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विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता

भारिबैंक/2011-12/547
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 124

10 मई 2012

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I,प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 30 नवंबर 2006 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 15 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सभी विदेशी मुद्रा अर्जकों को अपने विदेशी मुद्रा अर्जन की 100% राशि भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाते में रोक रखने की अनुमति दी गयी थी ।

2. योजना की समीक्षा करने पर, निम्नानुसार निर्णय लिया गया है :-

ए) विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खातों में जमा शेष की 50% राशि तुरंत रुपये जमा शेष के रूप में परिवर्तित की जाए तथा खाताधारक के निर्देशों के अनुसार रुपया खाते में जमा कीया जाए । यह प्रक्रिया इस परिपत्र की तारीख से एक पखवाड़े के भीतर पूर्ण की जाए और अनुपालन रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, व्यापार प्रभाग, अमर बिल्डिंग, सर पी.एम. रोड, फोर्ट, मुंबई 400001 को प्रस्तुत की जाए ।

बी) भविष्य के सभी विदेशी मुद्रा अर्जनों के संबंध में, कोई विदेशी मुद्रा अर्जक, 50% (100% पूर्ववर्ती सीमा के बजाए) राशि ब्याज रहित विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खातों में रोक रखने के लिए पात्र है । शेष 50% राशि रुपया शेष में परिवर्तन के लिए अभ्यर्पित की जाएगी ।

सी) विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) योजना सुविधा का अभिप्राय यह है कि विदेशी मुद्रा अर्जक,भविष्य में विदेशी मुद्रा लेनदेन करते समय मुद्रा परिवर्तन/लेनदेन लागत में बचत कर सकें । इस सुविधा का अभिप्राय यह नहीं है कि विदेशी मुद्रा अर्जक, विदेशी मुद्रा में आस्तियाँ बनाये रखें क्योंकि भारत में अभी भी पूँजीगत लेखे पूर्णत: परिवर्तनीय नहीं है । तदनुसार, विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता धारकों को अब से, विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खातों में उपलब्ध शेष राशियों का पूर्णत: उपयोग किए जाने के बाद ही विदेशी मुद्रा की खरीद के लिए विदेशी मुद्रा बाज़ार में जाने के लिए अनुमति दी जाएगी । प्राधिकृत व्यापारी, तदनुसार, अपने ग्राहकों को विदेशी मुद्रा बेचते समय इस आशय का एक घोषणा पत्र प्राप्त करें ।

4. यह नोट किया जाए कि उल्लिखित पैराग्राफ 2(बी) और 2(सी) के उपबंध, यथोचित परिवर्तनों सहित, निवासी विदेशी मुद्रा खाते अथवा डायमंड डॉलर खाते के धारकों पर भी लागू होंगे ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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