दिल्ली उच्च न्यायालय की 22.1.2003 की सिविल याचिका सं,:2003 की 460 - विश्व कप 2003 - विदेशी मुद्रा का प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
दिल्ली उच्च न्यायालय की 22.1.2003 की सिविल याचिका सं,:2003 की 460 - विश्व कप 2003 - विदेशी मुद्रा का प्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.74 जनवरी 24, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, दिल्ली उच्च न्यायालय की 22.1.2003 की सिविल याचिका प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान माननीय दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा 22 जनवरी 2003 की सिविल याचिका सं.2003 की 460 में पारित आदेश की ओर आकृष्ट किया जाता है। उक्त आदेश पर कार्रवाई से संबंधित अंश नीचे उद्धत है "भारतीय खिलाड़ी अथवा भारतीय टीम के अयोग्य होने जाने अथवा विश्व कप में भाग लेने से प्रतिबंधित हो जाने अथवा भाग लेने के लिए अनुमत न होने अथवा खिलाड़ियों अथवा बीबीसीआई पर कोई हर्जाना या कोई दंड लगाए जोन अथवा खिलाड़ियों अथवा बीबीसीआई के खिलाफ़ कोई दंडात्मक कार्रवाई किए जाने पर प्रतिवादी सं. (भारत संघ) और (भारतीय रिज़र्व बैंक) उपयुक्त कार्यकारी कार्रवाई सुनिश्चित करें कि प्रयोजकों को, नामत: जो कि आज्ञानुसार न्यायालय के क्षेत्राधिकार में है, नामत: प्रतिवादि सं.7 से 9 तक डप्रतिवादि सं.7 - पेप्सी फूड्स लिमिटेड, डीएलएफ कॉर्पोरेट पाके, डीएलएफ, गुडगांव, हरियाणा, प्रतिवादी सं.8 - हीरो होंडा मोटर्स लिमिटेड, 34 बसंत लोक कम्यूनिटी सेंटर, वसंत विहार, नर्ह दिल्ली 110057, प्रतिवादी सं.9 - एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा.लि.ए 221, ओखला इंडस्ट्रियल एस्टेट, फेज III, नई दिल्ली - 110020 कोई विदेशी मुद्रा और कोई अन्य लाभ अथवा रियायत न दी जाए और उस दशा में प्रतिवादी सं.7, 8 और 9 विश्व कप 2003 के मैचों में विज्ञापन देने से वर्जित हैं। तदनुसार, यह आदेश पारित किया गया। हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि हमने जो दृष्टिकोण अपनाया है और इस संबंध में हमने जो निदेश दिए हैं, इस समय, प्रथम दृष्टि में स्वरुपत:, पक्षों द्वारा गुण दोषों के आधार पर याचिका को चुनौती देने पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।" 2. तदनुसार, सभी प्राधिकृत व्यापारियों को निदेश दिया जाता है कि उपर्युक्त 7 से 9 तक के प्रतिवादियों, नामत:, पेप्सी फूड्स लिमिटेड, हीरों होंडा मोटर्स लिमिटेड और एलजी कलेने "मार्च 30, 2001 की अधिसूचना सं. एसओ.301(E) द्वारा यथा संशोधित को अधिसूचित करने वाली 3 मई 2000 की भारत सरकार की अधिसूचना सं.जीएसआर.381()िं की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार कतिपय चालू खाता लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा के आहरण को प्रतिबंधित किया गया था और कतिपय लेनदेनों पर रोक लगाई गई थी। 3. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |