आयात बिलों/दस्तावेजों की सीधी प्राप्ति-उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
आयात बिलों/दस्तावेजों की सीधी प्राप्ति-उदारीकरण
आरबीआई/2008-09/149
एपी(डी आईआर सिरीज़)परिपत्र सं.13
01 सितंबर, 2008
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदय / महोदया
आयात बिलों/दस्तावेजों की सीधी प्राप्ति-उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 06 फरवरी 2004 के एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.66 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार,जहाँ पर आयातक समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता से आयात बिल/दस्तावेज सीधे स्वयं प्राप्त करता है और आयात बिल 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक का नहीं है तो , प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को आयात के लिए विप्रेषण भेजने की अनुमति है ।
2. प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से आयात बिलों /दस्तावेजों की सीधे प्राप्ति की सीमा को बढाकर 300,000 अमरीकी डालर तक करने का निर्णय लिया गया है। तद्नुसार, जहाँ पर आयातक द्वारा समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता से आयात बिल/दस्तावेज सीधे स्वयं प्राप्त कर लेता है और आयात बिल 300,000 अमरीकी डॉलर से अधिक न हो, तो , प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ,आयात के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन विप्रेषण भेज सकते हैं ;
(i) आयात मौजूदा विदेश व्यापार नीति के अनरूप हो।
(ii) लेनदेन वाणिज्यिक निर्णय पर आधारित हो और प्राधिकृत व्यापारी बैंक श्रेणी-I लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हो।
(iii) आयातक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक का ग्राहक हो और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अपने ग्राहक को जानिए /धन शोधन निवारक वर्तमान अनुदेशों का पूरी तरह से अनुपालन किया गया हो।
(iv) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक , समुचित सावधानी बरतें और आयातक ग्राहक की वित्तीय स्थिति /हैसियत तथा पिछले कार्य निष्पादन के रिकॉर्ड से संतुष्ट हों।
(v) समुद्रपारीय निर्यातक से आयात बिल /दस्तावेज सीधे स्वयं प्राप्त करना इस व्यापार का चलन है ।
(vi) यदि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को लेनदेन की वास्तविकता में संदेह हो तो संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट(एसटीआर) के जरिए फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ऑफ इंडिया को सूचित किया जाए ।
3. विदेश व्यापार नीति के तहत,यथापरिभाषित, हैसियत वाले निर्यातकों द्वारा सीधे प्राप्त आयात बिलों /दस्तावेजों के लिए , 06 फरवरी 2004 के एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.66 के संलग्नक की मद सं.iग द्वारा जारी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे । इसके अतिरिक्त , कच्चे हीरों , कच्चे प्रीसियस तथा सेमी-प्रीसियस स्टोन के लिए गैर- हैसियत वाले आयातकों द्वारा आयात बिलों /दस्तावेजों के लिए 07 नवंबर 2007 के एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.18 और 16 अप्रैल 2008 के एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.37 द्वारा जारी अनुदेश यथावत बने रहेंगे ।
4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राकों को अवगत करा दें।
5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक