध में मौजूदा नीति की पुनरीक्षा की है और यह निर्णय लिया गया कि विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 में अनुसूची ।। की मद सं. 8 तथा उससे संबंधित प्रविष्टि हटा दी जाए ।

3. तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।) बैंक रायल्टी के भुगतान और तकनीकी सहयोग करार के तहत एक-मुश्त भुगतान के लिए व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा का आहरण, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अनुमोदन के बिना अनुमत कर सकते हैं ।

4. इस संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 में संशोधन भारत सरकार द्वारा 5 मई 2010 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर.382(ई) के जरिये अधिसूचित किये गये हैं ।

5. प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को  और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय

सलीम गंगाधरन
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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