वित्तीय विवरणों के “लेखे पर टिप्पणियां” में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने के संबंध में मतभेद - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय विवरणों के “लेखे पर टिप्पणियां” में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने के संबंध में मतभेद
भा.रि.बैं./2016-17/283 18 अप्रैल, 2017 सभी वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, वित्तीय विवरणों के “लेखे पर टिप्पणियां” में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने के संबंध में मतभेद कृपया उपर्युक्त विषय पर 29 सितंबर 2015 को घोषित चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2015-16 का पैरा 22 (उद्धरण संलग्न) देखें। 2. भारतीय रिज़र्व बैंक अपनी पर्यवेक्षी प्रक्रिया के एक अंग के रूप में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने (आईआरएसीपी) से संबंधित मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों के संबंध में बैंकों के अनुपालन की स्थिति का मूल्यांकन करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक के मानदंडों से बैंकों के आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने के संबंध में महत्वपूर्ण भेद होने के उदाहरण सामने आये हैं, जिनके कारण प्रकाशित वित्तीय विवरण बैंक की सही एवं उचित वित्तीय स्थिति नहीं दर्शाता है। 3. आईआरएसीपी मानदंडों के अनुपालन के संबंध में और अधिक पारदर्शिता लाने और बेहतर अनुशासन के लिए यह निर्णय लिया गया है कि, जहाँ (क) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित अतिरिक्त प्रावधान करने संबंधी अपेक्षा संदर्भित अवधि के लिए कर पश्चात प्रकाशित निवल लाभ के 15 प्रतिशत से अधिक हो अथवा (ख) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा चिन्हित अतिरिक्त सकल एनपीए संदर्भित अवधि के लिए प्रकाशित वृद्धिशील सकल एनपीए1 के 15 प्रतिशत से अधिक हो, अथवा दोनों हो, बैंक अनुबंध के अनुसार समुचित प्रकटीकरण करेंगे। 4. उपर्युक्त प्रकटीकरण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को ऐसे मतभेद की सूचना देने के तुरंत बाद प्रकाशित आगामी वार्षिक वित्तीय विवरणों में “लेखे पर टिप्पणियों” में किए जाएंगे। 5. वार्षिक वित्तीय विवरणों के लेखे पर टिप्पणियों में प्रकटीकरण को वित्तीय विवरणों में प्रकटीकरण – लेखे पर टिप्पणियां पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र सं. बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.23/21.04.018/2015-16 के पैरा 3.4 में दिए गए संदर्भ के अनुसार उप-शीर्ष आस्ति गुणवत्ता (अनर्जक आस्तियां) के अधीन शामिल किया जाए। 6. वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पाये गए ऐसे मतभेदो का पहला प्रकटीकरण मार्च 31, 2017 को समाप्त वर्ष के वित्तीय विवरणो के “लेखे पर टिप्पणियों” मे किया जाएगा। 7. उक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के प्रावधानों के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं। यह नोट किया जाए कि उक्त अनुदेशों के किसी भी प्रकार से उल्लंघन / गैर-अनुपालन की स्थिति में उक्त अधिनियम के अधीन दंड लगाया जाएगा। भवदीय, (एस.एस. बारिक) आस्ति वर्गीकरण और एनपीए के लिए प्रावधान करने के संबंध में मतभेद –
29 सितंबर 2015 का चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2015-16 का उद्धरण 22. अपनी पर्यवेक्षणात्मक प्रक्रिया के एक अंग के रूप में रिज़र्व बैंक आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण (आईआरएसीपी) के मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों के संबंध में बैंकों के अनुपालन की स्थिति का मूल्यांकन करता है। जहां तक आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण का संबंध है, बैंकों और पर्यवेक्षकों में मतभेद है। आईआरएसीपी मानदंडों के साथ ही अन्य स्टेकहोल्डरों को संबद्ध कराने की दृष्टि से और अधिक पारदर्शिता लाने, बेहतर अनुशासन के लिए रिज़र्व बैंक विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक अंतर पाए जाने की स्थिति में बैंकों के वित्तीय विवरणों में बताई जाने वाली लेखा टिप्पणियों में कतिपय प्रकटीकरणों को अनिवार्य बनाएगा। तत्संबंधी अनुदेश अलग से जारी किए जा रहे हैं। 1 प्रकाशित वृद्धिशील सकल एनपीए “वित्तीय विवरणों में प्रकटीकरण – लेखे पर टिप्पणियां” पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र सं. बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.23/21.04.018/2015-16 के पैरा 3.4.1 (ii) (ख) के अनुसार होंगे। |