इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार – उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार – उदारीकरण
भारिबैंक/2011-12/199 23 सितंबर 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया/ महोदय, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार – उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों (प्रा.व्या.श्रेणी I) का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2000 तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 05 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अंतर्गत, बाह्य वाणिज्यिक उधार द्वारा वर्तमान रुपया ऋणों की अदायगी करना अनुमत अंतिम उपयोग नहीं है । इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की खास जरूरतों पर विचार करते हुए, भारत सरकार के परामर्श से, बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय लिया गया कि बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों में यथा परिभाषित 'इंफ्रास्ट्रक्चर' के तहत आनेवाली इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा, अनुमोदन मार्ग के तहत, लीये गये नये बाह्य वाणिज्यिक उधार का 25 प्रतिशत अंश घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋण/ऋणों के पुनर्वित्त के लिए उपयोग करने की अनुमति, निम्नलिखित शर्तों के अंतर्गत प्रदान की जाए : (i) लिये जानेवाले प्रस्तावित नये बाह्य वाणिज्यिक उधार का कम से कम 75% भाग उन 'नई इंफ्रास्ट्रक्चर' परियोजना/ परियोजनाओं' के पूंजी व्यय के लिए उपयोग कीया जाना चाहिए जिन्हें बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों में 'इंफ्रास्ट्रक्चर' के रूप में परिभाषित किया गया है। (ii) शेष 25% राशि का उपयोग उन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना/ परियोजनाओं के 'पूंजी व्यय' के लिए, लिए गए रुपया ऋण की अदायगी के पुनर्वित्त के लिए उपयोग किया जा सकेगा जो पहले से पूर्ण हो चुकी है; और (iii) पुनर्वित्त सुविधा का उपयोग केवल उन रुपया ऋणों के लिए किया जाएगा जो संबंधित वित्तीय सहायता देनेवाले बैंक की बहियों में बकाया दर्ज हैं। 3. ऐसे बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की इच्छुक कंपनियां, फार्म ईसीबी में, अपने आवेदन पत्र अपने नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से निम्नलिखित दस्तावेज के साथ प्रस्तुत करें :- (i) पूर्ण परियोजना/परियोजनाओं के ब्योरे जिन्हें नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ने आवश्यक रूप में प्रमाणित किया हो; (ii) संबंधित घरेलू उधारदाता बैंक (बैंकों) द्वारा विधिवत प्रमाणित पूर्ण हुई परियोजना/ परियोजनाओं के लिए किए गए 'पूंजी व्यय' से संबंधित मीयादी रुपया ऋण के उपयोग के संबंध में सांविधिक लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र; (iii) बकाया रुपया ऋणों के संबंध में नामित प्राधिकारी व्यापारी बैंक का प्रमाणपत्र; और (iv) नई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के संबंध में प्रस्तावित अंतिम उपयोग के ब्योरे । 4. नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक इन निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी करेंगे तथा भारत स्थित बैंक/ बैंकों को इस बाबत किसी प्रकार की गारंटी देने की अनुमति नहीं होगी। बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी सभी अन्य शर्तें यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बनी रहेंगी तथा उनका अनुपालन करना होगा । 5. संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और वह किसी भी समय समीक्षा किए जाने के अधीन है । 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (रश्मि फौजदार) |