मास्टर निदेश - विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट कार्यालय (पीओ) या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करना (18 मई 2021 तक अद्यतन) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट कार्यालय (पीओ) या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करना (18 मई 2021 तक अद्यतन)
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
- 2021-05-18
- 2019-03-29
- 2019-02-28
- 2018-05-10
- 2016-05-17
- 2016-01-01
भा.रि.बैंक/एफईडी/2015-16/6 01 जनवरी 2016 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक महोदया/महोदय, मास्टर निदेश - विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट कार्यालय (पीओ) या अन्य कोई कारोबारी स्थान की स्थापना 131 मार्च 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 22 (आर)/2016-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 की धारा 6(6) की शर्तों से विनियमित होती है। विनियामक ढ़ांचे में होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए विनियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है एवं संशोधित अधिसूचनाओं के माध्यम से इन्हें प्रकाशित किया जाता है। 2. विनियमों की रूपरेखा के अधीन, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 11 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है। ये निदेश वे रूप निर्धारित करते हैं जिनसे यह निर्धारित होता है कि प्राधिकृत व्यक्ति अपने ग्राहकों/घटकों के साथ किस तरह विदेशी मुद्रा कारोबार करेंगे, इसमें बनाए गए विनियमों के कार्यान्वयन का ध्यान रखा जाता है। 3. इस मास्टर परिपत्र में "विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट कार्यालय (पीओ) या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करना" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान पर रखा गया है। रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश (01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश संख्या 18) में रिपोर्टिंग अनुदेश उपलब्ध हैं। 4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो वहाँ विनियमों में या प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अपने ग्राहकों/घटकों के साथ संबंधित लेनदेन करने के तरीकों में हुए परिवर्तनों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्रों के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। जारी किए जा रहे इस मास्टर निदेश को उपयुक्त रूप से साथ-साथ संशोधित किया जाएगा। भवदीय (रविन्द्र सिंह अमर) मास्टर निदेश - विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ प्रोजेक्ट i. भारत में बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों (फर्म या व्यक्तियों के अन्य समूह सहित भारत से बाहर निगमित कॉरपोरेट निकाय) से प्राप्त आवेदनों पर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार विचार करेंगे। ii. भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति के निम्नलिखित मामलों में बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है और निम्नलिखित मामलों में ऐसे आवेदन को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, विदेशी मुद्रा विभाग, 6, संसद मार्ग, नई दिलली 110 001 को प्रेषित करे जो इस आवेदन पर भारत सरकार से विचार-विमर्श करके संसाधित करेगा। ए) आवेदक पाकिस्तान का नागरिक है या वहां पंजीकृत है/निगमित है; बी) आवेदक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग या मकाओ का नागरिक है या वहां पंजीकृत है/निगमित है और यह जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्वी क्षेत्र तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने का आवेदन है; सी) आवेदक का 2प्रमुख कारोबार रक्षा, टेलीकॉम, निजी सुरक्षा एवं सूचना और प्रसारण नामक चार क्षेत्रों में आता है। तथापि उन मामलों में जहां सरकार का अनुमोदन अथवा संबंधित मंत्रालय/ विनियामक द्वारा लाइसेंस/ अनुमति पूर्व में ही प्रदान की गई है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक नहीं होगा। साथ ही, यदि प्रस्ताव रक्षा क्षेत्र में पीओ खोलने से संबंधित है तो उस स्थिति में भारत सरकार को कोई अलग से संदर्भ देने या अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है यदि कथित गैर-निवासी आवेदक को रक्षा मंत्रालय या सेना मुख्यालय या रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम ने ठेका दिया हो /उससे करार किया हो। यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत सरकार की 21 जनवरी 2019 की अधिसूचना में प्रयोग में लाए गए “अनुमति” शब्द में उपर्युक्त चार क्षेत्रों के संबंध में स्वचालित मार्ग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अंतर्गत उपलब्ध सामान्य अनुमति, यदि कोई हो, शामिल नहीं है। डी) आवेदक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), गैर-लाभकारी संस्थान, निकाय/ एजेंसी/ विदेशी सरकार का विभाग है। तथापि यदि ऐसी कोई एंटीटी अंशतः अथवा पूर्णतः विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम, 2010 (एफ़सीआरए) के अंतर्गत आने वाली किसी एक गतिविधि में लिप्त है तो वह उक्त अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगे और फेमा 22 (आर) 3के अंतर्गत अनुमति नहीं मांगेंगे। iii. भारत में बीओ/ एलओ के लिए आवेदन करने वाली गैर-निवासी संस्था का अच्छा वित्तीय रिकॉर्ड होना चाहिए अर्थात:- ए) शाखा कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले पांच वर्ष में लाभ कमाने का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए तथा निवल मालियत 100,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से कम की नहीं होनी चाहिए। निवल मालियत [प्रमाणित सांविधिक लोक लेखाकार या किसी पंजीकृत लेखा व्यवसायी, उसे चाहे जिस नाम से बुलाया जाता हो, द्वारा प्रमाणित नवीनतम लेखापरीक्षित तुलन पत्र या लेखा विवरणी के अनुसार कुल प्रदत्त पूंजी एव मुक्त प्रारक्षित निधियों में से घटाई गई अमूर्त आस्तियां ]। बी) संपर्क कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले पांच वर्ष में लाभ कमाने का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए तथा निवल मालियत 50,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से कम की नहीं होनी चाहिए। iv. जिस आवेदक की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ न हो एवं वह किसी अन्य कंपनी की सहायक कंपनी हो तो वह अपने मूल/समूह की कंपनी से चुकौती आश्वासन पत्र (अनुबंध क) प्रस्तुत कर सकती है बशर्ते मूल/ समूह कंपनी निवल मालियत एवं लाभ हेतु निर्धारित मानदंड को पूरा करती हो। i. गैर-निवासी संस्था को भारत में बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित करने का आवेदन नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक (अर्थात वह प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक जिसके साथ आवेदक बैंकिंग संबंध करने का इच्छुक हो) को फॉर्म एफएनसी (अनुबंध ख) में प्रस्तुत करना होगा जिसके साथ फॉर्म में निर्धारित दस्तावेज एवं जहां आवश्यक हो वहां चुकौती आश्वासन पत्र (एलओसी) संलग्न होने चाहिए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक आवेदक की पृष्ठभूमि के बारे में समुचित सावधानी बरतते हुए बीओ/ एलओ/ पीओ, स्थापित करने के बारे में पात्रता मानक को पूरा करने, प्रवर्तकों के पूर्ववृत्त, आवेदक के स्वरूप एवं गतिविधियों के स्थान, निधियों के स्रोत आदि के बारे में एवं भारत में बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित करने के लिए विदेशी संस्था को अनुमोदन देने हेतु जिस स्तर तक केवाईसी मानकों का अनुपालन किया जाना है उसके बारे में स्व-संतुष्ट होना । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक फेमा विनियमों एवं निदेशों के अनुरूप इन आवेदनों के निपटान के बारे में समुचित नीति तैयार कर सकते हैं। ii. तथापि, आवेदक को अनुमोदन पत्र जारी करने से पहले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक अनुमोदन किए जाने वाले प्रस्ताव के ब्योरे सहित फॉर्म एफएनसी की प्रति महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को भेज सकते हैं ताकि वे प्रत्येक बीओ/ एलओ को विशेष पहचान संख्या आबंटित (यूआईएन) कर सकें। रिज़र्व बैंक से यूआईएन मिलने के पश्चात प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक गैर-निवासी संस्था को भारत में बीओ/ एलओ स्थापित करने के लिए अनुमोदन पत्र जारी कर सकता है। इससे रिज़र्व बैंक अपनी वेबसाइट पर उन सभी विदेशी संस्थाओं की अद्यतन सूची रख सकता है, इनका रखरखाव कर सकता है एवं इन्हें अपलोड कर सकता है जिन्हें भारत में बीओ/ एलओ स्थापित करने की अनुमति दी गई है। iii. एलओ के लिए सामान्यत: तीन वर्ष की वैधता अवधि होती है, सिवाय गैर-बैंकिंग कंपनियों के एवं उन संस्थाओं के जो निर्माण एवं विकास क्षेत्र के कार्य में लगी हों जिनके लिए वैधता अवधि दो वर्ष होती है। प्रोजेक्ट कार्यालय की वैधता अवधि प्रोजेक्ट की अवधि तक होती है। iv. गैर-निवासी कंपनियों को भारत में पीओ स्थापित करने की सामान्य अनुमति है बशर्ते उन्होनें सी भारतीय कंपनी के साथ भारत में प्रोजेक्ट निष्पादित करने के लिए संविदा हासिल कीहो। साथ ही, प्रोजेक्ट को आवश्यक विनियामक निर्बाधता हासिल हो; एवं इसको विदेश से सीधे आवक विप्रेषण के रूप में निधि मिली हो; या प्रोजेक्ट का वित्तपोषण द्विपक्षीय या बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसी या कंपनी ने किया हो, या प्रोजेक्ट हेतु भारत में संविदा देने वाली संस्था को लोक ऋण संस्थान या बैंक ने मीयादी ऋण प्रदान किया हो। v. बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित करने के लिए जिस आवेदक को अनुमति मिल गई हो उसे प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित होने की तारीख बतानी होगी। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -I बैंक को तत्पश्चात इसकी सूचना रिज़र्व बैंक को देनी होगी। प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा दिए गए अनुमोदन को यदि आवेदक द्वारा वापिस कर दिया जाए या बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित किए बिना ही इसकी अवधि समाप्त हो जाए तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को इसकी सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को देनी चाहिए। vi. अनुमोदन प्रदान करने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को इस अनुमोदन में यह प्रावधान रखना चाहिए कि जिस बीओ/ एलओ/ पीओ के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया था वह यदि अनुमोदन पत्र की तारीख से छह महीने के अंदर नहीं खुलता है तो अनुमोदन समाप्त माना जाएगा। यदि गैर-निवासी संस्था किन्हीं ऐसे कारणों के चलते निर्धारित समयावधि में कार्यालय खोलने में असमर्थ हो जो कि उसके नियंत्रण से बाहर हों तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक कार्यालय स्थापित करने के लिए और छह महीने का समय-विस्तार देने पर विचार कर सकता है। इस मामले में और अधिक समय-विस्तार आवश्यक होने पर इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा। vii. यदि विदेशी बैंको एवं बीमा कंपनियों से भारत में बीओ/ एलओ खोलने के आवेदन प्राप्त होते हैं तो ये सीधे क्रमश: बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय एवं भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) में प्राप्त किए जाएंगे और यहीं इनकी जांच की जाएगी। ऐसे प्रतिनिधि कार्यालयों के लिए विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से किसी भी यूआईएन की आवश्यकता नहीं है। viii. अनिवासी कंपनियों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) में विनिर्माण एवं सेवा संबंधी गतिविधियों के लिए बीओ स्थापित करने के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन सामान्य अनुमति है:- ए) ऐसे बीओ उन क्षेत्रों में कार्य करें जिनमें 100% एफडीआई की अनुमति है; बी) ऐसे बीओ कंपनी अधिनियम, 2013 के अध्याय XXII का अनुपालन करें; और सी) ऐसे बीओ स्टैंड-अलोन आधार पर कार्य करें। कारोबार बंद करने की स्थिति में एवं बंद करने पर हुई आय को विप्रेषित करने के लिए शाखा को “संपर्क/शाखा कार्यालय बंद करना” के पैरा 10 में उल्लिखित दस्तावेजों के साथ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक से संपर्क करना चाहिए। 3. बीओ/ एलओ/ पीओ द्वारा बैंक खाता खोलना i. भारत से बाहर स्थित अपने मुख्यालय से विप्रेषण प्राप्त करने के लिए एलओ खाता खोलने के लिए भारत में नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक से संपर्क कर सकता है। यह नोट किया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना एलओ किसी भी समय एक से अधिक खाता नहीं रखेगा। इस खाते में अनुमत जमा तथा नामे इस प्रकार होंगे:- क. जमा (क्रेडिट) 1. कार्यालय के व्यय हेतु सामान्य बेंकिंग चैनल के माध्यम से मुख्यालय से प्राप्त निधि 2. एलओ के खाते से सीधे या सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से सीधे मुख्यालय द्वारा चुकता की गई जमानत राशि की वापसी। 3. एलओ के बैंक खाते से भुगतान किए गए कर, ड्यूटी आदि की कर प्राधिकारियों से प्राप्त वापसी। 4. एलओ की आस्तियों की बिक्री प्राप्तियाँ। ख. नामे (डेबिट) केवल कार्यालय के स्थानीय व्यय के लिए। i. भारत में अपने परिचालन के लिए बीओ भारत में किसी भी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक से खाता खोलने के लिए संपर्क कर सकता है। कार्यालय के व्यय के लिए सामान्य चैनल से मुख्यालय से प्राप्त निधि एवं इसके कारोबार से प्राप्त वैध प्राप्तियां इस खाते में जमा की जाएं। बीओ द्वारा किए गए व्यय एवं विप्रेषित की जाने वाली लाभ/कारोबार बंद करने से हुई आय को इस खाते में नामे किया जाए। ii. पाकिस्तान की संस्था (एनटिटी) को छोड़कर अन्य कोई विदेशी संस्था जिसे सरकारी प्राधिकारी/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा ठेका दिया गया है या जिसे भारत में परिचालन करने के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी ने अनुमति दी है वह रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना बैंक खाता खोल सकता है। भारत में अपने प्रोजेक्ट कार्यालय के लिए पाकिस्तानी संस्था को खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। iii. परियोजना कार्यालय (पीओ) के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन बिना ब्याज दर का उल्लेख वाला विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है:- ए. पीओ भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक की सामान्य/विशिष्ट अनुमति से खोला गया है, इन विनियमों के तहत इसे संबंधित प्रोजेक्ट अनुमोदन प्राधिकारी से अपेक्षित अनुमोदन मिला हुआ है। बी. इस प्रोजेक्ट संविदा में विदेशी मुद्रा में भुगतान करने का प्रावधान विशिष्टत: होना चाहिए। सी. प्रत्येक पीओ दो विदेशी मुद्रा खाते खोल सकता है जिनमें सामान्यत: एक अमेरिकी डॉलर में तथा दूसरा प्रोजेक्ट मिलने वाले की घरेलू मुद्रा में मूल्यवर्गित हो, बशर्ते दोनों खाते एक ही प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक में हों। डी. खाते में से अनुमत नामे प्रोजेक्ट संबंधी व्यय के भुगतान से संबंधित हों एवं प्रोजेक्ट अनुमोदन प्राधिकारियों से विदेशी मुद्रा पावतियां एवं विदेश स्थित मूल/ समूह कंपनियों या द्विपक्षीय/ बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियों से प्राप्त विप्रेषण जमा में दिखेंगे। ई. यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पूर्णत: प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक की होगी कि विदेशी मुद्रा खाते में केवल अनुमोदित नामे तथा जमा ही शामिल हों। इसके अलावा, ये खाते संबंधित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के समवर्ती लेखापरीक्षक द्वारा 100 प्रतिशत जांच के अधीन होंगे। एफ़. विदेशी मुद्रा खाते परियोजना पूरी होने पर ही बंद किए जाएं। 4. शाखा कार्यालय / संपर्क कार्यालय / परियोजना कार्यालय द्वारा वार्षिक गतिविधि प्रमाणपत्र i. अपेक्षित दस्तावेजों सहित निम्नलिखित को प्रत्येक वर्ष 31 मार्च की समाप्ति पर वार्षिक गतिविधि प्रमाणपत्र (एएसी) प्रस्तुत करना आवश्यक है:- ए. एकमात्र बीओ/ एलओ/ पीओ के मामले में, संबंधित बीओ/ एलओ/ पीओ द्वारा; बी. बहु बीओ/ एलओ के मामले में, भारत में बीओ/ एलओ के नोडल कार्यालय द्वारा सभी कार्यालयों के लिए संयुक्त एएसी। एलओ/ बीओ को नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के साथ-साथ आयकर महानिदेशक (अंतरराष्ट्रीय कराधान), नई दिल्ली को भी एएसी प्रस्तुत करना होगा जबकि पीओ को केवल नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को ही एएसी प्रस्तुत करना होगा। ii. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को एएसी की जांच करनी चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीओ/ एलओ द्वारा की जा रही गतिविधियां प्रदत्त अनुमोदन की शर्तों के अनुसार की जा रही हैं। यदि लेखापरीक्षक द्वारा कोई प्रतिकूल घटना रिपोर्ट की जाती है या नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इसे नोटिस करता है तो एएसी की प्रति एवं अपने अभिमत सहित तुरंत ही इसकी जानकारी महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को दी जाए। 5. एलओ एवं पीओ के अनुमोदन की वैधता अवधि का विस्तार i) एलओ के मामले में अनुमोदन की वैधता के विस्तार का आवेदन इसके समाप्त होने से पहले उस सबंधित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को किया जाए जिसके क्षेत्राधिकार में एलओ/ नोडल कार्यालय स्थापित है। यदि आवेक ने निम्नलिखत शर्तों का अनुपालन किया हो एवं आवेदन अन्यथा सही हो तो एलओ की वैधता अवधि को नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक मूल अनुमोदन/विस्तार की तारीख से 3 वर्ष तक की अवधि के लिए बढ़ा सकता है:- ए) एलओ ने पिछले वर्ष का वार्षिक गतिविधि प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया हो एवं बी) नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -I बैंक के पास रखा एलओ का खाता अनुमोदन पत्र में उल्लिखित शर्तों के अनुसार परिचालित किया जा रहा हो। विस्तार संबधी ऐसे अनुमोदन यथाशीघ्र दिए जाए और किसी भी स्थिति में अनुरोध मिलने के एक महीने के से अधिक का विलंब न हो एवं इसकी सूचना महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को दी जाए जिसमें मूल अनुमोदन पत्र की संदर्भ संख्या एवं यूआईएन का उल्लेख हो। रिज़र्व बैंक को अपनी वेबसाइट पर अद्यतन सूचना प्रदर्शित करनी चाहिए। ii. इसके अलावा, विनिर्माण एवं विकासात्मक क्षेत्रों में कार्यरत संस्थाओं एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को केवल दो वर्ष के लिए संपर्क कार्यालय खोलने की अनुमति है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एवं विनिर्माण एवं विकासात्मक क्षेत्रों (बुनियादी संरचना विकास कंपनियों को छोड़कर) में कार्यरत संस्थाओं के संपर्क कार्यालयों को और विस्तार नहीं दिया जाएगा। वैद्यता समाप्ति पर इन कार्यालयों को बंद होना होगा या चालू विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के अनुसार संयुक्त उपक्रम/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में परिवर्तित होना होगा। 6. पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण भारत में बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के इच्छुक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग, मकाओ या पाकिस्तान के आवेदकों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को इन देशों के "व्यक्तियों" को दिया जाने वाला अनुमोदन पत्र गृह मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग-I, भारत सरकार, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई एवं अभिलेख हेतु भेजना होगा। 7. अतिरिक्त कार्यालयों एवं गतिविधियों के आवेदन i. रिक्त बीओ/ एलओ स्थापित करने के आवेदन नए एफएनसी फॉर्म में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंक को प्रस्तुत किए जाएं। तथापि, यदि पहले ही प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में कोई बदलाव न हुआ हो तो एफएनसी फॉर्म में उल्लिखित दस्तावेजों को पुन: प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। ए. यदि कार्यालयों की संख्या 4 (अर्थात एक बीओ/ एलओ के प्रत्येक क्षेत्र अर्थात पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण) से अधिक हो तो आवेदक को अतिरिक्त कार्यालय/कार्यालयों की आवश्यकता का तर्क प्रस्तुत करना होगा एवं इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन अपेक्षित होगा। बी. आवेदक को भारत में अपने कार्यालयों में से एक को नोडल कार्यालय के रूप में चिन्हित करना होगा जो कि भारत में इसके सभी कार्यालयों की गतिविधियों का समन्वय करेगा। सी. जब कभी वर्तमान बीओ/ एलओ भारत के किसी अन्य शहर में स्थानांतरित हो तो इसके लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। तथापि, यदि एलओ / बीओ उसी शहर में स्थानांतरित होता है तो इसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है पर शर्त यह है कि नए पते की जानकारी नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को दी जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को डाक के पते में हुए इस परिवर्तन की सूचना यथाशीघ्र केंद्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को दी जाए। ii. भारतीय रिज़र्व बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक द्वारा आरंभ (अनुबंध ग) में जिन गतिविधियों की अनुमति दी गई है अगर उनके अलावा गतिविधियों की अनुमति चाहिए तो इसके लिए आवेदक को इसकी आवश्यकता का तर्क देते हुए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन करना होगा। 8. निधि एवं गैर-निधि आधारित सुविधाओं का विस्तार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक अपने कारोबारी विवेक, निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीति एवं बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित चालू नियम/ विनियम के अनुपालन पर केवल बीओ/ पीओ को निधि/ गैर-निधि आधारित सुविधा प्रदान करें। i. बीओ को लागू भारतीय करों की कटौती के पश्चात लाभ की राशि को भारत के बाहर विप्रेषित करने की अनुमति है, इसके लिए उसे उस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक की संतुष्टि हेतु अग्रलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे जिसके माध्यम से यह विप्रेषण किया जाना है:- ए. संबंधित वर्ष की लेखा-परीक्षित तुलनपत्र एवं लाभ-हानि खाते की सत्यापित प्रति बी. सनदी लेखाकार का प्रमाणपत्र जिसमें प्रमाणित किया गया हो:-
ii. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक प्रोजेक्ट को बंद करने/ पूर्ण होने को लंबित रखते हुए पीओ द्वारा विरामी (इंटरमिटेंट) विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते वह निम्नलिखित के अधीन लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हो:- क. पीओ लेखा-परीक्षक/सनदी लेखाकार के इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करे कि आय कर आदि सहित भारत में देय देयताओं के लिए पर्याप्त प्रावधान कर लिया गया है। ख. पीओ से इस आशय का वचनपत्र कि इस विप्रेषण से भारत में प्रोजेक्ट पूरा होने में कोई असर नहीं पड़ेगा एवं भारत में किसी भी तरह की देयता हेतु निधि कम पड़ने पर विदेश से आवक विप्रेषण मंगा कर इसे पूरा किया जाएगा। i. बीओ/ एलओ/ पीओ के बंद करने का अनुरोध एवं बीओ/ एलओ/ पीओ के समापन से प्राप्त आय के विप्रेषण के अनुरोध को बीओ/ एलओ/ पीओ या उनके नोडल कार्यालय, जैसी भी स्थिति हो, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को प्रस्तुत किया जाए। समापन का अनुरोध निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया जाए ए. बीओ/ एलओ/ पीओ स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के अनुमोदन की प्रति। बी. लेखा-परीक्षक का प्रमाणपत्र :
सी. आवेदक/ मूल कंपनी द्वारा यह पुष्टि कि बीओ/ एलओ/ पीओ के विरुद्ध भारत के किसी भी न्यायालय में कोई कानूनी कार्रवाई लंबित नहीं है एवं विप्रेषण में कोई कानूनी अवचन नहीं है। डी. यदि बीओ/ एलओ भारत में अपने कार्य का समापन कर रहे हों तो, जहां लागू हो वहां, कंपनी अधिनयम, 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के बारे में कंपनी पंजीयक की रिपोर्ट। ई. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि बीओ/ एलओ/ पीओ ने अपने संबंधित एएसी फाइल कर दिए हैं। एफ़. अनुमोदन प्रदान करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक द्वारा निर्दिष्ट अन्य दस्तावेज। ii. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक उक्त दस्तावेजों सहित क्षेत्रगत विनियामकों के बंद करने की अनुमति की प्रति लेने के पश्चात बैंकों एवं बीमा कंपनियों के कार्यालयों के समापन से प्राप्त आय को विप्रेषित करने की अनुमति दे सकते हैं। 11. बीओ/ एलओ/ पीओ की आस्तियों का अंतरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक उन्हीं बीओ/ एलओ/ पीओ की आस्तियों के अंतरण के प्रस्ताव पर विचार करें जिन्होंने नियमित वार्षिक अंतराल पर एएसी (चालू वित्त वर्ष तक) प्रस्तुत किए हों एवं इसकी प्रति आयकर महानिदेशक (अंतरराष्ट्रीय कराधान) को परांकित करने; आयकर प्राधिकारियों से पैन हासिल करने तथा आवश्यक होने पर कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनी पंजीयक के पास पंजीकृत होने सरीखे परिचालनात्मक दिशा-निर्देशों का पालन किया हो। साथ ही:- i. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक जेवी/ डब्ल्यूओएस को बिक्री के माध्यम से आस्तियों के अंतरण की अनुमति गैर-निवासी संस्थाओं को तभी दे सकते हैं जब वे भारत में बीओ/ एलओ/ पीओ के अपने परिचालन बंद करने के इच्छुक हों। ii. सांविधिक लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना जिसमें अंतरित की जाने वाली आस्तियों का ब्योरा हो, साथ ही इसमें इनके अधिग्रहण की तारीख, मूल कीमत, आज तक का अवमूल्यन, आज का बही मूल्य या अवलिखित मूल्य (डब्ल्यूडीवी) तथा हासिल किया जाने वाले प्रतिफल का उल्लेख हो। सांविधिक लेखापरीक्षक को इसकी भी पुष्टि करनी होगी कि इनके आरंभिक क्रय के पश्चात आस्तियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया गया है। प्रत्येक मामले में विक्रय प्रतिफल बही मूल्य से अधिक न हो। iii. बीओ/ एलओ/ पीओ द्वारा आवक विप्रेषण से आस्तियां अधिग्रहीत न की जाएं तथा साख, परिचालन-पूर्व व्यय सरीखे अमूर्त आस्तियां इसमें शामिल न की जाएं। बीओ/ एलओ द्वारा पट्टे में किए गए सुधार जैसे राजस्व व्यय को पूंजीगत एवं जेवी/ डब्ल्यूओएस को अंतरित नहीं किया जा सकता है। iv. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक आस्तियों के अंतरण की अनुमति देते समय सुनिश्चित करे कि सभी लागू करों का भुगतान किया गया है। v. बीओ/ एलओ/ पीओ के बैंक खातों में आस्तियों के अंतरण के कारण होने वाले जमा को अनुमत जमा समझा जाएगा। vi. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक लेनदेनों की वास्तविकता से संतुष्ट होने के पश्चात बीओ/ एलओ/ एलओ/ पीओ द्वारा एनजीओ या अन्य किसी लाभ अर्जित न करने वाले संगठन को पुराने फर्नीचर, वाहन, कंप्यूटर तथा कार्यालय के अन्य सामान दान देने की अनुमति दे सकता है। 12. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक हेतु मार्गदर्शी नोट i. बीओ/ एलओ/ पीओ या कारोबार का अन्य कोई स्थान चाहे इसे किसी भी नाम से जाना जाता हो उसे भारत में कारोबार का स्थान स्थापित होने के पश्चात कंपनी पंजीयक (आरओसी) के पास पंजीकृत कराना आवश्यक है यदि ऐसा पंजीकरण कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अपेक्षित हो। ii. भारत में अपना कार्यालय स्थापित करने के बाद बीओ/ एलओ को स्थाई खाता संख्या (पैन) हासिल करनी होगी एवं इसके बारे में एएसी में रिपोर्ट करना होगा। iii. जब एलओ को बीओ के रूप में उन्नयन होने की अनुमति दी जाए तब भी ये वर्तमान पैन एवं बैंक खाता रख सकते हैं। iv. बीओ/ एलओ/ पीओ से अपेक्षित है कि वे केवल एक नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के माध्यम से ही लेनदेन करें जो कि बीओ/ एलओ/ पीओ के संबंध में समुचित सावधानी बरतने एवं केवाईसी मानकों के अनुपालन के लिए जिम्मेदार होगा। कई स्थानों पर उपस्थित बीओ/ एलओ/ पीओ से अपेक्षित है कि वे अपने नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के माध्यम से लेनदेन करें। तथापि, प्राधिकृत व्यापारी के नोडल अधिकारी से अपेक्षित है कि वह सभी रिपोर्टिंग मानकों का अनुपालन करे। v. बीओ/ एलओ/ पीओ अपने वर्तमान प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को बदल सकते हैं बशर्ते इस बदलाव के लिए दोनों प्राधिकृत व्यापारी बैंक लिखित सहमति दें एवं अंतरण करने वाला बैंक पुष्टि करे कि सभी एएसी को प्रस्तुत किया गया है एवं बीओ/ एलओ/ पीओ द्वारा खाते में संचालन में कोई प्रतिकूल कार्य नहीं है। vi. बीओ/ पीओ द्वारा भारत में संपत्ति का अधिग्रहण विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण एवं स्थानातंरण) विनियम के तहत जारी दिशानिर्देशो से संचालित होगा। vii. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6(3)(एच) के अनुसार, बीओ/ एलओ/ पीओ को पट्टे वाली संपत्ति से अनुमत/ आकस्मिक गतिविधियां करने की सामान्य अनुमति है बशर्ते पट्टे की अवधि पांच वर्ष से अधिक न हो। viii. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति के बीओ/ एलओ/ पीओ के पक्ष में अधिकतम छह महीने के लिए मीयादी जमा खाते की अनुमति दे सकता है बशर्ते बैंक संतुष्ट हो कि मीयादी जमा अस्थाई बेशी निधि से किया गया है एवं बीओ/ एलओ/ पीओ इस आशय का वचन दे कि मीयादी जमा की परिपक्वता राशि का उपयोग वे परिपक्वता के 3 महीने के अंदर अपने कारोबार के लिए करेंगे। तथापि, यह सुविधा जहाजरानी/ विमानन कंपनियों को नहीं दी जाएगी। ix. यदि बीओ/ एलओ स्थापित हो गए हों एवं रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना ही अस्तित्व में हों तो ऐसे बीओ/ एलओ फेमा 1999 के तहत अपने कार्यालय को नियमित करने के लिए अपने प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं चाहे भले ही कार्यालय स्थापित करते वक्त के विनियमों के अनुसार रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक न भी रही हो। यूआईएन के आबंटन के पश्चात ऐसे मामले तुरंत ही रिज़र्व बैंक की जानकारी में लाए जाएं। ऐसी विदेशी संस्थाएं जिन्होंने फेमा-पूर्व अवधि में भारत सरकार की अनुमति से एलओ या बीओ स्थापित किया हो उन्हें भी यूआईएन के आबंटन के लिए उक्त अनुमोदन के साथ अपने प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक के माध्यम से रिज़र्व बैंक को संपर्क करना होगा। x. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक वर्तमान एलओ/ बीओ को नाम बदलने की अनुमति केवल तभी दे सकते हैं जब गैर-निवासी संस्थाएं अपना नाम स्वामित्व में परिवर्तन किए बिना करें एवं नाम परिवर्तन के लिए निदेशक मंडल में संकल्प पारित किया जाए एवं भारत में कंपनी पंजीयक से प्राप्त दस्तावेजों/ प्रमाणपत्र में परिवर्तित नाम दर्शाया गया हो। बीओ/ एलओ के परिवर्तित नाम की सूचना विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को दी जाए। जब विदेशी संस्थाओं के अधिग्रहण या समामेलन के चलते स्वामित्व में परिवर्तन होने के कारण नाम परिवर्तन का अनुरोध किया जाए तो अधिग्रहित संस्था या नई संस्था को वर्तमान संस्था को बंद करके नई के लिए आवेदन करना होगा। विदेशी संस्थाएं नोट करें कि भारतीय रिज़र्व बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -I बैंक निर्धारित दिशानिर्देशों एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीतियों के अनुसार विस्तृत संवीक्षा करने के उपरांत अनुमोदन देते हैं एवं इसलिए एक विदेशी संस्था को प्रदत्त अनुमोदन दूसरी विदेशी संस्था को हस्तांतरणीय नहीं है। xi. बीओ/ एलओ के शीर्ष प्रबंधतंत्र या सीईओ/ एमडी/सीएमडी आदि में परिवर्तन के लिए रिज़र्व बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक नहीं है। तथापि, इसके बारे में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक को सूचित किया जाए। चुकौती आश्वासन-पत्र का प्रारूप प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता महोदय, विषय:- हमारी सहायक कंपनी/ समूह कंपनी, मैसर्स ------------------------- कृपया हमारी सहायक कंपनी/ समूह कंपनी, मैसर्स ------------------------- द्वारा भारत में शाखा/ संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए आपके कार्यालय में दिए गए आवेदनपत्र को देखें। 2. इस संबंध में हम---------------------------(मूल कंपनी/ समूह कंपनी) वचन देते हैं कि अपनी सहायक/ समूह कंपनी के भारत में शाखा/ संपर्क कार्यालय के परिचालन के लिए आवश्यक वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराएंगे। भारत में शाखा/ संपर्क कार्यालय के रूप में कार्य करते हुए यदि कोई देयता बनती है एवं शाखा/ संपर्क कार्यालय इसमें असमर्थ है तो इसकी भरपाई हम (मूल कंपनी/ समूह कंपनी) उठाएंगे। 3. हम इसके साथ प्रमाणित लोक लेखापरीक्षक से प्रमाणित अपनी कंपनी का अद्यतन तुलन पत्रक/ लेखा विवरण संलग्न कर रहे हैं। भवदीय ( ) एफ.एन.सी. फॉर्म भारत में शाखा कार्यालय/ संपर्क कार्यालय/ प्रोजेक्ट कार्यालय स्थापित करने के लिए आवेदन [आवेदक को इस पूरी तरह से भरे हुए आवेदनपत्र को घोषणा की मद (viii) में उल्लिखित दस्तावेजों के साथ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को प्रस्तुत करना चाहिए] भाग - I
भाग - II I. कंपनी/ फर्म के ब्योरे
II. निदेशकों/ मुख्य कार्यपालकों से संबंधित ब्योरे
III. आवेदक कंपनी के शेयरधारकों के ब्योरे (10% से अधिक शेयरधारिता वाली सभी फर्में/ कंपनियां, संस्थाएं/ व्यक्ति)
IV. कंपनी / निदेशक (निदेशकों) के विरुद्ध यदि कोई आपराधिक मामले हों तो उनके ब्योरे क. कंपनी का नाम; पता तथा पंजीकरण संख्या : ख. कंपनी के स्वत्वाधिकारियों, प्रवर्तकों एवं निदेशकों के नाम तथा पते : ग. क्या कंपनी के उक्त सूचीबद्ध स्वत्वाधिकारी, प्रवर्तक या निदेशक निम्नलिखित में से किसी के अधीन हैं:-
घ. यदि हां, तो कृपया अग्रलिखित ब्योरे दें:-
घोषणा हम एततद्वारा घोषित करते हैं कि:- i. ऊपर दिए गए ब्योरे मेरी सर्वोत्तम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सही एवं ठीक हैं। ii. भारत में हमारी गतिविधियां उक्त कॉलम 4 (iii) (क)/7 (vi) में उल्लिखित गतिविधियों तक ही सीमित रहेंगी। हम अंशतः अथवा पूर्णतः ऐसी कोई भी गतिविधि नहीं करेंगे जो विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम, 2010(एफ़सीआरए) के अंतर्गत आती हो तथा हम यह समझते हैं कि इस संबंध में हमारे द्वारा कोई गलत बयानी करने अथवा झूठी जानकारी प्रस्तुत करने पर विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा कार्यालय अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा अन्य कोई कारोबारी स्थान की स्थापना करना) विनियमावली, 2016, के अंतर्गत प्रदान किया गया अनुमोदन अपने आप प्रारंभ से ही रद्द हो जाएगा और रिज़र्व बैंक का इस प्रकार का अनुमोदन कोई और सूचना दिए बिना रद्द हो जाएगा।4 iii. उसी शहर में किसी दूसरे स्थान पर अपना कार्यालय स्थानांतरित करने पर हम नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को सूचित करेंगे। भारत में किसी दूसरे शहर में कार्यालय स्थानांतरित करने पर नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक का पूर्वानुमोदन लिया जाएगा। iv. हम भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक/ नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाने वाली शर्तों का पालन करेंगे। v. हम वचन देते हैं कि हम भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेश स्थित हमारे बैंकरों से रिपोर्ट/ राय मांगने पर सहमत हैं। vi. हम समझते हैं कि यदि अनुमोदन दिया जाता है तो वह केवल फेमा के दृष्टिकोण से होगा। भारत में परिचालन आरंभ करने से पहले किसी अन्य सरकारी प्राधिकारी/ विभाग/ मंत्रालय से अपेक्षित अन्य कोई अनुमोदन/ निर्बाधता, सांविधिक या अन्यथा भी ली जाएगी। vii. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन संबंधी इन ब्योरों को पब्लिक डोमेन में ड़ालने पर कोई आपत्ति नहीं है। viii. हम निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न कर रहे हैं:- ए. निगमित होने/ पंजीकरण के प्रमाणपत्र की प्रति; पंजीकरण करने वाले देश में नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित संस्था के अंतर्नियम एवं बहिर्नियम। [यदि मूल प्रमाणपत्र अंग्रेजी से अलावा अन्य किसी भाषा में हो तो इसे अंग्रेजी में अनूदित किया जाए एवं उक्त तरीके से इसकी नोटरी की जाए एवं मूल देश में स्थित भारतीय दूतावास/कांसुलेट से इसका क्रास प्रमाणन/ सत्यापन कराया जाए।] बी. शाखा कार्यालयों/ संपर्क कार्यालयों के मामले में आवेदक कंपनी की क्रमश: पिछले तीन वर्ष/ पांच वर्ष का अंकेक्षित तुलन पत्रक। [यदि आवेदक के मूल देश के कंपनी कानून/ विनियम लेखा के अंकेक्षण पर जोर न देते हों तो प्रमाणित लोक लेखाकार (सीपीए) या किसी भी नाम से पहचाने जाने वाले पंजीकृत लेखा पेशेवर द्वारा प्रमाणित लेखा प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए जिसमें निवल मालियत का स्पष्ट उल्लेख हो।] सी. आवेदक के मूल देश/ पंजीकरण करने वाले देश के बैंकर से बैंकर रिपोर्ट जिसमें उल्लेख हो कि कितने वर्ष से आवेदक का बैंक का साथ बैंकिंग का संबंध है। डी. यदि समुद्रपारीय संस्था का प्रमुख फॉर्म एफएनसी पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा है तो फॉर्म एफएनसी पर हस्ताक्षर करने वाले के पक्ष में मुख्तारनामा। (आवेदक कंपनी के प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर) भारत से बाहर के निवसी व्यक्ति के भारत में शाखा कार्यालय हेतु अनुमत गतिविधियां सामान्यत:, शाखा कार्यालय को उन गतिविधियों में शामिल होना चाहिए जिनमें मूल कंपनी कार्यरत है:-
भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति के भारत में संपर्क कार्यालय के लिए अनुमत गतिविधियां
माननीय उच्चतम न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम ए. के. बालाजी एवं अन्य मामले में 4 जुलाई 2012 एवं 14 सितंबर 2015 को पारित अपने अंतरिम आदेशों में भारतीय रिज़र्व बैंक को निदेश दिया है कि उक्त अंतरिम आदेशों को या इसके बाद की तारीख को वह भारत में किसी विदेशी विधि फर्म को भारत में अपना संपर्क कार्यालय (एलओ) खोलने की अनुमति न दे। 5इस मामले के निपटान के समय माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह उधृत किया गया है कि भारत में विधि संबंधी व्यवसाय संचालित करने के लिए केवल वही अधिवक्ता पात्र हैं, जो अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत तैयार की गई नामावली में दर्ज हैं तथा विदेशी विधि फर्म्स/ कंपनियां अथवा विदेशी अधिवक्ता भारत में विधि संबंधी व्यवसाय का संचालन नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार, विदेशी विधि फर्म्स/ कंपनियों या विदेशी अधिवक्ताओं अथवा भारत के बाहर के निवासी किन्हीं अन्य व्यक्तियों को विधि संबंधी व्यवसाय करने के उद्देश्य से भारत में अपने शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय, संपर्क कार्यालय अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल को स्थापित करने की अनुमति नही है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को निदेशित किया गया है कि वे विधि संबंधी व्यवसाय करने के उद्देश्य से भारत में अपने शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय, संपर्क कार्यालय अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल को स्थापित करने हेतु फेमा के तहत किसी प्रकार की अनुमति न दें। इसके अलावा, उन्हें यह भी सूचित किया गया है कि इस मामले के संदर्भ में अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधानों के किसी प्रकार के उल्लंघन के बारे में यदि उन्हें कुछ पता चलता है, तो तत्काल उसे रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाया जाए। इस मास्टर निदेश में समेकित की गई अधिसूचनाओं/ परिपत्रों की सूची
1 विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा या कार्यालय या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करना) विनिमयन पर जारी 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा 22/2000 -आरबी को 31 मार्च 2016 से, 31 मार्च 2016 की अधिसूचना फेमा 22(आर)/2016-आरबी के माध्यम से निरस्त एवं प्रतिस्थापित किया गया है। 221 जनवरी 2019 की अधिसूचना फेमा 22(आर)(2) तथा 28 मार्च 2019 के एपी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 27 द्वारा आशोधित। आशोधन से पूर्व इसे “आवेदक का प्रमुख कारोबार रक्षा, टेलीकॉम, निजी सुरक्षा एवं सूचना और प्रसारण नामक चार क्षेत्रों में आता है। यदि प्रस्ताव रक्षा क्षेत्र में पीओ खोलने से संबंधित है तो उस स्थिति में भारत सरकार को कोई अलग से संदर्भ देने या अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है यदि कथित गैर-निवासी आवेदक को रक्षा मंत्रालय या सेना मुख्यालय या रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम ने ठेका दिया हो /उससे करार किया हो। केवल ऐसे अलग मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक का अलग से अनुमोदन अपेक्षित नहीं है।” 331 अगस्त 2018 की अधिसूचना फेमा 22(आर)(1) तथा 27 फरवरी 2019 के एपी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 20 द्वारा शामिल किया गया। 431 अगस्त 2018 की अधिसूचना फेमा 22(आर)(1) तथा 27 फरवरी 2019 के एपी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 20 द्वारा शामिल किया गया। 5दिनांक 23 नवंबर 2020 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 07 परिपत्र के द्वारा जोड़ा गया है। |