भारिबैंक/2014-15/421 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 61 22 जनवरी 2015 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, निक्षेपागार रसीद योजना (डिपाज़िटरी रिसीट स्कीम) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल विनियमावली) की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. एडीआर/जीडीआर के अंतर्गत निवेश के लिए केंद्र सरकार द्वारा 15 दिसंबर 2014 से लागू "निक्षेपागार रसीद योजना, 2014" अधिसूचित की गई है। इसमें "विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों और साधारण शेयरों हेतु निक्षेपागार रसीद प्रणाली (डिपाज़िटरी रिसीट मेकेनिज़्म)] निर्गमन योजना, 1993" से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों में से, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों से संबंधित अंश को छोड़कर, शेष का निरसन (repeal) कर दिया गया है। 3. नई योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नवत हैं:
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3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 1, 2, 2ए, 3, 5 और 8 के अंतर्गत जिन प्रतिभूतियों में भारत से बाहर के निवासी निवेश करने के लिए अनुमत हैं, उन्हीं प्रतिभूतियों के संबंध में निक्षेपागार रसीद योजना, 2014 के तहत निक्षेपागार रसीदें जारी होने के लिए पात्र होंगी;
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निक्षेपागार रसीद योजना, 2014 में किए गए उपबंधानुसार, कोई व्यक्ति निक्षेपागार रसीदें जारी करने के प्रयोजनार्थ विदेशी निक्षेपागारों को पात्र प्रतिभूतियां जारी अथवा अंतरित कर सकेगा;
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भारत से बाहर के निवासियों द्वारा पहले से ही धारित पात्र प्रतिभूतियों सहित विदेशी निक्षेपागारों को निर्गमित अथवा अंतरित होने वाली पात्र प्रतिभूतियों का समग्र योग, समय-समय पर यथा संशोधित, फेमा विनियमों के तहत ऐसी पात्र प्रतिभूतियां विदेशियों द्वारा धारण किए जाने की सीमा से अधिक नहीं होगी;
"निक्षेपागार रसीदें" जारी करने के लिए ऐसी पात्र प्रतिभूतियाँ विदेशी निक्षेपागार को उससे कम कीमत पर जारी नहीं की जाएंगी, जिस पर वे फेमा, 1999 के अंतर्गत तदनुरूपी प्रणाली के तहत, घरेलू निवेशकों को जारी होंगी;
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यह नोट किया जाए कि यदि निक्षेपागार रसीदें जारी करने से कंपनी की पूंजी में वृद्धि होती है, तो शेयरों का निर्गम एवं आगम राशि का उपयोग फेमा, 1999 के अंतर्गत निर्मित विनियमों एवं जारी निर्देशों में निर्दिष्ट संबंधित शर्तों का अनुपालन करेंगी;
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निक्षेपागार रसीद योजना, 2014 के अनुसार प्रवर्तित/गैर प्रवर्तित निक्षेपागार रसीदों के निर्गम/अंतरण को घरेलू अभिरक्षक(कस्टोडियन) निर्गम/प्रोगाम के बंद होने से 30 दिनों के भीतर संलग्नक में दिए गए "फार्म DRR" में रिपोर्ट करेगा।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों/घटकों को अवगत कराएं। 5. 24 दिसंबर 2014 के जीएसआर सं. 914(ई) के जरिए रिज़र्व बैंक ने 15 दिसंबर 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 330/2014-आरबी के द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(सत्रहवां संशोधन) विनियमावली, 2014 के मार्फत अब मूल विनियमावली को संशोधित कर दिया है। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
22 जनवरी 2015 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.61 का संलग्नक फार्म DRR निक्षेपागार रसीदों के निर्गम/अंतरण के लिए प्रबंध करने वाले घरेलू अभिरक्षक(कस्टोडियन) द्वारा फाइल की जाने वाली विवरणी अनुदेश: घरेलू अभिरक्षक द्वारा इस फार्म को पूरा किया जाए एवं भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को प्रस्तुत किया जाए।
1. |
घरेलू अभिरक्षक(कस्टोडियन) का नाम |
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2. |
घरेलू अभिरक्षक(कस्टोडियन) का पता |
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3. |
प्रतिभूति(सिक्युरिटी) के ब्योरे |
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4. |
प्रतिभूति जारीकर्ता के ब्योरे |
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5. |
प्रतिभूति जारीकर्ता की गतिविधि(जिस गतिविधि में कंपनी प्रमुख रूप से संलग्न है उसका NIC कोड दें)1 |
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6. |
प्रवर्तित(Sponsored) अथवा अप्रवर्तित |
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7. |
यदि प्रवर्तित है, तो प्रवर्तक का नाम और पता |
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8. |
लीड मैनेजर/इन्वेस्टमेंट/मर्चेंट बैंकर का नाम और पता |
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9. |
निर्गम के उप-प्रबंधकों(Sub-managers) का नाम और पता |
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10. |
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के अनुमोदन/ मंजूरी के ब्योरे (यदि कंपनी में विदेशी निवेश विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के अनुमोदन/मंजूरी के अधीन हो) |
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11. |
क्या विदेशी निवेश के लिए कोई समग्र सेक्टोरल कैप लागू है? यदि हां, तो उसके ब्योरे दें। |
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12. |
यदि निक्षेपागार रसीदें (DRs) जारी करने से कंपनी की ईक्विटी पूंजी में वृद्धि होती हो अथवा वह कंपनी द्वारा प्रवर्तित हो तो: |
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ईक्विटी पूंजी के ब्योरे |
निर्गम से पूर्व |
निर्गम के बाद |
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(ए) प्राधिकृत पूंजी |
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(बी) निर्गमित एवं प्रदत्त पूंजी |
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(i) भारत में निवासियों के पास(held) |
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(ii) FIIs/NRIs/PIOs/OCBs से भिन्न विदेशी निवेशकों द्वारा धारित(प्रदत्त पूंजी के 10% से अधिक की धारिता वाले विदेशी निवेशकों की सूची दी जाए जिसमें प्रत्येक द्वारा धारित शेयरों की संख्या दी गई हो) |
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(iii) NRIs/PIOs द्वारा धारित |
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(iv) FIIS/QFIs/पंजीकृत FPIs द्वारा धारित |
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(सी) अनिवासियों द्वारा धारित ईक्विटी का कुल प्रदत्त पूंजी से प्रतिशत |
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(डी) आगम राशि के प्रत्यावर्तन/उपयोग का ब्योरा |
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13. |
जारी निक्षेपागार रसीदों की संख्या |
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14. |
निक्षेपागार रसीदों का अंतर्निहित प्रतिभूतियों से अनुपात |
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15. |
क्या निधियां विदेश में रखी गई हैं? यदि हां, तो संबंधित बैंक का नाम और पता |
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16. |
क्या निक्षेपागार रसीदें अंतर्राष्ट्रीय एक्स्चेंज/ ट्रेडिंग प्लेटफार्म में सूचीबद्ध हैं अथवा ट्रेड होती हैं। यदि हां, तो एक्स्चेंज/ट्रेडिंग प्लेटफार्म का नाम और पता। |
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स्टाक एक्स्चेंज का नाम |
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ट्रेडिंग प्रारंभ होने की तारीख |
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17. |
निक्षेपागार रसीद निर्गम किस तारीख को लांच हुआ था |
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प्रमाणित किया जाता है कि भारत सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का अनुपालन किया गया है।
सनदी लेखाकार का हस्ताक्षर |
कंपनी के प्राधिकृत हस्ताक्षरी का हस्ताक्षर |
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