अनिवासी (बाह्य) रुपया (एन आर इ) खातों में रखी जमाराशियां
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एन आर इ) खातों में रखी जमाराशियां
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 101/13.01.09/2002-03
29 अप्रैल 2003
9 वैशाख 1925(शक)
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एन आर इ) खातों में रखी जमाराशियां
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता योजना संबंधी 31 जुलाई 2002 के अपने मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 12/13.03.00/2002-03 में संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा यह निदेश देता है कि 29 अप्रैल 2003 से नयी अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों की अवधिपूर्णता सामान्यत: एक वर्ष से तीन वर्ष तक होगी । यह अनुदेश अवधिपूर्णता के बाद नवीकृत की जाने वाली वर्तमान अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर भी लागू होगा । यदि कोई बैंक अपनी आस्ति-देयता प्रबंधन की दृष्टि से 3 वर्ष से अधिक अवधिपूर्णता वाली जमाराशि स्वीकार करना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है बशर्ते ऐसी दीर्घावधि जमाराशियों की ब्याज दर 3 वर्ष की अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर लागू ब्याज दर से अधिक नहीं हो ।
(के. एल. खेतरपाल)
कार्यपालक निदेशक
अनिवासी (बाह्य) रुपया खातों
(एनआरई खातों) के अंतर्गत जमाराशियां
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी.102 /13.01.09/2002-03
29 अप्रैल 2003
9 वैशाख 1925(शक)
सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
अनिवासी (बाह्य) रुपया खातों
(एनआरई खातों) के अंतर्गत जमाराशियां
कृपया आप 14 मई 1994 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 54/13.01.09/94 का पैराग्राफ 2 देखें, जिसके अनुसार इस योजना के अंतर्गत मीयादी जमाराशि की न्यूनतम पूर्णताअवधि 46 दिन से बढ़ाकर 6 महीने की गयी थी।
2. जैसा कि गवर्नर महोदय के 29 अप्रैल 2003 के पत्र सं. एमपीडी. बीसी. 230/07.01.279/2002-03 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 की ‘‘मौद्रिक और ऋण नीति’’ संबंधी वक्तव्य के पैराग्राफ 84 एवं 85 (उद्धरण संलग्न) में उल्लेख किया गया है, यह निर्णय किया गया है कि सभी प्रकार की प्रत्यावर्तनीय जमाराशियों, चाहे वे विदेशी मुद्रा में हों या रुपये में, अवधिपूर्णता ढांचे में एकरूपता लायी जाये । तदनुसार, यह निर्णय किया गया है कि नयी अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों की अवधिपूर्णता सामान्यत: एक वर्ष से तीन वर्ष तक होगी। यह अनुदेश अवधिपूर्णता के बाद नवीकृत की जाने वाली वर्तमान अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर भी लागू होगा। यदि कोई बैंक अपनी आस्ति-देयता प्रबंधन की दृष्टि से 3 वर्ष से अधिक अवधिपूर्णता वाली जमाराशि स्वीकार करना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है बशर्ते ऐसी दीर्घावधि जमाराशियों की ब्याज दर 3 वर्ष की अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर लागू ब्याज दर से अधिक नहीं हो ।
3. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35क के अंतर्गत जारी किये जा रहे हैं और ये तत्काल प्रभावी होंगे ।
4. समय-समय पर यथासंशोधित 31 जुलाई 2002 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 12 /13.03.00/2002-03 में निहित अन्य अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे ।
5. 29 अप्रैल 2003 का संशोधनकारी निदेश बैंपविवि. सं. डीआाइआर. बीसी. 101/13.03.00/2002-03 संलग्न है ।
भवदीय
(आर. सी. अग्रवाल)
महा प्रबंधक
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