कच्चे कीमती और मध्यम कीमती रत्नों के आयात हेतु आयात बिलों/ दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
कच्चे कीमती और मध्यम कीमती रत्नों के आयात हेतु आयात बिलों/ दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति - उदारीकरण
आरबीआइ/2007-08/284
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.37
अप्रैल 16, 2008
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
कच्चे कीमती और मध्यम कीमती रत्नों के आयात हेतु आयात बिलों/ दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I का ध्यान फरवरी 6, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.66 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को उन आयातों के लिए प्रेषण अनुमति दी जाती है, जहां आयातक ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से सीधे आयात बिल/ दस्तावेज प्राप्त किया है और आयात बिलें का मूल्य 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं है। इसके अलावा उपर्युक्त परिपत्र के संलग्नक के i.ग. के अनुसार विदेश व्यापार नीति के तहत यथापरिभाषित हैसियतवाले निर्यातकों को आयात के मूल्य पर विचार किए बगैर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से सीधे आयात बिल/ दस्तावेज़ प्राप्त करने की अनुमति है।इसके अलावा, नवंबर 7,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.18 के अनुसार ,एक क्षेत्र विशेष उपाय के रूप में कच्चे हीरों के आयात के मामले में, गैर-हैसियत धारक निर्यातकों द्वारा आयात बिल/दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति के लिए आयात मूल्य को 100,000 अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 300,000 अमरीकी डॉलर कर दिया गया।
2. जेम्स एण्ड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ने अभिवेदन किया है कि गैर-हैसियत धारक निर्यातकों के लेनदेन लागत को कम करने के लिए वर्तमान प्रतिबंधों में ढ़ील दी जाए और कच्चे कीमती और मध्यम कीमत के रत्नों के आयात को भी इस बढ़ेत्तरी का लाभ दिया जाए ।
3 अत: यह निर्णय लिया गया है कि एक क्षेत्र विशेष उपाय के रूप में, गैर-हैसियत धारक निर्यातकों द्वारा कच्चे कीमती और मध्यम कीमत के रत्नों के आयात के मामले में, आयात बिल/दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति की सीमा को 100,000 अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 300,000 अमरीकी डॉलर कर दिया जाए — तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को 300,000 अमरीकी डॉलर तक के आयात के प्रेषण की अनुमति दी जाती है, जहां कच्चे कीमती और मध्यम कीमत के रत्नों के आयातक ने विदेशी आपूर्तिकर्ता से सीधे आयात बिल/ दस्तावेज प्राप्त किया है तथा आयातक आयात के दस्तावेज़ी सबूत प्रेषण के समय प्रस्तुत करता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन ऐसे लेनदेन कर सकते हैं
(i) आयात प्रचलित विदेशी व्यापार नीति के अधीन होगा।
(ii) लेनदेन उनके वाणिज्यिक निर्णय पर आधारित हैं और वे लेनदेन की वास्तविकता के संबंध में संतुष्ट हैं।
(iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अपने ग्राहकों को जानिए और समुचित सावधानी का पालन करें तथा आयातक ग्राहक की वित्तीय स्थिति/ हैसियत और पिछले कार्य-निष्पादन से पूरी तरह संतुष्ट हो। यह सुविधा प्रदान करने से पहले वे विदेशी बैंकर अथवा विदेशी ख्याति प्राप्त साख एजेंसी से प्रत्येक विदेशी आपूर्तिकर्ता के संबंध में रिपोर्ट भी प्राप्त करें।
4. फरवरी 06, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.66 और नवंबर 7,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 18 की अन्य सभी शर्तें यथावत रहेंगी।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक