भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अधीन विवाद समाधान कार्यविधि - आरबीआई - Reserve Bank of India
भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अधीन विवाद समाधान कार्यविधि
आरबीआइ/2010-11/213 24 सितंबर 2010 अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अधीन विवाद समाधान कार्यविधि भुगतान प्रणालियों के प्रणाली प्रदाता तथा प्रणाली सहभागियों से विभिन्न भुगतान प्रणालियों में समाशोधन और निपटान संबंधी विवादों को सुलझाने में स्पष्टता,व्याप्ति तथा एकरूपता संबंधी संदर्भ प्राप्त हो रहे हैं। भुगतान प्रणाली परिचालनों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने,प्रणाली प्रदाता को आवश्यक प्राधिकार उपलब्ध कराने, वांछित अनुशासन का पालन न करने पर जवाबदेही निर्धारित करने, विघ्नकारी आचरण को दंड देने, आदि के लिए विवादों का शीघ्र तथा सामायिक निपटान करना आवश्यक है। एक सुव्यवस्थित तथा औपचारिक विवाद समाधान ढाँचा के न होने से प्रणाली के सहभागियों के बीच, प्रणाली के सहभागियों तथा प्रणाली प्रदाता के बीच, प्रणाली प्रदाताओं के बीच, आदि विवादों के सामायिक समाधान में बाधा तो आती ही है, और ऐसी परिस्थितियों में अपक्षित पारदर्शिता तथा एकरूपता भी नहीं रहती। 2. भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (भुनिप्र अधिनियम) से औपचारिक विवाद समाधान ढाँचा स्थापित करने के लिए विधिक आधार मिलता है। तदनुसार,देश में परिचालन करने के लिए प्राधिकृत सभी भुगतान प्रणालियों के प्रणाली प्रदाताओं तथा प्रणाली सहभागियों द्वारा अनुपालन करने के लिए एक विवाद समाधान कार्यविधि (संलग्न) तैयार की गई है। 3. विवाद समाधान कार्यविधि का क्षेत्र सामान्यतया भुगतान उत्पादों के संबंध में नियमों, विनियमों, परिचालन तथा कार्यविधि संबंधी दिशानिर्दिशों, प्रणाली प्रदाताओं द्वारा जारी विभिन्न अनुदेशों, समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों तथा निदेशों, आदि की व्याख्या, संवीक्षा तथा समाधान तक सीमित रहेगा। 4. कार्यविधि का प्रयोग प्रणाली सहभागियों (या प्रदाताओं) के उन कार्यों के लिए नहीं किया जाएगा जो प्रथम दृष्टि में धोखाधाड़ी के हैं या उनके आंतरिक परिचालन से संबधित हैं या भुगतान तथा निपटान प्रणाली की बुनियादी सुविधाओं से बाहर हैं। 5. विवाद समाधान कार्यविधि सिस्टम सहभागियों तथा उनके ग्राहकों (अंतिम प्रयोगकर्ताओं), भुगतान प्रणाली के सदस्यों के बीच तथा उनके उप-सदस्यों या स्वयं उप-सदस्यों के बीच विवादों पर लागू नहीं होगा । 6. ये अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक को भुनिप्र अधिनियम (2007 का अधिनियम 51) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अधीन जारी किए जा रहे हैं। सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को एतद्द्वारा निदेश दिया जाता है कि वे इस परिपत्र की तारीख से तीन महीने के भीतर विवाद समाधान कार्यविधि स्थापित करें। भवदीय, (जी. पद्मनाभन) अनु: विवाद समाधान कार्यविधि दिनांक 24 सितंबर, 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी. सं.654/03.01.03/ 2010-2011 का अनुलग्नक विवाद समाधान कार्यविधि 1. कागज़ (चेक) तथा खुदरा इलैक्ट्रानिक (ईसीएस) भुगतान उत्पादों सहित समाशोधन गृह से संबंधित सभी गतिविधियां - क) सभी समाशोधन गृह एक ''विवाद समाधान पैनल'' (विसपै या पीआरडी) गठित करेंगे जिसमें पांच सदस्य होंगे। समाशोधन गृह की स्थायी समिति से चार सदस्य - (प्रणाली सहभागी) तथा समाशोधन गृह का अध्यक्ष - जो समाशोधन गृह से संबंधित सभी विवादों का हल निकालेगी। चार प्रणाली सहभागी प्रणाली प्रदाता (समाशोधन गृह का प्रबंधन कर रहा बैंक) से अलग होंगे। ख) पीआरडी की अध्यक्षता समाशोधन गृह का अध्यक्ष करेंगे । ग) जो प्रणाली सहभागी पीआरडी के सदस्य हैं उनसे संबंधित विशिष्ट विवादों के मामले में, विशिष्ट विवादों को सुलझाने के सीमित प्रयोजन के लिए संबंधित सदस्यों का स्थान अन्य प्रणाली सहभागी ले लेंगे। घ) विवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवस के भीतर पीआरडी विवाद का निपटान करेगा। ड) जिन समाशोधन गृहों में कम सदस्य (प्रणाली सहभागी) हैं, प्रणाली प्रदाता सहित कुल मिलाकर पांच या कम, तथा/या जहां, उपर्युक्त (ग) के कारण, पीआरडी में सदस्यों की संख्या पांच से कम हो जाती है, तो आर्टिबैट्रिशन एण्ड कन्सिलिएशन अधिनियम, 1996 के अधीन विवाचन के लिए प्रणाली सहभागियों के बीच समाशोधन से संबंधित विवाद स्वैच्छिक रूप से (संबंधित प्रणाली सहभागियों द्वारा) प्रस्तुत किए जाने चाहिए। च) यदि विवाद के संबंध में कोई पक्ष पीआरडी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो भुनिप्र अधिनियम की धारा 24 की उप-धारा (3) के अनुसार विवाद को भारतीय रिज़र्व बैंक में अपील अधिकारी को भेज दिया जाएगा। यह संदर्भ भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को किया जाएगा जो संबंधित समाशोधन गृह का प्रशासनिक नियंत्रण करता है। ये संदर्भ कम से कम उप महाप्रबंधक के स्तर के अधिकारी द्वारा निपटाए जाएंगे जो भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा विशेष रूप से प्राधिकृत किया जाएगा। चार मैट्रो केन्द्रों पर रिज़र्व बैंक द्वारा प्रबंध किए जा रहे समाशोधन केन्द्रों के संबंध में,भारतीय रिज़र्व बैंक के केन्द्रीय कार्यालय में भुगतान तथा निपटान प्रणाली विभाग का प्रभारी अधिकारी पैनल के निर्णय से असंतुष्ट पार्टी के लिए अपील प्राधिकारी होगा। छ) अपील प्राधिकारी अपील प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर अपील का निपटान करेगा। ज) भुनिप्र अधिनियम की धारा 24 की उप धारा 3 के अनुसार प्रणाली सहभागियों तथा प्रणाली प्रदाता के बीच या सिस्टम प्रदाताओं के बीच विवाद उपर्युक्तानुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को संदर्भित किया जाएगा। विवाद का निपटान विवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर किया जाएगा। झ) ऐसे विवादों में जहां भारतीय रिज़र्व बैंक एक पक्ष है (प्रणाली सहभागी या प्रणाली प्रदाता के रूप में), विवाद केन्द्र सरकार को भेज दिया जाएगा जो कम से कम संयुक्त सचिव के स्तर के अधिकारी को विवाद का निपटान करने के लिए प्राधिकृत करेगी और ऐसे अधिकारी का निर्णय अंतिम होगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा। 2. ऐसे सभी उत्पादों के लिए जो राष्ट्रीय स्वरुप के हैं अर्थात् नेशनल इलैक्ट्रानिक क्लीयरिंग सर्विस (एनईसीएस), नेशनल इलैक्ट्रानिक फंड्स ट्रांस्फर (एनईएफटी) तथा रीयल टाइम ग्रास सैटलमैंट (आरटीजीएस) प्रणाली:- क) उपर्युक्त 1(क) के अनुसार पीआरडी में संयोजन समिति (स्थायी समिति, जहां लागू हो) के सदस्य होंगे तथा संयोजन समिति का अध्यक्ष (स्थायी समिति, जहां लागू हो) पीआरडी का अध्यक्ष होगा। उपर्युक्त 1(ग) पर दी गई कार्यविधि अपनाई जाएगी। ख) पीआरडी विवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर विवाद का निपटान करेगा। ग) यदि कोई पक्ष विवाद के संबंध में पीआरडी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो भुनिप्र अधिनियम की धारा 24 की उप-धारा (3) के अनुसार, विवाद को भारतीय रिज़र्व बैंक में अपीलीय प्राधिकारी को भेज दिया जाएगा। यह भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान तथा निपटान प्रणाली विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को भेजा जाएगा। यदि कोई पक्ष पैनल के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह विभाग के प्रभारी अधिकारी से संपर्क कर सकती है जो अपील प्राधिकारी होगा। घ) अपील प्राधिकारी अपील प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर अपील का निपटान करेगा। ड) ऐसे विवादों में जहां रिज़र्व बैंक एक पक्ष है (प्रणाली सहभागी या प्रणाली प्रदाता के रूप में), विवाद केन्द्र सरकार को भेज दिया जाएगा जो कम से कम संयुक्त सचिव के स्तर के अधिकारी को विवाद का निपटान करने के लिए प्राधिकृत करेगी और ऐसे अधिकारी का निर्णय अंतिम होगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा। 3.सभी भुगतान प्रणालियों (रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित प्रणालियों को छोड़ कर) जैसे सीसीआइएल , एनपीसीआई, एटीएम नेटवर्क, क्रास बार्डर धन अंतरण, कार्ड, आदि। क) उपर्युक्त 1(क) के अनुसार पीआरडी में संचालन/स्थायी/प्रयोक्ता/सदस्य समिति (जो लागू हो) में से सदस्य होंगे और समिति (जो लागू हो) का अध्यक्ष पीआरडी का अध्यक्ष होगा। उपर्युक्त 1(ग) पर दी गई कार्यविधि अपनाई जाएगी। ख) यदि संचालन/स्थायी/प्रयोक्ता/सदस्य समिति का प्रावधान नहीं है, तो पीआरडी में पांच सदस्य होंगे- भुगतान प्रणाली प्रदाता तथा चार प्रणाली सहभागी । भुगतान सिस्टम प्रदाता पीआरडी का अध्यक्ष होगा। पीआरडी में सदस्यों की सदस्यता अवधि एक वर्ष होगी। ग) पीआरडी विवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर विवाद का निपटान करेगा। घ) यदि कोई पक्ष विवाद के संबंध में पीआरडी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो भुनिप्र अधिनियम की धारा 24 की उप-धारा (3) के अनुसार, विवाद को भारतीय रिज़र्व बैंक में अपील प्राधिकारी को भेज दिया जाएगा। यह भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान तथा निपटान प्रणाली विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को भेजा जाएगा। यदि कोई पक्ष पैनल के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह विभाग के प्रभारी अधिकारी से संपर्क कर सकती है जो अपील प्राधिकारी होगा। ड.) अपील प्राधिकारी अपील प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर अपील का निपटान करेगा। च) भुनिप्र अधिनियम की धारा 24 की उप धारा (3) के अनुसार प्रणाली सहभागियों तथा प्रणाली प्रदाता के बीच या प्रणाली प्रदाताओं के बीच विवाद उपर्युक्तानुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को संदर्भित किया जाएगा। विवाद का निपटान विवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर किया जाएगा। छ) ऐसे विवादों में जहां भारतीय रिज़र्व बैंक एक पक्ष है (प्रणाली सहभागी या प्रणाली प्रदाता के रूप में), विवाद केन्द्र सरकार को भेज दिया जाएगा जो कम से कम संयुक्त सचिव के स्तर के अधिकारी को विवाद का निपटान करने के लिए प्राधिकृत करेगी और ऐसे अधिकारी का निर्णय अंतिम होगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा। 4. पीआरडी के निर्णयों को लागू करना पीआरडी वह अवधि विनिर्दिष्ट करेगी जिसके भीतर संबंधित प्रणाली प्रदाताओं/ प्रणाली सहभागियों द्वारा पीआरडी के आदेश का अनुपालन किया जाएगा। अनुपालन न होने पर, असंतुष्ट पार्टी निदान के लिए अपील प्राधिकारी से संपर्क कर सकती है। अपील प्रधिकारी के आदेश का अनुपालन न करने पर भुनिप्र अधिनियम की धारा 26 की उप-धारा (6) के अधीन दंड लगाया जा सकता है । लेकिन, जहां पीआरडी के आदेश से असंतुष्ट कोई पक्ष अपील प्राधिकारी से समीक्षा के लिए संपर्क करती है, तो पीआरडी द्वारा पारित आदेश आस्थगित रखा जाएगा। लेकिन पीआरडी के लिए यह उचित होगा कि धन वापसी/मुआवज़े की राशि निर्धारित करे और ऐसी राशि अंतरिम खाते या ट्रस्ट में रखी जाए जब तक कि अपील प्राधिकारी अपील का निपटान न कर दे और उसके बाद ही राशि का तदनुसार विनियोजन किया जाएगा। (नोट: प्रणाली सहभागी शब्द को सदस्य बैंकों, भुगतान नेटवर्कों/ प्रणाली के सदस्य के के साथ परस्पर प्रयोग किया गया है। प्रणाली प्रदाता का अभिप्राय है समाशोधन गृह का प्रबंधन/संचालन कर रहा बैंक या भुगतान प्रणाली का संचालन कर रही संस्था) |