वर्ष 2003 की दीवानी याचिका सं.460- दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश वर्ल्ड कप 2003- विदेशी मुद्रा का विप्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2003 की दीवानी याचिका सं.460- दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश वर्ल्ड कप 2003- विदेशी मुद्रा का विप्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.52 17 दिसंबर 2003 सेवा में महोदय/ महोदया वर्ष 2003 की दीवानी याचिका सं.460- दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश वर्ल्ड कप 2003- विदेशी मुद्रा का विप्रेषण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 24 जनवरी 2003 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 74 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें पेप्सी फूड्स लिमिटेड, हीरो हॉण्डा मोटर्स लिमिटेड और एल.जी. इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना विदेशी मुद्रा जारी न करने के निर्देश दिये गये हैं। 2. माननीय उच्च न्यायालय, दिल्ली ने उपर्युक्त याचिका को खारिज करते हुए 01 अक्तूबर 2003 के अपने आदेश में निम्नानुसार उल्लेख किया है: " अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों पर विचार करने के उपरान्त इस न्यायालय की यह राय है कि निश्चित रूप से यह याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की गयी थी कि भारतीय टीम खेलने के लिए सक्षम है और ऐसा देखा भी गया कि यह जनहित में थी। उन्हें एक बार टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति दे देने से याचिका पर सुनवायी का उद्देश्य ही विफल हो जाता। जहाँ तक अन्य याचिकाकर्ताओं का संबंध है, मामला संविदा के अधीन है और वह दोनो पक्षों के बीच का है जिससे इन याचिकाकर्ताओं से इसका कोई संबंध नहीं है। अत: हमें इस याचिका पर सुनवायी करने का कोई कारण नहीं दिखायी देता है। 3. माननीय उच्च न्यायालय, दिल्ली द्वारा उनके दिनांक 01 अक्तूबर 2003 के आदेशानुसार उपर्युक्त याचिका खारिज कर दिये जाने को ध्यान में रखते हुए एतद्वारा 24 जनवरी 2003 का ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 74 वापस लिया जाता है। 4.तद्नुसार, प्राधिकृत व्यापारी, सामान्य शर्तों पर , वर्ल्ड-कप से संबंधित बकाया आवेदनपत्रों के निपटान के लिए स्वतंत्र हैं। 5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों को अवगत कराएं। 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन जारी किए गए हैं। भवदीया |