निवेशक वर्ग के रूप में समुद्रपारीय निगमित निकायों की मान्यता रद्द करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवेशक वर्ग के रूप में समुद्रपारीय निगमित निकायों की मान्यता रद्द करना
ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं. 14 सितंबर 16, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, निवेशक वर्ग के रूप में समुद्रपारीय निगमित निकायों की मान्यता रद्द करना सरकार के परामर्श से समुद्रपारीय निगमित निकायों की भारत में वर्तमान विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली के अंतर्गत विविध मार्गों / योजनाओं के अंतर्गत पात्र ‘‘निवेशक वर्ग’’ की उपलब्धता मान्यता रद्द करने का निर्णय किया गया है । 2. यह निर्णय प्रतिभूति बाज़ार घोटाला पर संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में समुद्रपारीय निगमित निकायों के निवेश कार्यकलापों की समीक्षा के अनुवर्तन के रूप में किया गया है । उक्त समीक्षा के आधार पर सरकार के परामर्श से निर्णय किया गया है कि (क) संविभाग निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत समुद्रापारीय निगमित निकायों पर नवंबर 2001 में लगाई रोक जारी रहेगी, (ख) ‘‘निवेशक वर्ग’’ सत्ता के रूप में समुद्रपारीय निगमित निकायों को मौजूदा विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली के अंतर्गत उपलब्ध विविध मार्गों / योजनाओं के अंतर्गत नए निवेश के लिए अनुमति नहीं होगी और नए एनआरई/एफसीएनआर (बैंक) और एनआर(ओ) खाते खोलने की संविधा भी वापस ल ली जाअगी, एवं (ग) अनिगमित सत्ताओं को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के अंतर्गत, स्वचालित मार्ग समेत, नया निवेश करने की अनुमति नहीं होगी । 3. तद्नुसार, तुरंत प्रभाव से निर्णय किया गया है कि - क. अनियमित सत्ता और समुद्रपारीय निगमित निकाय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना (स्वचालित मार्ग समेत) के अंतर्गत नया निवेश नहीं करेंगे । परंतु अनिगमित सत्ताओं और समुद्रपारीय निगमित निकाय शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों को उनकी विक्री/उनके मोचन होने तक रख सकेंगे । ख. समुद्रपारीय निगमित निकाय गैर प्रत्सावर्तनीय आधार पर शेयरों / परिवर्तनीय डिबेंचरों को उनकी विक्री/उनके मोचन होने तक अपने पास रख सकेंगे । ग. समुद्रपारीय निगमित निकाय सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों अथवा खज़ाना बिलों अथवा घरेलू म्यूचुअल फ़डों की यूनिटों अथवा भारत में मुद्रा म्यूचुअल फ़डों की यूनिटों अथवा प्रत्यावर्तनीय दोनों आधार पर राष्ट्रीय योजना /बचत प्रमाण पत्रों की खरीद नहीं कर सेकेंगे । परंतु समुद्रपारीय निगमित निकाय इन प्रतिभूतियों को उनकी विक्री तक रख सकते हैं । घ. भारत से बाहर रहने वाला निवासी व्यक्ति, समुद्रपारीय निगमित निकायों को अंतरित नहीं करेगा । श्व. समुद्रपारीय निगमित निकाय भारतीय कंपनी द्वारा अधिकार आधार पर दिए जा रहे ईक्विटी अथवा अध्मानी शेयरों अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों को नहीं खरीदेगा । च. भारतीय में निवासी व्यक्ति किसी समुद्रपारीय निगमित निकाय से विदेशी मुद्रा में उधार नहीं लेगा । छ. कोई भारतीय कंपनी समुद्रपारीय निगमित निकाय से गैर परिवर्तनीय डिबेंचरों में निवेश के माध्यम से प्रत्यावर्तनीय और गैर-प्रत्यावर्तनीय आधार पर रूपये में उधार नहीं लेगी । झ. समुद्रपारीय निगमित निकाय भारत तें प्राधिकृत व्यापारी कें पास कोई अनिवासी (बाह्य) रूपया खाता )एनआउई), विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) डएफसीएनआर (बेंक) खाता और निवासी असाधारण रूपया (एनआरओ) जमा खाता न तो खोलेगा और न अनुरक्षित करेगा । समुद्रपारीय निगमित निकायों के सभी मौजूदा एनआई (बचत, चालू) (नीचे पैरा 4 में उल्लिखित खातों के सिवाय) खातों को तुरंत बंद किया जाएगा और मूल रूप से प्राधिकृत तरीके से उसके शेष को शीघ्रता से प्रत्यावर्तित किया जाएगा । मौजूदा एनआरई जमा (आवर्ती अथवा मीयादी( एफ़सीएनआर (बैंक) खाते ओर अनिवासी साधारण रूपया (एनआरआ) जमा (आवर्ती अथवा मीयादी) खाते को उनकी मूल परिपक्वती तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है । एनआरई जमा और एफ़सीएनआर (बैंक) की परिपक्वता आय को शीघ्रता से प्रत्यावर्तित किया जाएगा । समुद्रपारीय निगमित निकायों के नाम में कोई नया एनआरई/एफ़सीएनआर/एनआरओ खाते नहीं खोले जाएंगे और किसी जमा का नवीकरण नहीं किया जाएगा । 4. यह ध्यान रखा जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक की पूर्व अनुमति के बिना जिन विनिर्दिष्ट समुद्रपारीय निगमित निकायों के खातों का परिचालन करने के लिए मना किया गया है वे अनुदेश जारी रहेंगो । 5. प्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेश (निवेश संबंधी आय जो प्रत्यावर्तनीय है, उनके समेत) के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी प्राधिकृत किए गए के अनुसार उनका प्रत्यावर्तन करने की अनुमति दें । गैर-प्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेशों के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी अपने समुद्रपारीय ग्राहकों से निधियों के निपटान के लिए अनुरोध प्राप्त करने की व्यवस्था करेंगे और इस संबंध में रिज़र्व बैंक से मामला दर मामला आधार पर विनिर्दिष्ट अनुमोदन प्राप्त करेंगे । 6. नवंबर 29, 2001 के ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र क्र.13 के अनुसार संविभाग निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत समुद्रनारीय निगमित निकायों पर लगाई गई रोक जारी रहेगी । परंतु वे संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत खरीदे गए शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों को तब तक रख सकते है जब तक कि वे भारत में स्टॉक एक्सचेंज पर बेच नहीं दिए जाते । 7. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली में संगत संशोधन की अधिसूचनाएं अलग से जारी की जा रही है । 8. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 9. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीय (ग्रेस कोशी) |