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अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण

आरबीआई/2013-14/215
शबैंवि.बीपीडी. (पीसीबी) परि. सं. 8/13.01.000/2013-14

3 सितंबर 2013

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण

कृपया अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण पर दिनांक 28 दिसंबर 2011 का हमारा परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पसीबी) परि.सं.16/13.01.000/2011-12 देखें।

2. उक्त के पैरा 2 के अनुसार बैंकों द्वारा एनआरई जमाराशियों पर दी जाने वाली ब्याज दरें उन ब्याज दरों से अधिक नहीं हो सकती जो उनके द्वारा तुलनीय घरेलू रुपया जमाराशियों पर दी जाती है। तथापि, तीन वर्ष और उससे अधिक की परिपक्वता अवधि की वृद्धिशील एनआरई जमाराशियों पर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर)/सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर देनेवाली छूट के लाभ को आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को ऐसी जमाराशियों पर किसी उच्चतम सीमा के बिना ब्याज दर निर्धारित करने की स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया गया है। एनआरओ खातों पर मौजूदा उच्चतम सीमा जारी रहेगी।

3. इस संबंध में समय-समय पर यथासंशोधित अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।

4. ये अनुदेश 30 नवंबर 2013 तक वैध होंगे तथा समीक्षाधीन रहेंगे।

5. 30 अगस्त 2013 का संशोधनकारी निदेश शबैंवि.बीपीडी.डीआईआर.सं. 3 /13.01.000/2013-14 संलग्‍न है।

भवदीय,

(ए.के.बेरा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक


शबैंवि.बीपीडी.डीआइआर.सं.3/13.01.000/2013-14

30 अगस्‍त 2013

अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और अनिवासी (बाह्य) (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण पर 28 दिसंबर 2011 के निदेश शबैंवि.बीपीडी.डीआइआर.सं.5/13.01.000/2011-12 में संशोधन करते हुए इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक तथा समयोचित है, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा निदेश देता है कि बैंक तीन वर्ष और उससे अधिक की परिपक्वता अवधि की अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर किसी उच्चतम सीमा के बिना ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर मौजूदा उच्चतम सीमा जारी रहेगी। ये अनुदेश 30 नवंबर 2013 तक वैध होंगे तथा समीक्षाधीन रहेंगे।

(एस.करुप्‍पसामी)
कार्यपालक निदेशक

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