विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (2) के तहत एक व्यक्ति का पदनाम और अधिनियम की चौथी अनुसूची में सूचीबद्ध करने के संबंध में - आरबीआई - Reserve Bank of India
विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (2) के तहत एक व्यक्ति का पदनाम और अधिनियम की चौथी अनुसूची में सूचीबद्ध करने के संबंध में
भारिबै/ 2023-24/133 विवि.एएमएल. आरईसी. 82 /14.06.001/2023-24 08 मार्च 2024 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय,
विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (2) के तहत एक व्यक्ति का पदनाम और अधिनियम की चौथी अनुसूची में सूचीबद्ध करने के संबंध में अपने ग्राहक को जानिए पर 25 फ़रवरी 2016 को पारित (04 जनवरी 2024 को संशोधित) हमारे मास्टर निदेश की धारा 53 ए एवं धारा 51 का संदर्भ लें। यथा निर्धिष्ठ धाराओं के अनुसार, “दिनांक 2 फरवरी 2021 के यूएपीए आदेश में निर्धारित प्रक्रिया (इस मास्टर निदेश का अनुबंध II) का सख्ती से पालन किया जाएगा और सरकार द्वारा जारी आदेश का सावधानीपूर्वक अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।“ इसके अलावा, उपरोक्त मास्टर निदेश की धारा 51 (बी) में वर्णित है कि, ‘’दिनांक 02 फरवरी 2021 (इस मास्टर निदेश का अनुबंध II) की यूएपीए अधिसूचना की अपेक्षा के अनुसार गृह मंत्रालय को सूचित करने के अलावा सूची में किसी भी व्यक्ति/संस्था से मिलते-जुलते खातो का विवरण एफआईयू-आईएनडी को सूचीत किया जाएगा।“ इस संबंध मे, यह रेखांकित किया गया है कि केवाईसी, 2016 पर एमडी के अनुबंध II में वर्णित यूएपीए आदेश उक्त आदेश में उल्लिखित यूएनएससी सूचियों के अलावा यूएपीए, 1967 की अनुसूची I और IV में किए गए संशोधनों पर भी लागू होगा। 2. इस संबंध में, कृपया गृह मंत्रालय की दिनांक 07 मार्च 2024 की राजपत्र अधिसूचना का संदर्भ ले, जिसमे एक व्यक्ति को'आतंकवादी' घोषित किया गया है और यूएपीए 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (2) के तहत यूएपीए 1967 की अनुसूची IV में सूचीबद्ध किया गया है। सांविधिक आदेश (एस.ओ.) संख्या और संबंधित प्रविष्टि नीचे दी गई है:
3. विनियमित संस्थाओं (आरई) को गृह मंत्रालय द्वारा जारी उपर्युक्त राजपत्र अधिसूचना पर ध्यान देने एवं उनका आवश्यक अनुपालना करने हेतु सूचित किया जाता है। आरई तत्काल आवश्यक अनुपालन के लिए यूएपीए, 1967 की अनुसूची I और IV में भविष्य में होने वाले किसी भी संशोधन पर भी ध्यान देंगे।
भवदीय, |