विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा करोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 2000 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा करोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 2000
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा.22/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा करोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (6) के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारत से बाहर के किसी निवासी द्वारा किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारबार के अन्य स्थान की भारत में स्थापना को निषिद्ध, प्रतिबंधित और नियमित करने के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात् : 1. संक्षित्प नाम और प्रारंभ 1) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारबार के अन्य स्थान की भारत में स्थापना) विनियमावली, 2000 कहा जाएगा। 2. परिभाषाएं इन विनियमों में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो - क) ‘अधिनियम’ से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है; 3. भारत में शाखा और कार्यालय स्थापित करने पर प्रतिबंध भारत से बाहर के निवासी रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर भारत में कोई शाखा अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा व्यापार के किसी अन्य स्थान की स्थापना नहीं करेगा। बशर्ते, किसी बैंकिंग को अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होंगी, यदि ऐसी कंपनी ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किया हो। 4. कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा भारत में कोई शाखा अथवा कोई कार्यालय स्थापित करने पर निषेध पाकिस्तान, बंग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान अथवा चीन का कोई नागरिक व्यक्ति रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना भारत में कोई शाखा अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा कारोबार का कोई अन्य स्थान, भी नाम हो, स्थापित नहीं करेगा। 5. शाखा अथवा संपर्क परियोजना कार्यालय खोलने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन देना 7. लाभ और अधिशेष का विप्रेषण भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति ासिे भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियम 5 के अंतर्गत भारत में शाखा अथवा परियोजना कार्यालय खोलने की अनुमति दी है, परियोजना पूरी होने पर शाखा का लाभ अथवा परियोजना का अधिशेष संबंधित भारतीय करों की अदायगी के दि निवल राशि, सा भी मामला हो, उस प्राधिकृत व्यापारी के, ासिके माध्यम से विप्रेषण भेज़ा जायेगा, पूरी तरह संतुष्ट होने पर भे सकता है। I शाखा के लाभ के विप्रेषण के लिए क) संबंधित वर्ष के लेखा परीक्षित तुलन पत्र और लाभ-हानि लेखा की प्रमाणित प्रति, II. परियोजना की पूर्णता पर अधिशेष के विप्रेषण के लिए क) अंतिम लेखा परिक्षित परियोजना लेखों की प्रमाणित प्रति; (पी.आर. गोपाल राव) अनुसूची I भारत से बाहर किसी निवासी व्यक्ति की भारत में शाखा के लिए अनुमत कार्य i . वस्तुओं का निर्यात /आयात। अनुसूची-II भारत से बाहर किसी निवासी व्यक्ती का भारत में i . भारत में मूल कंपनी / समूह कंपनी का प्रतिनिधित्व करना। |