1 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक राशि के चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) तथा 25 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) – भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई)/ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग में परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
1 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक राशि के चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) तथा 25 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) – भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई)/ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग में परिवर्तन
आरबीआई/2013-14/667 27 जून 2014 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय/महोदया 1 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक राशि के चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) तथा 25 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) – भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई)/ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग में परिवर्तन कृपया बैंकों/अधिसूचित अखिल भारतीय वित्तीय कंपनियों (एफआई) के चूककर्ता उधारकर्ताओं के संबंध में सूचना का प्रकटीकरण विषय पर दिनांक 23 अप्रैल 1994 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी/सीआईएस/47/20.16.002/93-94 तथा इरादतन चूककर्ताओं पर 01 जुलाई 2013 का मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. सीआईडी. बीसी. 3/20.16.003/2013-14 देखें। 2. जैसा कि आप जानते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ऋण सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत करने हेतु डेटा फॉर्मेट की सिफारिश करने के लिए एक समिति (अध्यक्षः श्री आदित्य पुरी) का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को आरबीआई की वेबसाइट पर रखी गई थी तथा इसकी सिफारिशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। समिति की रिपोर्ट की एक प्रति संदर्भ के लिए संलग्न है (/en/web/rbi/-/publications/reports/report-of-the-committee-to-recommend-data-format-for-furnishing-of-credit-information-to-credit-information-companies-763) । 3. समिति ने चूककर्ता/इरादतन चूककर्ताओं के संबंध में डेटा की रिपोर्टिंग हेतु वाणिज्यिक डेटा फॉर्मेट में परिवर्तन [रिपोर्ट का पैरा 8.13(क)] तथा चूककर्ता और इरादतन चूककर्ताओं के संबंध में सूचना के प्रसार [रिपोर्ट का पैरा 8.37] के बारे में कुछ सिफारिशें की हैं। 4. वर्तमान में बैंक/वित्तीय संस्थाएं भारतीय रिज़र्व बैंक को निम्नलिखित डेटा प्रस्तुत करती हैं: (i) अर्ध वार्षिक आधार पर 1 करोड़ रुपए और उससे अधिक राशि के चूककर्ता उधारकर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) तथा (ii) तिमाही आधार पर 25 लाख रुपए और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते) भारतीय रिज़र्व बैंक इस डेटा का समेकन करता है तथा बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के लिए दो अलग-अलग सूचियां, अर्थात् चूककर्ताओं की सूची [1 करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि के (वाद दाखिल न किए गए खाते)] तथा [25 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ता (वाद दाखिल न किए गए खाते)] प्रसारित करता है। 5. हमारे 05 सितंबर 2011 के परिपत्र बैंपविवि. सं. सीआईडी. बीसी. 30/20.16.042/2011-12 के द्वारा बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया गया था कि वे ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को निम्नलिखित सूचना प्रस्तुत करें: (i) संदिग्ध या हानि के रूप में वर्गीकृत 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक राशि के वाद दाखिल खातों की तिमाही सूची, तथा (ii) प्रति वर्ष मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर के अंत में 25 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के इरादतन चूककर्ताओं के वाद दाखिल खातों की सूची। इसके अतिरिक्त, ऋण सूचना कंपनियों को यह भी सूचित किया गया है कि वे ऐसे वाद दाखिल खातों के बारे में बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को शामिल करते हुए ऋण सूचना अपनी संबंधित वेबसाइटों पर प्रकाशित करें। 6. वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक को चूककर्ताओं और इरादतन चूककर्ताओं पर डेटा की रिपोर्टिंग से संबंधित प्रक्रिया, जैसा कि ऊपर पैरा 4 में वर्णित है, तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इसका प्रसार ऑफ लाइन मोड में है और इसलिए उधारकर्ताओं के संबंध में समेकित सूचना का प्रसार करने में समय में काफी अंतर आ जाता है। यह प्रक्रिया ऋण सूचना कंपनियां अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए) के लागू होने के पहले से है, जब उधारकर्ताओं पर केंद्रीकृत ऋण सूचना की कोई प्रणाली नहीं थी। चार ऋण सूचना कंपनियों की स्थापना के साथ फिलहाल एक केंद्रीकृत ऋण सूचना प्रणाली लागू है तथा बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा सीआईसी को ऋण सूचना रिपोर्ट करने की प्रणाली पहले से मौजूद है। तथापि, सीआईसी के डेटाबेस में वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। अतएव, ऋण सूचना कंपनियों को 'साख सूचना प्रस्तुत करने हेतु डेटा फॉर्मेट तथा अन्य विनियामक उपाय' पर दिनांक 27 जून 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सीआईडी. बीसी. 127/20.16.056/2013-14 के पैरा 2(iii) के अनुसार बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया गया है कि वे अपने कार्पोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में डेटा की रिर्पोटिंग सीआईसी को समयबद्ध रूप से करें तथा सीआईसी छः महीनों के भीतर अपने डेटाबेस में वाणिज्यिक डेटा रिकॉर्ड भरें। 7. उपर्युक्त को देखते हुए तथा समिति की सिफारिशों की जांच करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि चूककर्ताओं/इरादतन चूककर्ताओं पर सूचना की रिपोर्टिंग और प्रसारण के संबंध में निम्नलिखित उपायों को लागू किया जाए:
8. चूककर्ताओं और इरादतन चूककर्ताओं के संबंध में ऊपर उल्लिखित परिपत्रों के अन्य निबंधन और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। भवदीय (सुदर्शन सेन) |