ग्राहक-सेवा - बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि - आरबीआई - Reserve Bank of India
ग्राहक-सेवा - बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि
ग्राहक-सेवा - बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि
तुरंत जमा करना - उच्चतम सीमा बढॉना
संदर्भ : बैंपविवि. सं. लेजि. बीसी. 21 /09.07.007/2002-03
23 अगस्त 2002
01 भाद्र 1924 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंक को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
ग्राहक-सेवा - बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि
तुरंत जमा करना - उच्चतम सीमा बढॉना
कृपया आप 29 मई 2000 का हमारा परिपत्र डीबीओडी. सं. बीसी.181/09.07. 007/99-2000 देखें । बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे ग्राहकों द्वारा वसूली के लिए प्रस्तुत किये गये 7,500 रुपये मूल्य तक के बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि तुरंत जमा लिखें ।
2. हम यह सूचित करते हैं कि भारतीय बैंक संघ (आइ बी ए) की सिफारिश के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार तुरंत जमा किये जानेवाले 7,500 रुपये मूल्य के बाहरी और स्थानीय चेकों की राशि की उच्चतम सीमा को बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया जाये ।
3. वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे अपने ग्राहकों द्वारा वसूली के लिए प्रस्तुत किये गये बाहरी / स्थानीय चेकों की राशि तुरंत जमा करने के बारे में निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करें ।
i) बाहरी चेकों के मामले में सामान्य वसूली प्रभार वसूल किये जायें और स्थानीय चेकों के लिए 5 रुपये वसूल किये जायें।
ii) बैंक को चाहिए कि वह इस बात की संतुष्टि कर लें कि ग्राहक खाते का संचालन उचित ढंग से होता है ।
iii) बैंक सभी अलग-अलग जमाकर्ताओं को उनके खाते के स्वरूप, अर्थात् बचत बैंक, चालू या नकदी ऋण खाता, के बारे में फर्क किये बिना सुविधा दे सकते हैं ।
iv) बैंकों को यह सुविधा प्रदान करने के लिए न्यूनतम जमा शेष की कोई अलग शर्त निर्धारित नहीं करनी चाहिए ।
v) यह सुविधा बैंक द्वारा इस संबंध में सामान्य सावधानियों की शर्त पर बैंक के एक्सटेंशन काउंटरों पर भी ग्राहकों को उपलब्ध करानी है ।
vi) चूंकि ऐसे चेक के लिए तुरंत राशि जमा (व्रेडिट) करना अग्रिम प्रदान करने जैसा होगा, अत: 15,000 रुपये तक के अंकित मूल्य के ऐसे चेकों पर ब्याज न लगाने को अग्रिमों पर ब्याज दरों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के निदेश के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जायेगा ।
vii) उस मामले में जहां 15,000 रुपये से अधिक के अंकित मूल्य का लिखत समाशोधन के लिए प्राप्त होता है और लिखत की आगम राशि, राशि की वास्तविक वसूली की तारीख के पहले किसी भी रूप में खाते में जमा की जाती है, वहां उस अवधि के लिए भी निर्दिष्ट दर (बैंक द्वारा निर्धारित सामान्य सेवा प्रभारों के अतिरिक्त) पर ब्याज लगाया जायेगा, जिस अवधि में निधि ग्राहक के खाते में (वसूली से पहले) रही है ।
viii) चेक भुगतान हुए बिना लौट आने की स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक के ब्याज दर संबंधी निदेशों के अनुरूप उस अवधि के लिए ब्याज वसूल कर सकता है, जिस दैारान निधि बैंक के पास नहीं थी ।
क) प्रस्तुत किये गये बाहरी चेक के जमा करने की तारीख से उसके लौट आने तक अविधि के लिए ग्राहक से ब्याज नहीं लिया जाये ।
ख) चेक के आने की तारीख से संबंधित राशि बैंक को लौटायी जाने तक की अवधि के लिए बैंक ब्याज ले सकता है ।
ग) बचत बैंक खाते में चेक जमा किये जाने की स्थिति में चेक भुगतान हुए बिना लौट आता है तो इस प्रकार जमा की राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा ।
ix) ऐसी स्थिति में बैंक जमा पर्ची के साथ इस आशय का एक नोटिस लगाने के लिए विचार कर सकता है कि चेक के भुगतान न होने की स्थिति में ग्राहक को उस अवधि के लिए ब्याज अदा करना होगा, जिस अवधि तक निधि बैंक में नहीं होती है।
- इस सुविधा की उपलब्धता के बारे में प्रत्येक शाखा में स्पष्ट रूप से सूचना प्रदर्शित की जानी चाहिए ।
- तदनुसार आप अपनी शाखाओं को तत्काल कार्रवाई के लिए उचित अनुदेश जारी करें ।
- कृपया प्राप्ति-सूचना भिजवायें ।
भवदीय
(एम. आर. श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महा प्रंबधक