भारत में इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण अवसंरचना – आरटीजीएस और एनईएफटी का प्रयोग - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण अवसंरचना – आरटीजीएस और एनईएफटी का प्रयोग
आरबीआई/2010-11/259 03 नवम्बर 2010 आरटीजीएस और एनईएफटी में सहभागी सभी बैंकों के महोदया / प्रिय महोदय, भारत में इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण अवसंरचना – आरटीजीएस और एनईएफटी का प्रयोग कृपया हमारे पहले के परिपत्रों डीपीएसएस(केका) आरटीजीएस.सं.729/04.04.002/2006–2007 दिनांक 1 दिसम्बर 2006 (जिसमें आरटीजीएस में ग्राहक लेनदेनों के लिए मूल्यगत सीमा को रु.1 लाख किया गया) और डीपीएसएस(केका) सं. 611/03.01.03 (पी)/2008–09 दिनांक 8 अक्तूबर 2008 (इलेक्ट्रॉनिक भुगतान उत्पादों के लिए सेवा प्रभार लगाना) का अवलोकन करें। 2. भारतीय आरटीजीएस प्रणाली ने मार्च 2004 में अपने आरंभ से लेकर अब तक की जा रही प्रोसेसिंग के संदर्भ में संव्यवहारों की मात्रा और मूल्य दोनों की दृष्टि से अत्यधिक विकास किया है। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान संव्यवहारों की बढ़ती हुई संख्या के साथ-साथ यह भी महत्त्वपूर्ण हो गया है कि भारतीय आरटीजीएस प्रणाली को प्राथमिकतया बड़े मूल्य के भुगतान आदेशों की प्रोसेसिंग और निपटान के लिए रखा जाए। इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली के रूप में खुदरा इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण की प्रबल प्रणाली संस्थापित की है जिसमें एक दिन में 11 निपटान चक्रों सहित लगभग तत्काल ही अंतिम निपटान हो जाता है। 3. इसलिए इस प्रणाली के सहभागिेयों के परामर्श से यह निर्णय किया गया है कि आरटीजीएस संव्यवहारों की वर्तमान मूल्य सीमा को रु.1 लाख से बढ़ाकर रु. 2 लाख कर दिया जाए। ग्राहकों को अपने संव्यहार एनईएफटी पर करने के लिए प्रोत्साहित करने के हेतु रु.1 लाख से रु. 2 का एक नया मूल्य बैन्ड तैयार किया गया जिसमें आरटीजीएस संव्यवहारों की तुलना में कम प्रभार देने होंगे। विद्यमान सेवा प्रभारों और संशोधित सेवा प्रभारों के विवरण निम्नानुसार हैं –
4. एनईएफटी में रु. 1 लाख से रु. 2 लाख के मूल्य बैन्ड के लिए रु. 15/- प्रति संव्यवहार के सेवा प्रभार से ग्राहक को प्रत्येक संव्यवहार पर रु. 10/- की बचत होती है। इस प्रकार एनईएफटी में विशिष्ट मूल्य बैन्ड तैयार कर देने से ग्राहक को निधियों का समयबद्ध रूप से अंतरण करने की सुविधा मिलती है जिसमें कम लागत पर व्यापक भौगोलिक क्षेत्र की कवरेज भी मिलती है। इस उपाय से आरटीजीएस प्रणाली की कुशलता में और भी सुधार करने में विशिष्ट रूप से योगदान मिलेगा। 5. आरटीजीएस प्रणाली में ग्राहक संव्यवहारों के लिए संशोधित प्रारंभिक सीमाओं और एनईएफटी के संशोधित प्रभारों को 15 नवम्बर 2010 से लागू किया जाएगा। 6. सभी सदस्य बैंकों को सूचित किया जाता है कि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपने ग्राहकों को प्रोत्साहित करें। कृपया पावती भिजवाएं। भवदीय, (जी. पद्मनाभन) |