बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति- उदारीकरण और युक्तिकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति- उदारीकरण और युक्तिकरण
भारिबैंक/2011-12/519 20 अप्रैल 2012 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महेदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति- उदारीकरण और युक्तिकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों का ध्यान, समय - समय पर यथा संशोधित, बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 3/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 और 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा करने और यूनियन बजट 2012-13 में की गई घोषणाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि इस बाबत मौजूदा दिशानिर्देशों को और युक्तिसंगत तथा उदार बनाया जाए : (i) ऊर्जा (power) क्षेत्र के लिए पुनर्वित्त सीमा में वृद्धि करना ऊर्जा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को अनुमोदन मार्ग से लिए गए नए बाह्य वाणिज्यिक उधार में से 40 प्रतिशत का उपयोग घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋण/ऋणों के पुनर्वित्त हेतु उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी बशर्ते लिए जाने वाले प्रस्तावित नए बाह्य वाणिज्यिक उधार की 60 प्रतिशत राशि का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना/ओं के लिए नए पूंजी व्यय के लिए किया जाए। 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 25 में उल्लिखित रुपये की पुनर्वित्तीयन से संबंधित सभी अन्य शर्तें यथावत रहेंगी । (ii) सड़कों और महामार्गों के लिए चूंगी प्रणाली के रखरखाव और परिचालन के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार सड़कों और महामार्गों के लिए चूंगी प्रणाली के रखरखाव और परिचालन के लिए स्वचालित मार्ग से पूँजी व्यय और बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति भी दी जाएगी बशर्ते वह मूल परियोजना का हिस्सा हो । 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी नीति में किए गए संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू हैं । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा अनुमोदन मार्ग के तहत अधिकतम अनुमत सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत, अवधि पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |