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विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार अथवा ऋण) विनियमावली, 2000

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग)
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं.फेमा 3/2000-आरबी

दिनांक मई 3 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार अथवा ऋण) विनियमावली, 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (घ) और 47 की उप-धारा (2) के खंड (क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक भारत में निवास करनेवाले व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार देने अथवा उधार लेने के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है ;

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेने अथवा उधार देना) वितनयमावली, 2000 कहा जाएगा ।
ii) ये पहली जून, 2000 से लागू होंगे ।

2. परिभाषा

इन विनियमों में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
क) ’अधिनियम’ से अभिप्रेत है विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42);
ख) ’प्रधिकृत व्यापारी’ से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रुप में प्राधिकृत किया गया व्यक्ति;
ग) ’विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी करेंसी खाता’, ’निवासी विदेशी करेंसी खाता’ से अभिप्रेत है विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत मे निवासी किसी व्यक्तिद्वारा विदेशी करेंसी खाता )नियमावली 2000 मे निर्दिष्ट खाते;
घ) ’विदेशी करेंसी अनिवासी (बैंक ) खाता’ ’अनिवासी बाहय खाता’ से अभिप्रेत है विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 में निर्दिष्ट खाते;
ड) ’भारतीय संस्था’ से अभिप्रेत है भारत में निगमित कंपनी अथवा निकाय या फर्म ;
च) ’विदेश में संयुक्त उद्यम’ से अभिप्रेत है भारत से बाहर किसी देश में, उस देश के कानून और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित कंपनी जिससे किसी भारतीय कंपनी द्वारा निवेश किया गया हो;
छ) ’अनुसूची’ से अभिप्रेत है इस विनियमावली की अनुसूची;
ज) ’विदेश में पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी’ से अभिप्रेत है भारत से बाहर किसी देश में उस देश के कानून और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित विदेशी कंपनी जिसकी सेपूर्ण पूंाा किसी भारतीय कंपनी की है;
झ) इस विनियमावली में प्रयुक्त जिन शब्दों और अभिव्यक्तियों की इस विनियमावली में परिभाषा नहीं दी गयी है उनका वही अर्थ होगा जो उनके लिए अधिनियम में निर्दिष्ट किया गया है ।

3.विदेशी मुद्रा उधार लेने अथवा उधार देने पर प्रतिबंध

अधिनियम में और उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों या विनियमों में जो कुछ कहा गया है उसको छोडकर भारत में निवास करनेवाले कोई भी व्यक्ति भारत में अथवा भारत से बाहर निवास करनेवाले किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा में उधार नहीं देगा या उससे उधार नहीं लेगा ।

परंतु यदि पर्याप्त कारण हो तो रिज़र्व बैंक भारत से बाहर निवास करनेवाले किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा में उधार देने अथवा उससे उधार लेने की अनुमति दे सकता है ।

4. प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विदेशी मुद्रा उधार लेना या उधार देना

1) भारत में स्थित प्राधिकृत व्यापारी अथवा भारत से बाहर स्थित उसकी कोई शाखा नीर्ाटिं निर्दिष्ट परिस्थितियों और शर्तों पर विदेशी करेंसी में ऋण दे सकता है अर्थात :

i) जो प्राधिकृत व्यापारी भारत में निगमित या गठित बैंक है उसकी भारत से बाहर स्थित शाखा भारत से बाहर किये जानेवाले अपने सामान्य बैंकिंग कारोबार के दौरान करेंसी ऋण दे सकती है;

ii) प्राधिकृत व्यापारी भारत में अपने ग्राहकों को विदेशी मुद्रा की जरुरतों को पूरा करने अथवा उनकी रुपया कार्यशील की जरुरतों को पूरा करने अथवा उनके पूंाागत व्यय के लिए ऋण दे सकता है बशर्ते इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये विवेकपूर्ण मानदंडो, ब्याज दर निर्देश और मार्गदर्शी सिध्दांतों का अनुपालन किया गया हो;

iii) प्राधिकृत व्यापारी किसी भारतीय कंपनी की विदेश में पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी अथवा संयुक्त उद्यम को ऋण सुविधाएं उपलब्ध करा सकता है :

बशर्ते ऐसी सहायक कंपनी अथवा संयुक्त उद्यम की इक्विटी में 51 प्रतिशत से अधिक ईक्विटी भारतीय कंपनी की हो और इस संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम ) विनियमावली, 2000 का अनुपालन किया गया हो;

iv) कोई प्राधिकृत व्यापारी अपने वाणिय़ विवेक पर और विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुपालन में, विदेशी मुद्रा आदक विदेशी करेंसी खाता अथवा निवासी विदेशी करेंसी खाता रखनेवाले अपने ग्राहक को ऐसे खाते में रखी गयी निधियों की जमानत पर विदेशी मुद्रा ऋण दे सकता है ;

v) किसी प्राधिकृत व्यापारी की भारत से बाहर स्थित शाखा विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम 2000 के अनुसार रखे गये अनिवासी बाहय / विदेशी करेंसी अनिवासी जमा खाता में रखी गयी निधियों की ामानत पर विदेशी करेंसी ऋण दे सकती है ;

vi) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर ज़ारी निदेशों अथवा मार्गदर्शी सिध्दांतों के अधीन, भारत में स्थित कोई प्राधिकृत व्यापारी भारत में किसी दूसरे प्राधिकृत व्यापारी को विदेशी करेंसी ऋण दे सकता है ।

2) भारत स्थित कोई प्राधिकृत व्यापारी निर्दिष्ट परिस्थितियों और शर्तों के अधीन विदेशी करेंसी ऋण ले सकता है, अर्थात :

i) कोई प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर अपने प्रधान कार्यालय अथवा शाखा अथवा प्रतिनिधि बैंक से रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट शर्तों पर अपनी अक्षत टियर I के पद्रह प्रतिशत अथवा 10 मिलियन अमरीकी डॉलर तक, जो भी अधिक हो, ऋण ले सकता है ।

स्पष्टीकरण

खंड (i) के प्रयोजन के लिए, किसी प्राधिकृत व्यापारी की भारत में स्थित सभी शाखओं द्वारा भारत से बाहर उसके प्रधान कार्यालय, सभी शाखाओं और प्रतिनिधि बैंकों से लिये गये कुल ऋण को गणना में लिया जायेगा ।

ii) कोई प्राधिकृत व्यापारी अपने रुपया संसाधनों को पूरा करने के लिए भारत से बाहर अपने प्रधान कार्यालय अथवा शाखा अथवा प्रतिनिधि बैंक से असीमित विदेशी करेंसी ऋण ले सकता है, बशर्ते -

क) उधार ली गयी राशि उसके अपने कार्यकलापों के लिए इस्तेमाल की जाये और यह मांग मुद्रा बाजार अथवा इसी प्रकार के अन्य बाजारों में निवेश न की जाये

ख) रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त किये बिना किसी भी ऋण की चुकौती न की जाये । रिज़र्व बैंक उसी स्थिति में ऋण चुकौती की अनुमति देगा यदि प्राधिकृत व्यापारी के पास रिज़र्व बैंक का अथवा भारत में किसी अन्य बैंक अथवा वित्तीय संस्था का कोई ऋण बकाया न हो और जिस सप्ताह में ऋण की र्ाजिंकौती की जानी है उससे पहले के कम-से-कम र्ाारिं सप्ताह के दौरान उसकी कोई मांग मुद्रा उधारी बाकी न हो ।

iii) जो प्राधिकृत व्यापारी, भारत में निगमित या गठित बैंक है, उसकी भारत से बाहर स्थित शाखा समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों अथवा र्मार्गदर्शी सिध्दांतों और जिस देश में शाखा स्थित है उस देश के विनियामक प्राधिकारों के निदेशों और मार्गदर्शी सिध्दांतों की शर्त पर भारत से बाहर अपने सामान्य बैंकिंग कारोबार के दौरान विदेशी करेंसी ऋण ले सजित है ।

iv) कोई भी प्राधिकृत व्यापारी अपने निर्यातक ग्राहक को लदानपूर्व अथवा लदानोत्तर ऋण देने के लिए भारत से बाहर स्थित बैंक अथवा वित्तीय संस्था से विदेशी करेंसी ऋण ले सकता है बशर्ते रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी मार्गदर्शी सिध्दांतों का अनुपालन किया गया हो ।

5. प्राधिकृत व्यापारी के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना

1) कोई भारतीय कंपनी विदेश में अपने पूर्ण स्वामित्ववाली ऐसी सहायक कंपनी अथवा संयुक्त उद्यम को विदेशी मुद्रा में ऋण दे सकती है विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूतिसे अंतरण और निर्गम ) विनियमावली के अनुसार गठित किया गया हो ।

2) भारत में निवास करनेवाले कोई भी व्यक्ति भारत से बाहर तैयार हालत में प्रस्तुत की जानेवाली परियोज़ना अथवा सिविल निर्माण ठेके के निष्पादन के लिए अथवा आस्थागित भुगतान की शर्तों पर निर्यात के संबंध में भारत से बाहर स्थित बैंक से ऋण के रुप में अथवा ओवरड्राफ्ट के रुप में अथवा किसी अन्य ऋण सुविधा के रुप में उधार ले सकता है बशर्ते परियोजना अथवा ठेके अथवा निर्यात का अनुमोदन देनेवाले प्राधिकारी द्वारा अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात) नियमावनी, 2000 के अनुसार निर्धारित शर्तों का पूरी तरह से पालन किया गया हो ।

3) भारत में स्थित आयातक भारत में माल के आयात के लिए माल के विदेश स्थित आपूर्तिकर्ता द्वारा छ: महीने तक की अवधि के लिए दी गयी विदेशी करेंसी ऋण सुविधा ले सकता है बशर्ते आयात भारत सरकार की लागू निर्यात - आयात नीति के अनुरुप किया गया हो ।

4) भारत में निवास करनेवाले कोई भी व्यक्ति अपने विदेश स्थित आयातक ग्राहक को व्यापार संबंधी प्रयोजनों के लिए अपने विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी करेंसी खाते में रखी निधियों से विदेशी करेंसी ऋण दे सकता है ;

बशर्ते -
क) किसी एक समय पर ऐसे ऋणों की कुल बकाया राशि 3 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक न हो; और

ख)ज़हां ऋण की राशि 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक हो वहां विदेश सिथत खरीददार ने ऋणकर्ता के पक्ष में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के किसी विदेशी बैंक की गारंटी दी हो ।

5) भारतीय निर्यात आयात बैंक, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक, भारतीय औद्योगिक वित्त निगम, भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक लि. अथवा भारत स्थित कोई अन्य संस्था भारत में अपने ग्राहकों को आगे ऋण देने के प्रयोान के लिए भारत सरकार के अनुमोदन से ज़टायी गयी विदेशी करेंसी ऋण राशियों में से विदेशी करेंसी ऋण दे सकते है ।

6. रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार के पूर्वानुमोदन से विदेशी मुद्रा में अन्य उधारियां

  1. भारत में निवास करनेवाले जो व्यक्ति अनुसूची में बताये गये स्वरुप के अथवा उसमें दिये गये प्रयोज़नों से विदेशी करेंसी ऋण लेना चाहता हो और जो अनुसूची में निर्दिष्ट पात्रता मानदंडों और अन्य शर्तों को पूरा करता हों वह ऋण लेने का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकता है ।
  2. रिज़र्व बैंक ऐसी शर्तो पर अनुमोदन दे समता है जिन्हे वह लगाना आवश्यक समझे ।

बशर्ते अनुमोदन देने पर विर्ाारिं करते समय रिज़र्व बैंक केद्र सरकार के साथ सलाह करके, भारत में निवास करनेवाले व्यक्तियों द्वारा ऐसे ऋण लेने के लिए निर्धारित समग्र सीमा को ध्यान में रखेगा ।

3) भारत में निवास करने वाला व्यक्ति यदि कोई ऐसा विदेशी करेंसी ऋण लेना चाहता हो जो अनुसूची के दायरे से बाहर हो तो उसके लिए केद्र सरकार का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा ।

(पी.आर. गोपाल राव)
कार्यपालक निदेशक.

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