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बाह्य वाणिज्यिक उधार-रुपया ऋणों की अदायगी

भारिबैंक/2011-12/617
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 134

25 जून 2012

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

बाह्य वाणिज्यिक उधार-रुपया ऋणों की अदायगी

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय - समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.3/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000, 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 25 एवं इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी मानदण्डों में ढील देने के बाबत जारी 20 अप्रैल 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.111 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय के लिए भारतीय कंपनियों को, अनुमोदन मार्ग के तहत, बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जाए, बशर्ते वे निम्नलिखित शर्तें पूरी करती हों:-

(i) केवल विनिर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियाँ ऐसे बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए पात्र होंगी;

(ii) ऐसी कंपनियाँ विगत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान लगातार विदेशी मुद्रा की अर्जक रही हों;

(iii) ऐसी कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक की चूककर्ता सूची/सतर्कता सूची में न हों; और

(iv) ऐसे बाह्य वाणिज्यिक उधार/रों का उपयोग केवल "पूंजी व्यय" के लिए पहले लिए गए और अब तक घरेलू बैंकिंग प्रणाली की बहियों में बकाया रहे रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय के लिए किया जाएगा।

3. ऊपर पैराग्राफ 2 में वर्णित ऐसे बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए समग्र उच्चतम सीमा 10 (दस) बिलियन अमरीकी डालर होगी। किसी एक कंपनी द्वारा विगत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान वसूल किए गए औसत वार्षिक निर्यातगत अर्जन के 50% की सीमा तक अधिकतम बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जा सकेगी। विदेशी मुद्रा के अर्जन एवं बाह्य वाणिज्यिक उधार राशि पर ब्याज, आदि की चुकौती करने की क्षमता के आधार पर कंपनियों को बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जाएगी। रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) प्राप्त करने के एक माह के अंदर कंपनियों द्वारा उक्त पूरी सुविधा (राशि) आहरित कर ली जानी चाहिए।

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की इच्छुक कंपनियाँ, "पूंजी व्यय" पर पहले खर्च किए गए रुपया ऋण (ऋणों) के उपयोग के संबंध में सांविधिक लेखापरीक्षक के प्रमाणपत्र के साथ अपने आवेदनपत्र, ईसीबी फार्म में, नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के मार्फत, प्रस्तुत कर सकती हैं। सांविधिक लेखापरीक्षक यह भी प्रमाणित करेगा कि कंपनी विगत तीन वित्तीय वर्षों में निवल विदेशी मुद्रा की लगातार अर्जक रही है। बकाया रुपया ऋण (ऋणों) को संबंधित घरेलू उधारदाता बैंक और नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक विधिवत प्रमाणित करेंगे। प्राधिकृत व्यापारी बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाह्य वाणिज्यिक उधार की अदायगी के लिए विदेशी मुद्रा भारतीय बाजारों से न ली जाए और बाह्य वाणिज्यिक उधार से उत्पन्न देयता की अदायगी उधार लेने वाली कंपनी द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा से ही की जाए।

5. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक उक्त निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी (मॉनीटर) करेगा और इस बाबत किसी प्रकार की गारंटी देने की अनुमति भारत स्थित बैंक (बैंकों) को नहीं होगी। बाह्य वाणिज्यिक उधार की सभी अन्य शर्तें यथा मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बनी रहेंगी और उनका अनुपालन किया जाएगा।

6. यह सुविधा तत्काल प्रभाव से कार्यान्वित होगी और भावी समष्टिगत आर्थिक (मैक्रो इकनामिक) स्थितियों तथा अन्य संबंधित कारकों के आधार पर, उचित समय पर, समीक्षा के अधीन होगी। 23 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 25 और 20 अप्रैल 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.111 के अनुसार रुपया ऋणों की अदायगी संबंधी मौजूदा नीति, अब तक की भाँति, इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों पर, बिना नैचुरल हेज के, लागू बनी रहेगी।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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