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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय – 10 बिलियन अमरीकी डालर की योजना

भारिबैंक/2012-13/200
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 26

11 सितंबर 2012

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय – 10 बिलियन अमरीकी डालर की योजना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 25 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.134 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी एक कंपनी द्वारा विगत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान औसत वार्षिक निर्यातगत अर्जन के 50% की सीमा तक अधिकतम बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जा सकती है।

3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि:

(ए) बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अधिकतम अनुमत सीमा बढ़ाई जाए जो ठीक विगत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान औसत विदेशी मुद्रागत अर्जन के 75 प्रतिशत अथवा ठीक विगत तीन वित्तीय वर्षों में से किसी वर्ष के दौरान उच्चतम विदेशी मुद्रागत अर्जन के 50 प्रतिशत, में से जो भी उच्चतर हो, की सीमा तक अनुमति दी जा सकती है;

(बी) विशेष प्रयोजन कंपनियों (एसपीवीएस) के मामले में, जिन्होंने निगमन की तारीख से न्यूनतम एक वर्ष पूर्ण किया है और जिनका विगत तीन वित्तीय वर्षों के लिए पर्याप्त ट्रैक रिकार्ड/विगत कार्य निष्पादन उपलब्ध नहीं है, उन्हें विगत एक वित्तीय वर्ष के दौरान वार्षिक निर्यातगत अर्जन के 50% की सीमा तक अधिकतम बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जा सकती है; और

(सी) इस योजना के तहत, किसी एक कंपनी अथवा समूह द्वारा, समग्र रूप से, ली जाने वाली अधिकतम बाह्य वाणिज्यिक उधार की राशि 3 बिलियन अमरीकी डालर तक सीमित होगी।

4. 25 जून 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.134 में वर्णित योजना के सभी अन्य पहलू यथावत बने रहेंगे।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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