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विदेशी एंटिटियों द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (BO)/ संपर्क कार्यालय (LO)/ परियोजना कार्यालय (PO) अथवा अन्य किसी कारोबारी स्थान की स्थापना करना

भारिबैंक/2018-19/132
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.20

27 फरवरी 2019

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी एंटिटियों द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (BO)/ संपर्क कार्यालय (LO)/ परियोजना कार्यालय (PO) अथवा अन्य किसी कारोबारी स्थान की स्थापना करना

प्राधिकृत व्यापारी (एडी-श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान दिनांक 31 मार्च 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 22(आर) / आरबी-2016 द्वारा अधिसूचित तथा समय-समय पर संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा कार्यालय या संपर्क कार्यालय अथवा किसी परियोजना कार्यालय अथवा अन्य किसी कारोबारी स्थान की स्थापना करना) विनियमावली, 2016 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. मौजूदा विनियमों के अनुसार भारत में शाखा कार्यालय अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करने हेतु किसी गैर-सरकारी संगठन, गैर लाभकारी संगठन, किसी विदेशी सरकार के निकाय/ एजेंसी/ विभाग से प्राप्त आवेदनों को पूर्वानुमोदन तथा भारत सरकार से परामर्श कर उस पर विचार करने के लिए रिज़र्व बैंक को प्रेषित किया जाना है। इसकी तद्पश्चात समीक्षा की गई है तथा अधिसूचना सं. फेमा 22(आर)1 के माध्यम से अधिसूचित किए गए अनुसार यह सूचित किया जाता है कि यदि ऐसी कोई एंटीटी अंशतः अथवा पूर्णतः विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम, 2010 (एफ़सीआरए) के अंतर्गत आने वाली किसी एक गतिविधि में लिप्त है, तो ऐसे आवेदक उक्त अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगे और फेमा-22(आर) के अंतर्गत अनुमति नहीं मांगेंगे।

3. तदनुसार फॉर्म एफ़.एन.सी. को भी तदनुसार संशोधित किया गया है तथा मौजूदा वाक्य के अंत में भाग-II खंड (ii) में “घोषणा” शीर्ष के अंतर्गत निम्नलिखित वाक्यांश को जोड़ा गया है।

“हम अंशतः अथवा पूर्णतः ऐसी कोई भी गतिविधि नहीं करेंगे, जो विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम, 2010 (एफ़सीआरए) के अंतर्गत आती हो तथा हम यह समझते हैं कि इस संबंध में हमारे द्वारा कोई गलत बयानी करने अथवा मिथ्या सूचना प्रस्तुत करने पर विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा कार्यालय अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा अन्य कोई कारोबारी स्थान की स्थापना करना) विनियमावली, 2016 के अंतर्गत प्रदान किया गया अनुमोदन अपने आप प्रारंभ से ही रद्द हो जाएगा और रिज़र्व बैंक का इस प्रकार का अनुमोदन कोई और सूचना दिए बिना रद्द हो जाएगा।”

4. एलओ/ बीओ/ पीओ नीति के अन्य सभी प्रावधान अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.10 को भी इसके साथ-साथ अद्यतन किया जा रहा है।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(आर.के. मूलचंदानी)
मुख्य महाप्रबंधक

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