(i)स्वीकृत ऋण सीमाओं के अंतर्गत ऋण का वितरण (ii)छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) की बकाया राशि की पुनर्रचना करना
आरबीआइ/2008-09/219
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 58/21.04.048/2008-09
13 अक्तूबर 2008
21 आश्विन 1930 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
महोदय
(i)स्वीकृत ऋण सीमाओं के अंतर्गत ऋण का वितरण
(ii)छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) की बकाया राशि की पुनर्रचना करना
हमारी जानकारी में यह बात आयी है कि देश के बाज़ारों में हाल में चलनिधि में कुछ कमी होने की स्थिति के कारण कुछ बैंक अपने ग्राहकों को स्वीकृत ऋण सीमा के अंतर्गत कार्यशील पूंजी सीमा और मीयादी ऋण (अल्पावधि ऋण सहित) का वितरण करने से ऐसे मामलों में भी कतरा रहे हैं, जहां ग्राहक के खाते में आहरण अधिकार उपलब्ध है तथा ऋण की स्वीकृति की सभी शर्तों का अनुपालन किया गया है ।
2. बाज़ार में चलनिधि की स्थिति में सुधार को देखते हुए संबंधित बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे सभी मामलों की समीक्षा करें तथा अपने सामान्य वाणिज्यिक विवेक का अनुसरण करते हुए स्वीकृत सीमा के आहरण की अनुमति दें ।
3. इसके अलावा, 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. सं. 37/ 21.04.132/ 2008-09 के द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश जारी किये गये हैं ।यह ज्ञात हुआ है कि कुछ बैंक आवश्यकतानुसार छोटे और मझौले उद्यमों की बकाया राशि की पुनर्रचना नहीं कर रहे हैं । अत:, संबंधित बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे मामले के गुण दोष के आधार पर उक्त दिशानिर्देशों के अंतर्गत छोटे और मझौले उद्यमों की बकाया राशि की पुनर्रचना पर विचार करें ।
भवदीय
(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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