जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर मसौदा प्रकटीकरण ढांचा, 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर मसौदा प्रकटीकरण ढांचा, 2024
आरबीआई/2023-24/
विवि.एसएफ़जी.आरईसी. /30.01.021/2023-24
28 फरवरी 2024
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंक, भुगतान बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
सभी टियर-IV प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (अर्थात एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएबीएफआईडी, एनएचबी और सिडबी)
सभी शीर्ष और उच्च स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)
महोदया / महोदय,
जलवायु संबंधी जोखिम उभरते हुए अनेक जोखिमों में से एक हैं और इनका विनियमित संस्थाओं (आरई) पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता पर भी प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जाती है।
2. जलवायु परिवर्तन की बढ़ती आशंका और उससे जुड़ी भौतिक क्षति, बाजार की धारणा में बदलाव और अधिक पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों और सेवाओं की ओर परिवर्तन को देखते हुए, आरई पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अपरिहार्य है। पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय अर्थव्यवस्था की दिशा में परिवर्तन के वित्तपोषण में आरई भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए आरई को जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के प्रभाव का प्रभावी ढंग से प्रतिकार करने के लिए सुदृढ़ जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिम प्रबंधन नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करना अनिवार्य है।
3. आरई के लिए बेहतर, सुसंगत और तुलनात्मक प्रकटीकरण रूपरेखा की आवश्यकता है, क्योंकि जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के बारे में अपर्याप्त जानकारी से आस्तियों का गलत मूल्य निर्धारण और उनके द्वारा पूंजी का गलत आवंटन हो सकता है। तदनुसार, जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर आरई के लिए मानक प्रकटीकरण रूपरेखा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
भवदीय,
(सुनील टी.एस. नायर)
मुख्य महाप्रबंधक
जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर मसौदा प्रकटीकरण ढांचा, 2024
1. परिचय
आज आरई के सम्मुख सबसे महत्वपूर्ण जोखिमों में से एक जोखिम जलवायु परिवर्तन से संबंधित है। 27 जुलाई 20221 को जारी जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त पर चर्चा पत्र में जलवायु जोखिम के स्रोतों के साथ-साथ आरई पर उत्पन्न होने वाले संभावित प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया गया था। इसमें जलवायु परिवर्तन जोखिम के प्रबंधन के लिए सभी आरई के लिए उचित प्रशासन, कार्यनीति और जोखिम प्रबंधन संरचना की आवश्यकता का भी विवरण दिया गया था। आरई द्वारा जलवायु-संबंधी प्रकटन विभिन्न हितधारकों (जैसे, ग्राहक, जमाकर्ता, निवेशक और नियामक) के लिए जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, ताकि प्रासंगिक जोखिमों को समझा जा सके और ऐसे मुद्दों के समाधान के लिए अपनाए गए दृष्टिकोण को समझा जा सके। आरई को पहले से ही अपने स्तंभ 3 प्रकटीकरण के एक भाग के रूप में भौतिक जोखिमों पर जानकारी का प्रकटीकरण करना आवश्यक है। जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों के बढ़ते महत्व को देखते हुए, आरई को अपने जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों के बारे में अधिक संरचित जानकारी का प्रकटीकरण करने की आवश्यकता है।
2. संक्षिप्त शीर्षक
इन दिशानिर्देशों को जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिमों पर प्रकटीकरण ढांचा, 2024 कहा जाएगा।
3. प्रयोजन/तर्क
आरई द्वारा वित्तीय विवरणों के उपयोगकर्ताओं के लिए अपने जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों के बारे में जानकारी का प्रकटीकरण किया जाना चाहिए। इससे जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों के शीघ्र मूल्यांकन को बढ़ावा दिया जाएगा और बाजार अनुशासन को भी सुविधाजनक बनाया जाएगा।
4. प्रयोज्यता
दिशानिर्देश निम्नलिखित संस्थाओं पर लागू होंगे, जिन्हें सामूहिक रूप से आरई के रूप में संदर्भित किया गया है:
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सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंक, भुगतान बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
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सभी टियर-IV प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
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सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (अर्थात एक्ज़िम बैंक, नाबार्ड, एनएबीएफआईडी, एनएचबी और सिडबी)
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सभी शीर्ष और उच्च स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)
आरई द्वारा इन दिशानिर्देशों की विस्तृत जानकारी का प्रकटन एकल आधार पर किया जाएगा, न कि समेकित आधार पर। विदेशी बैंकों द्वारा भारत में अपने परिचालन के लिए विशिष्ट प्रकटन किए जाएंगे। उपरोक्त (क), (ख), (ग) और (घ) में वर्णित के अलावा आरई के मामले में इन दिशानिर्देशों को अपनाना स्वैच्छिक है।
5. शक्तियों का प्रयोग
रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होने पर कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का अध्याय IIIB; और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
6. परिभाषाएं
इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा न कहा गया हो, यहां दिए गए शब्दों का अर्थ नीचे दिया गया अर्थ होगा:
(क) "जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिम2" का अर्थ उन संभावित जोखिमों से है जो जलवायु परिवर्तन अथवा जलवायु परिवर्तन को कम करने के प्रयासों, उनके संबंधित प्रभावों और आर्थिक तथा वित्तीय परिणामों से उत्पन्न हो सकते हैं।
(ख) "जलवायु आघात सहनीयता3" का अर्थ है जलवायु-संबंधित परिवर्तनों, विकास या अनिश्चितताओं को समायोजित करने के लिए आरई की क्षमता। इसमें जलवायु-संबंधी जोखिमों का प्रबंधन करने की क्षमता और जलवायु-संबंधी अवसरों से प्राप्त लाभ शामिल है, जिसमें जलवायु-संबंधी भौतिक और संक्रमण जोखिमों पर प्रतिक्रिया करने और अनुकूलन करने की क्षमता भी शामिल है। इसमें जलवायु-संबंधी परिवर्तनों, विकासों या अनिश्चितताओं के प्रति आरई की रणनीतिक और परिचालन आघात सहनीयता दोनों शामिल हैं।
(ग) "CO2 समतुल्य4" का अर्थ है प्रत्येक ग्रीनहाउस गैस की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता को इंगित करने के लिए माप की सार्वभौमिक इकाई, जिसे कार्बन डाइऑक्साइड की एक इकाई की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के संदर्भ में अभिव्यक्त किया गया है। इस इकाई का उपयोग एक सामान्य आधार पर विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ने (अथवा छोड़ने से बचने) का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
(घ) "वित्तपोषित उत्सर्जन5" किसी निवेशिती या प्रतिपक्षी के सकल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का वह हिस्सा है जो किसी आरई द्वारा निवेशिती या प्रतिपक्षी को दिए गए ऋण और निवेश के लिए जिम्मेदार होता है।
(ङ) "ग्रीनहाउस गैसें (जीएचजी)6" वायुमंडल के वे गैसीय घटक हैं, जो प्राकृतिक और मानवजनित दोनों हैं, जो पृथ्वी की सतह, वायुमंडल और बादलों द्वारा उत्सर्जित थर्मल इंफ्रारेड विकिरण के स्पेक्ट्रम के भीतर विशिष्ट तरंग दैर्ध्य पर विकिरण को अवशोषित और उत्सर्जित करते हैं। यह गुण ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनता है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) पृथ्वी के वायुमंडल में प्राथमिक ग्रीनहाउस गैसें हैं।
(च) "भौतिक जोखिम लेने वालों" का वही अर्थ होगा जो 04 नवंबर 2019 के पूर्णकालिक निदेशकों/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों/सामग्री जोखिम लेने वालों और नियंत्रण कार्य कर्मचारियों के मुआवजे पर दिशानिर्देशों में दिया गया है।
(छ) "भौतिक जोखिम7" का अर्थ निम्नलिखित की बढ़ती गंभीरता और आवृत्ति के परिणामस्वरूप होने वाली आर्थिक लागत और वित्तीय हानि है:
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चरम जलवायु परिवर्तन से संबंधित मौसम की घटनाएं जैसे बाढ़, लू (ताप की लहर), भूस्खलन, तूफान और जंगल की आग जिन्हें तीव्र शारीरिक जोखिम के रूप में जाना जाता है;
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जलवायु में दीर्घकालिक क्रमिक बदलाव जैसे कि वर्षा में परिवर्तन, अत्यधिक मौसम परिवर्तनशीलता, समुद्र का अम्लीकरण, एवं समुद्र के बढ़ते स्तर और औसत तापमान को दीर्घकालिक शारीरिक जोखिम के रूप में जाना जाता है; और
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जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यक्ष प्रभाव जैसे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की हानि (जैसे, पानी की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट, या समुद्री पारिस्थितिकी)।
(ज) "परिदृश्य विश्लेषण8" एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग महत्वपूर्ण कार्यनीतिक सोच को बढ़ाने के लिए किया जाता है। परिदृश्य विश्लेषण की एक प्रमुख विशेषता उन विकल्पों का पता लगाना है जो "हमेशा की तरह व्यवसाय" धारणाओं के आधार को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं। तदनुसार, उन्हें भविष्य के बारे में पारंपरिक ज्ञान को चुनौती देने की आवश्यकता है।
(झ) "स्कोप 19 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन" प्रत्यक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन है जो आरई के स्वामित्व अथवा नियंत्रण वाले स्रोतों से होता है।
(ञ) "स्कोप 210 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन" आरई द्वारा उपभोग की गई खरीदी या अर्जित बिजली, भाप, हीटिंग या कूलिंग के उत्पादन से अप्रत्यक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन है। खरीदी और अर्जित बिजली वह बिजली है जिसे आरई की सीमा में खरीदा जाता है या अन्यथा लाया जाता है। ये उत्सर्जन भौतिक रूप से उस सुविधा पर होता है जहां बिजली उत्पन्न होती है।
(ट) "स्कोप 311 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन" अप्रत्यक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (स्कोप 2 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में शामिल नहीं) है जो एक इकाई की मूल्य श्रृंखला में होता है, जिसमें अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम उत्सर्जन12 दोनों शामिल हैं।
(ठ) "संक्रमण जोखिम13" का अर्थ निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर समायोजन की प्रक्रिया से संबंधित जोखिम है, अर्थात- (i) जलवायु संबंधी नीतियों और विनियमों में परिवर्तन, (ii) नई प्रौद्योगिकियों का उद्भव (iii) ग्राहकों की प्राथमिकताओं और व्यवहार में बदलाव।
उपयोग किए गए शब्द और अभिव्यक्तियाँ, जो इन दिशानिर्देशों में परिभाषित नहीं हैं, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 और कंपनी अधिनियम, 2013, में परिभाषित हैं, उनके वही अर्थ होंगे जो समय-समय पर संशोधित उन अधिनियमों में दिए गए हैं।
7. प्रकटीकरण के विषयगत स्तंभ
आरई द्वारा प्रकटीकरण में निम्नलिखित चार विषयगत क्षेत्र (स्तंभ) शामिल होंगे:
7.1 अभिशासन – इसमें जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों की पहचान, मूल्यांकन, प्रबंधन, शमन, निगरानी और देखरेख के लिए आरई द्वारा उपयोग की जाने वाली अभिशासन प्रक्रियाओं, नियंत्रणों और प्रक्रियाओं का विवरण होना चाहिए। आरई अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का प्रकटीकरण करेंगे:
(क) जलवायु संबंधी जोखिमों और अवसरों पर बोर्ड की निगरानी;
(ख) जलवायु संबंधी जोखिमों और अवसरों के आकलन और प्रबंधन में वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिका।
7.2 रणनीति – इसमें जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों के प्रबंधन के लिए आरई की रणनीति का विवरण होना चाहिए। आरई अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का प्रकटीकरण करेंगे:
(क) लघु, मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में चिह्नित किए गए जलवायु संबंधी जोखिम और अवसर;
(ख) आरई के व्यवसायों, रणनीति और वित्तीय योजना पर जलवायु संबंधी जोखिमों और अवसरों का प्रभाव;
(ग) विभिन्न जलवायु परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए आरई की रणनीति की आघात-सहनीयता।
7.3 जोखिम प्रबंधन – इसमें जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता और निगरानी करने के लिए आरई की प्रक्रियाओं के बारें में विवरण होना चाहिए, जिसमें यह भी शामिल हो कि क्या और किस प्रकार उन प्रक्रियाओं को आरई की समग्र जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया में एकीकृत किया गया है। आरई अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का प्रकटीकरण करेंगे:
(क) जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता और निगरानी के लिए प्रक्रियाएं और संबंधित नीतियां;
(ख) जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रबंधन के लिए प्रयुक्त की जाने वाली प्रक्रियाएं;
(ग) जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों और अवसरों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता और निगरानी की प्रक्रियाओं को किस सीमा तक और कैसे एकीकृत किया जाता है और समग्र जोखिम प्रबंधन को सूचित करना।
7.4 मेट्रिक्स और लक्ष्य – मेट्रिक्स और लक्ष्यों के प्रकटीकरण में जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों के संबंध में आरई के कार्य-निष्पादन का विवरण होना चाहिए, जिसमें उनके द्वारा निर्धारित किसी भी जलवायु-संबंधी लक्ष्य की दिशा में प्रगति और संविधि या विनियमन द्वारा पूरा करने के लिए आवश्यक कोई भी लक्ष्य शामिल है। आरई अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का प्रकटीकरण करेंगे:
(क) आरई की रणनीति और जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया के अनुरूप जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों का आकलन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स;
(ख) स्कोप 1, स्कोप 2 और स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन और संबंधित जोखिम;
(ग) जलवायु-संबंधी जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले लक्ष्य तथा लक्ष्यों के मुक़ाबले कार्य-निष्पादन।
आरई को उपर्युक्त चार "प्रकटीकरण के विषयगत स्तंभों" के तहत न्यूनतम, मुख्य प्रकटन का प्रकटीकरण अनुबंध 1 में दिए अनुसार करना होगा।
8. आरंभ
"अभिशासन", "रणनीति", "जोखिम प्रबंधन" और "मेट्रिक्स और लक्ष्य" के क्षेत्रों पर आरई द्वारा विस्तृत प्रकटीकरण के लिए ग्लाइड पथ निम्न प्रकार हैं:
अभिशासन, रणनीति और जोखिम प्रबंधन | मेट्रिक्स और लक्ष्य | |
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान, शीर्ष और उच्च स्तर एनबीएफसी | वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू | वित्तीय वर्ष 2027-28 से लागू |
टियर IV यूसीबी | वित्तीय वर्ष 2026-27 से लागू | वित्तीय वर्ष 2028-29 से लागू |
अन्य आरई के लिए प्रकटीकरण आवश्यकताओं की घोषणा यथासमय की जाएगी |
आरई प्रकटन किए गए मेट्रिक्स हेतु मान्यताओं/प्रॉक्सी और लिए गए बाहरी आश्वासन, यदि कोई हो, का भी प्रकटन करेंगे।
9. प्रकटीकरणों का सत्यापन/जांच
9.1 प्रकटीकरण उचित आंतरिक नियंत्रण मूल्यांकन के अधीन होंगे और निदेशक मंडल या बोर्ड की समिति द्वारा उनकी समीक्षा की जाएगी।
9.2 प्रकटीकरण को आरई के वित्तीय परिणामों/अपनी वेबसाइट पर विवरणी के भाग के रूप में शामिल और प्रकट किया जाना चाहिए।
प्रकटीकरण के विषयगत स्तंभ14
विषयगत स्तंभ | प्रकटीकरण का विवरण |
अभिशासन | आरई निम्नलिखित जानकारी का प्रकटन करेंगे: आधारभूत प्रकटन ‒ जलवायु संबंधी मुद्दों की निगरानी के लिए उत्तरदायी अभिशासन संरचना (जो बोर्ड, समिति या समकक्ष निकाय(यों) या व्यक्तिगत पद हो सकता है); ‒ संदर्भ, अधिदेश, भूमिका विवरण और निकाय(यों) या व्यक्तिगत पद(दों) पर लागू अन्य संबंधित नीतियों के संबंध में जलवायु-संबंधित मुद्दों के लिए जिम्मेदारियां; ‒ क्या जलवायु-संबंधी मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के लिए रणनीतियों की निगरानी हेतु उपयुक्त दक्षताएं और कौशल उपलब्ध हैं या निकाय(यों) अथवा व्यक्तिगत पदों द्वारा विकसित किए जाएंगे; ‒ वे प्रक्रियाएँ और आवृत्ति जिनके द्वारा निकाय(यों) या व्यक्तिगत पद(दों) को जलवायु-संबंधी मुद्दों के बारे में सूचित किया जाता है; ‒ अभिशासन प्रक्रियाओं, नियंत्रण और प्रक्रियाओं में प्रबंधन की भूमिका और क्या इसे किसी विशिष्ट प्रबंधन-स्तर के पद या समिति को सौंपा गया है और उस पद या समिति पर निगरानी कैसे की जाती है। विस्तृत प्रकटन ‒ क्या निकाय या व्यक्तिगत पद जलवायु संबंधी मुद्दों (क) रणनीति, प्रमुख कार्य योजनाओं, जोखिम प्रबंधन नीतियों, वार्षिक बजट और व्यावसायिक योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करते हुए (ख) संगठन के कार्य-निष्पादन उद्देश्यों को निर्धारित, कार्यान्वयन और कार्य-निष्पादन की निगरानी करते हुए, और (ग) उनकी रणनीति, प्रमुख पूंजीगत व्यय, अधिग्रहण और विनिवेश, जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं तथा संबंधित नीतियों की देखरेख करते हुए, विचार करते हैं; ‒ कैसे निकाय (यों) या व्यक्तिगत पद (दों) लक्ष्यों के निर्धारण की निगरानी करते हैं और जलवायु-संबंधी मुद्दों से संबंधित उन लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रगति की निगरानी करते हैं। यदि ऐसा है तो क्या पारिश्रमिक नीतियों में कार्य-निष्पादन मेट्रिक्स को शामिल किया गया है; ‒ क्या वित्तीय वर्ष के दौरान जलवायु संबंधी मुद्दों के प्रमुख पहलुओं और मुद्दों पर निकाय(यों) या व्यक्तिगत पदों द्वारा चर्चा और समीक्षा की जाती है; ‒ क्या वरिष्ठ प्रबंधन निगरानी के लिए नियंत्रणों और प्रक्रियाओं का उपयोग करता है और यदि हां, तो कैसे, वे जलवायु-संबंधित मुद्दों के लिए अन्य आंतरिक कार्यों के साथ एकीकृत हैं; ‒ क्या किसी भी राष्ट्रीय मानक15 (जैसा लागू हो) या अंतरराष्ट्रीय प्रकटीकरण मानकों16 के अनुसार कोई भी जलवायु संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण आरई ने स्वेच्छा से अपनाया है/ आरई से अपेक्षित है। |
रणनीति | आरई निम्नलिखित जानकारी का प्रकटन करेंगे: आधारभूत प्रकटन ‒ जलवायु संबंधी मुद्दे जिनसे आरई की संभावनाओं (रणनीति, व्यवसाय मॉडल, निर्णय लेने, राजस्व, लागत, संपत्ति आदि के संदर्भ में) को यथोचित रूप से प्रभावित होने की उम्मीद की जा सकती है17; ‒ ऐसे विषयों का विवरण जिन्हें वे ' लघु ', 'मध्यम अवधि' और 'दीर्घकालिक' संस्तर मानते हैं और किस प्रकार ये परिभाषाएँ रणनीतिक निर्णय लेने के लिए योजना संस्तर से जुड़ी हैं; ‒ विशिष्ट जलवायु संबंधी मुद्दों का विवरण जो विभिन्न समयावधियों (लघु/मध्यम/दीर्घकालिक) में उत्पन्न होंगे और इसका वास्तविक प्रभाव जो आरई पर पड़ सकता है; ‒ आरई के व्यवसाय मॉडल पर जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों और अवसरों के वर्तमान और प्रत्याशित प्रभावों का विवरण। विस्तृत प्रकटन ‒ वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय स्थिति और वित्तीय कार्यनिष्पादन पर लघु, मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में जलवायु संबंधी मुद्दे, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि जलवायु संबंधी मुद्दों को वित्तीय योजना में कैसे शामिल किया गया है, का प्रभाव (और प्रत्याशित प्रभाव); ‒ आरई की रणनीति में व्यापार मॉडल से लेकर जलवायु-संबंधित परिवर्तन, घटनाक्रम और अनिश्चितताएं शामिल है; ‒ जलवायु आघात सहनीयता के मूल्यांकन में विचार किए गए अनिश्चितता के महत्वपूर्ण क्षेत्र और लघु, मध्यम तथा दीर्घकालिक अवधि में जलवायु परिवर्तन के अनुसार अपनी रणनीति और व्यवसाय मॉडल को समायोजित या अनुकूलित करने की आरई की क्षमता। इसमें (क) जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिमों को समाधान करने के लिए जलवायु परिदृश्य विश्लेषण में चिह्नित किए गए प्रभावों का जवाब देने के साथ-साथ जलवायु-संबंधी अवसरों का लाभ लेने के लिए मौजूदा वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता तथा लचीलापन और (ख) जलवायु संबंधी शमन, अनुकूलन और जलवायु लचीलेपन के अवसरों में वर्तमान और नियोजित निवेश का प्रभाव, शामिल है; ‒ व्यवसाय मॉडल में वर्तमान और प्रत्याशित परिवर्तन, जिसमें जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों के न्यूनीकरण और अवसरों के लिए संसाधन आवंटन शामिल है; ‒ वर्तमान और प्रत्याशित प्रत्यक्ष (जैसे ऊर्जा कुशल तरीकों को अपनाना) तथा अप्रत्यक्ष (जैसे, प्रतिपक्षों के साथ कार्य करके) शमन और अनुकूलन प्रयास; ‒ उपलब्ध संसाधनों की जानकारी और जलवायु संबंधी मुद्दों की पहचान, मूल्यांकन, निगरानी और प्रबंधन के लिए संसाधन जुटाने/विकसित करने की योजना; ‒ पिछले वित्तीय वर्षों में संसाधन जुटाने/विकसित करने की योजनाओं की प्रगति के बारे में उपलब्धि न होने की स्थिति में विश्लेषण के साथ, मात्रात्मक और गुणात्मक जानकारी; ‒ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य सहित किसी भी जलवायु-संबंधित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आरई की योजनाएं; ‒ क्या आरई के पास जलवायु-संबंधित परिवर्तन की कोई योजना है, और यदि हां, तो क्या विकास में उपयोग किए जानेवाले प्रमुख अनुमान और कारकों के बारे में जानकारी जो परिवर्तनकारी योजना को प्रभावित करेगी, है; ‒ क्या जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों की पहचान की गई है, उनकी मात्रा निर्धारित की गई है और प्रासंगिक समय सीमा पर सामग्री के रूप में उनका मूल्यांकन किया गया है, उन्हें आंतरिक पूंजी और तरलता पर्याप्तता मूल्यांकन प्रक्रियाओं में शामिल किया गया है, जिसमें, जहां उपयुक्त हो उनके जलवायु परिदृश्य विश्लेषण कार्यक्रम भी शामिल हैं; ‒ (i) परिदृश्यों के विश्लेषण और स्रोत के लिए उपयोग किए जाने वाले जलवायु परिदृश्य, (ii) क्या इसमें जलवायु परिदृश्यों की एक विविध श्रृंखला शामिल है, (iii) क्या यह जलवायु-संबंधी संक्रमण जोखिमों या भौतिक जोखिमों से जुड़ा था, (iv) क्या इसमें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान से जुड़ा परिदृश्य शामिल था, (v) जलवायु परिदृश्यों को चुनने के कारण (यानी, वे जलवायु-संबंधित परिवर्तनों, विकास या अनिश्चितताओं के प्रति आरई के लचीलेपन का आकलन करने के लिए प्रासंगिक क्यों हैं), (vi) विश्लेषण के लिए प्रयुक्त समय सीमा, (vii) जलवायु परिदृश्य विश्लेषण का दायरा; (vii) राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर जलवायु-संबंधित नीतियों, व्यापक आर्थिक रुझान, राष्ट्रीय/राज्य-स्तरीय जैसी अनुमानों का उपयोग किया जाता है, पर जानकारी के साथ जलवायु परिदृश्य का विश्लेषण कैसे और कब किया गया। |
जोखिम प्रबंधन | आरई निम्नलिखित जानकारी का प्रकटीकरण करेंगे: आधारभूत प्रकटीकरण ‒ जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों के प्रभावों की प्रकृति, संभावना और परिमाण का आकलन कैसे किया जाता है (उदाहरण के लिए, क्या आरई गुणात्मक कारकों/मात्रात्मक सीमा/दोनों के संयोजन पर विचार करता है); ‒ क्या क्रेडिट जोखिम प्रबंधन प्रणालियाँ और प्रक्रियाएँ भौतिक जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिमों पर विचार करती हैं और क्रेडिट जोखिम प्रोफाइल पर जलवायु-संबंधी जोखिम चालकों के प्रभाव का आकलन कैसे किया जाता है; ‒ बाजार जोखिम स्थितियों पर जलवायु-संबंधित जोखिम चालकों के प्रभाव को समझने के लिए नियोजित पद्धतियां (पोर्टफोलियो के नुकसान के संभावित जोखिम और बढ़ी हुई अस्थिरता का मूल्यांकन कैसे किया जाता है); ‒ तरलता जोखिम प्रोफाइल पर जलवायु-संबंधित जोखिम चालकों के प्रभाव को समझने के लिए नियोजित पद्धतियां (निवल नकदी बहिर्वाह पर जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों के प्रभाव जैसे कि क्रेडिट लाइनों की बढ़ी हुई गिरावट, त्वरित जमा निकासी या उनके तरलता बफ़र्स वाली आस्तियों के मूल्य सहित); ‒ परिचालन जोखिम पर जलवायु-संबंधित जोखिम चालकों के प्रभाव को समझने के लिए अपनाई गई पद्धतियाँ; ‒ क्या और कैसे अन्य जोखिमों18 पर जलवायु-संबंधी जोखिम चालकों के प्रभाव पर विचार किया जाता है; ‒ क्या और कैसे जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों को सुरक्षा की तीन पंक्तियों में आंतरिक नियंत्रण ढांचे में शामिल किया गया है ताकि भौतिक जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिमों की ठोस, व्यापक और प्रभावी पहचान, माप और शमन सुनिश्चित किया जा सके; ‒ जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों की निगरानी कैसे की जाती है; ‒ क्या जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों को अन्य प्रकार के जोखिमों पर प्राथमिकता दी गई है और यदि हां, तो इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया का वर्णन करें। विस्तृत प्रकटीकरण ‒ जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता और निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले इनपुट और पैरामीटर (उदाहरण के लिए, डेटा स्रोतों, कवर किए गए आर्थिक क्षेत्रों, कवर किए गए समकक्षों आदि के बारे में जानकारी); ‒ जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता निर्धारण और निगरानी की प्रक्रियाओं को समग्र जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया में कैसे एकीकृत किया जाता है; ‒ क्या आरई ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों के प्रबंधन के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं को बदल दिया है और यदि हां, तो विवरण प्रदान करें; ‒ क्या जलवायु परिदृश्य विश्लेषण का उपयोग जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों की पहचान के लिए किया जाता है; ‒ जलवायु-संबंधित अवसरों की पहचान, मूल्यांकन, प्राथमिकता और निगरानी करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाएं, जिसमें यह जानकारी भी शामिल है कि जलवायु परिदृश्य विश्लेषण/जलवायु दबाव परीक्षण का उपयोग जलवायु-संबंधित अवसरों की पहचान के लिए किया जाता है या नहीं। |
मेट्रिक्स और लक्ष्य | आरई निम्नलिखित जानकारी का प्रकटीकरण करेंगे: आधारभूत प्रकटीकरण ‒ जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों को कम करने/अनुकूलित करने के लिए विधि या विनियमन द्वारा निर्धारित लक्ष्य और उन्हें पूरा किया जाना आवश्यक है। इन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को मापने के लिए शासन, निकाय या प्रबंधन द्वारा उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स की जानकारी; ‒ लक्ष्य का उद्देश्य (उदाहरण के लिए, शमन/अनुकूलन/विज्ञान-आधारित पहल19 के अनुरूप); ‒ मेट्रिक्स का उपयोग (i) लक्ष्य निर्धारित करने, (ii) वह अवधि जिसके लिए लक्ष्य संबंधित है और वह आधार अवधि जहां से प्रगति मापी जाती है, (iii) निर्धारित माइलस्टोन और अंतरिम लक्ष्य, यदि कोई हो, यदि लक्ष्य पूर्ण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लक्ष्य या ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य (प्रति यूनिट राजस्व उत्सर्जन तीव्रता) है, (iv) क्या लक्ष्य और लक्ष्य निर्धारित करने की पद्धति को किसी तीसरे पक्ष द्वारा मान्य किया गया है, (v) लक्ष्य की समीक्षा के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएं, (vi) लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में प्रगति की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स और (vii) यदि मेट्रिक्स में तीसरे पक्ष की मान्यता है, तो लक्ष्य में कोई संशोधन और उन संशोधनों के लिए स्पष्टीकरण के लिए किया जाता है। यह भी बताएं कि क्या लक्ष्य भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के अनुरूप हैं; ‒ प्रत्येक जलवायु-संबंधित लक्ष्य के विरुद्ध प्रदर्शन के बारे में जानकारी और आरई के प्रदर्शन में रुझानों या परिवर्तनों का विश्लेषण; ‒ आरई प्रकटीकरण करेंगे कि कौन सी ग्रीनहाउस गैसें लक्ष्य के अंतर्गत आती हैं, और क्या स्कोप 1, स्कोप 2 या स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन20 लक्ष्य के अंतर्गत आते हैं। विस्तृत प्रकटीकरण ‒ वित्तीय वर्ष के दौरान उत्पन्न पूर्ण सकल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, CO2 समकक्ष (स्कोप 1 और 2 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन) के मेट्रिक टन के रूप में व्यक्त । जहां तक डेटा और कार्यप्रणाली अनुमति देती है, स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रकटीकरण किया जा सकता है; ‒ ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल कॉरपोरेट वैल्यू चेन (स्कोप 3) लेखांकन और रिपोर्टिंग मानक (2011) में वर्णित स्कोप 3 श्रेणियों21 के अनुसार, स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के माप के भीतर शामिल श्रेणियों का प्रकटीकरण करें; ‒ संपूर्ण सकल वित्त पोषित उत्सर्जन, आस्ति वर्ग23 के अनुसार प्रत्येक उद्योग22 के लिए स्कोप 1, स्कोप 2 और स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन द्वारा विभाजित। यदि आरई के पास वह जानकारी प्रदान करने के लिए कौशल/क्षमता/डेटा उपलब्धता/संसाधन नहीं है, तो आरई जानकारी प्रदान न करने के कारणों को बताकर प्रकटीकरण कर सकते है; ‒ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले दृष्टिकोण, इनपुट और मान्यताओं का कारणों सहित प्रकटीकरण करें; ‒ यदि वित्तीय वर्ष के दौरान माप दृष्टिकोण, इनपुट और धारणाओं में कोई बदलाव किया गया है तो उसके कारणों सहित प्रकटीकरण करें; ‒ आस्ति वर्ग द्वारा प्रत्येक उद्योग में अपने सकल एक्सपोज़र24 का प्रकटीकरण करें; ‒ वित्तपोषित उत्सर्जन गणना में शामिल सकल जोखिम के प्रतिशत का प्रकटीकरण करें। यदि वित्तपोषित उत्सर्जन गणना में शामिल सकल जोखिम का प्रतिशत 100 प्रतिशत से कम है, तो ऐसी जानकारी का प्रकटीकरण करें जो बहिष्करणों की व्याख्या करती है, जिसमें उद्योग के प्रकार/आस्ति को बाहर रखा गया है। निधि-आधारित एक्सपोज़र के लिए, यदि लागू हो, तो जोखिम न्यूनीकरण के सकल एक्सपोज़र प्रभावों को बाहर रखें। वित्तपोषित उत्सर्जन गणना में शामिल अनाहरित ऋण प्रतिबद्धताओं के प्रतिशत का प्रकटीकरण करें; ‒ वित्त पोषित उत्सर्जन की गणना करने के लिए उपयोग की जाने वाली पद्धति का प्रकटीकरण करें, जिसमें इसके सकल जोखिम के आकार के संबंध में उत्सर्जन के अपने हिस्से का श्रेय देने के लिए आवंटन की विधि भी शामिल है; ‒ जलवायु-संबंधी भौतिक और संक्रमण जोखिमों का प्रकटीकरण करें - दोनों जोखिमों के प्रति संवेदनशील आस्तियों की मात्रा और प्रतिशत; ‒ जलवायु-संबंधी अवसरों का प्रकटीकरण करें - जलवायु-संबंधी अवसरों के साथ संरेखित आस्तियों की राशि और प्रतिशत; ‒ पूंजी परिनियोजन का प्रकटीकरण करें - जलवायु से संबंधित जोखिमों और अवसरों के लिए तैनात वित्तपोषण या निवेश की राशि; ‒ यह प्रकटीकरण करें कि क्या और कैसे जलवायु संबंधी सोच-विचार को पूर्णकालिक निदेशकों/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों/सामग्री जोखिम लेने वालों के पारिश्रमिक में शामिल किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में मान्यता प्राप्त पारिश्रमिक के प्रतिशत का भी प्रकटीकरण करें जो जलवायु संबंधी विचारों से जुड़ा है। |
1 भारतीय रिज़र्व बैंक – प्रकाशन (rbi.org.in)
2 बीसीबीएस (2021), जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिम - माप पद्धतियाँ, अप्रैल.
3 आईएफ़आरएस (2023), जलवायु-संबंधित प्रकटीकरण, जून.
4 आईएफ़आरएस (2023), जलवायु-संबंधित प्रकटीकरण, जून.
5 आईएफ़आरएस (2023), जलवायु-संबंधित प्रकटीकरण, जून.
6 बीसीबीएस (2021), जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिम - माप पद्धतियाँ, अप्रैल.
7 बीसीबीएस (2021), जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिम - माप पद्धतियाँ, अप्रैल.
8 बीसीबीएस (2021), जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिम - माप पद्धतियाँ, अप्रैल।
9 आईएफआरएस (2023), जलवायु संबंधी खुलासे, जून।
10 आईएफआरएस (2023), जलवायु संबंधी खुलासे, जून।
11 आईएफआरएस (2023), जलवायु संबंधी खुलासे, जून।
12 इसमें वित्त पोषित उत्सर्जन शामिल है जो आमतौर पर आरईएस के मामले में ऋण और निवेश से जुड़े ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को संदर्भित करता है।
13 बीसीबीएस (2021) से अपनाया गया, जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिम - माप पद्धतियां।
14 एससीबी, एआईएफआई और एनबीएफसी, जिन पर ये दिशानिर्देश लागू हैं, उन्हें आधारभूत और विस्तृत दोनों तरह के प्रकटन की रिपोर्ट करनी होगी। जिन यूसीबी पर ये दिशानिर्देश लागू हैं, उन्हें कम से कम आधारभूत प्रकटन की रिपोर्ट करनी होगी, जबकि विस्तृत प्रकटन स्वैच्छिक हैं।
15 जैसे कि कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा अधिसूचित, जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा अधिसूचित और समय-समय पर संशोधित व्यावसायिक उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्टिंग (बीआरएसआर)।
16 जैसे कि जीआरआई मानक 2021, अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता मानक बोर्ड द्वारा आईएफआरएस एस2 जलवायु संबंधी प्रकटन।
17 इन प्रभावों को गुणात्मक, मात्रात्मक या गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों शब्दों के संयोजन में वर्णित किया जा सकता है। आरईएस को मात्रात्मक जानकारी शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जहां डेटा और कार्यप्रणाली अनुमति देती है।
18 उदाहरणों में रणनीतिक, प्रतिष्ठित, विनियामक और मुकदमेबाजी या दायित्व जोखिम शामिल हैं।
19 आरईएस विज्ञान आधारित लक्ष्य पहल (एसबीटीआई),ग्लासगो फाइनेंशियल एलायंस फॉर नेट जीरो (जीएफएएनजेड), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल (यूएनईपी एफआई) आदि के जिम्मेदार बैंकिंग पहल के सिद्धांतों के तहत स्थापित किया गया नेट जीरो बैंकिंग एलायंस (एनजेडबीए) आदि द्वारा प्रकाशित संसाधनों और इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी), इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए), नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग ऑफ फाइनेंशियल सिस्टम (एनजीएफएस) आदि द्वारा प्रकाशित परिदृश्य का उल्लेख कर सकते हैं।
20 ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापता है।
21 स्कोप 3 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 15 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है (ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल कॉर्पोरेट वैल्यू चेन (स्कोप 3) लेखांकन और रिपोर्टिंग मानक 2011 के अनुसार):
(1) खरीदी गई वस्तुएँ और सेवाएँ; (2) पूंजीगत माल; (3) स्कोप 1 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या स्कोप 2 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में नहीं शामिल ईंधन और ऊर्जा से संबंधित गतिविधियाँ; (4) अपस्ट्रीम परिवहन और वितरण; (5) परिचालन में उत्पन्न अपशिष्ट; (6) व्यापार हेतु यात्रा; (7) कर्मचारी आवागमन; (8) अपस्ट्रीम पट्टे पर दी गई आस्ति; (9) डाउनस्ट्रीम परिवहन और वितरण; (10) बेचे गए उत्पादों का प्रसंस्करण; (11) बेचे गए उत्पादों का उपयोग; (12) बेचे गए उत्पादों का अंतिम जीवन उपचार; (13) डाउनस्ट्रीम पट्टे पर दी गई आस्ति; (14) फ्रेंचाइजी; और (15) निवेश.
22 आरई प्रतिपक्षों को वर्गीकृत करने के लिए राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण - 2008 (समय-समय पर अद्यतन) का उपयोग करेंगे।
23 आरई ऋण, परियोजना वित्त, निवेश और अनाहरित ऋण प्रतिबद्धताओं का खुलासा करेंगे।
24 सकल एक्सपोज़र में फंड-आधारित एक्सपोज़र और अनाहरित एक्सपोज़र शामिल होंगे।
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