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वित्तीय विवरणों के “लेखे पर टिप्पणियां” में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण में विचलन

भा.रि.बैं./2018-19/157
बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.32/21.04.018/2018-19

1 अप्रैल, 2019

सभी वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदया/महोदय,

वित्तीय विवरणों के “लेखे पर टिप्पणियां” में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण में विचलन

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 18 अप्रैल 2017 का हमारा परिपत्र बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.63/21.04.018/2016-17 देखें, जिसमें आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधीकरण संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों से विचलन, एक निर्धारित सीमा से अधिक होने पर बैंकों द्वारा प्रकटीकरण की अपेक्षा की गई है।

2. यह देखा गया है कि कर पश्चात कम या नकारात्मक निवल लाभ के कारण कुछ बैंकों को विचलन का प्रकटीकरण वहाँ भी करने की आवश्यकता होती है, जहां भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित अतिरिक्त प्रावधानीकरण बहुत कम है। यह इस विनियामकीय अभिप्राय के विपरीत है कि केवल बड़े विचलनों का ही प्रकटीकरण किया जाना चाहिए। अतः, यह निर्णय लिया गया है कि इसके बाद से बैंक तब प्रकटीकरण करें, जब कि निम्नलिखित शर्तों में से कोई एक या दोनों पूरे होते हों:

क) एनपीए के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित अतिरिक्त प्रावधानीकरण अपेक्षा संदर्भित अवधि के लिए प्रावधान और आकस्मिक व्यय पूर्व रिपोर्ट किए गए निवल लाभ के 10 प्रतिशत से अधिक हो, तथा

(ख) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा चिन्हित अतिरिक्त सकल एनपीए संदर्भित अवधि के लिए प्रकाशित वृद्धिशील सकल एनपीए के 15 प्रतिशत से अधिक हो,

3. हमारे 18 अप्रैल 2017 के उक्त परिपत्र में दिए गए शेष सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।

भवदीय

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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