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विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाता योजना - उदारीकरण

आरबीआइ/2004/246
ए पी(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.96

जून 15, 2004

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्रधिकृत व्यापारी

महोदया / महोदय

विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी)
खाता योजना - उदारीकरण

मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 10/2000-आरबी के विनियम 4 के अनुसार भारत में निवासी कोई व्यक्ति उपर्युक्त अधिसूचना के अनुसूची में विनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते योजना की शर्तों के अधीन किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता कहा जानेवाला विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है, रख सकता है और उसका अनुरक्षण कर सकता है ।

2. बाद में, निर्यात से संबंधित वर्तमान विनियमों को तर्कसंगत एवं सरल बनाने की लगातार प्रक्रिया और उसे और उदार बनाने के एक भाग के रुप में रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते योजना को तर्क संगत / उदार बनाने की घोषणा के लिए नीचे दिए गए ब्यौरे के अनुसार दो प्रेस प्रकाशनी (प्रतिलिपि संलग्न) जारी किए है :

i) प्रेस प्रकाशनी 2002-03/172 दिनांक अगस्त 15, 2002 : रिज़र्व बैंक ने अलग-अलग व्यावसायिकों को भारत के बाहर के व्यक्तियों अथवा निकायों को उनके द्वारा किए गए परामर्श कार्य तथा सेवाओं से प्राप्त विदेशी मुद्रा अर्जन के 100 प्रतिशत तक उनके विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में रखने की अनुमति दी है । यह सुविधा वकील, डॉक्टर, कलाकार, वास्तुविद्, इंजीनियरृ परामर्शदातृ लागत/सनदी लेखाकार, विदेशी कंपनियों के निदेशकों, आदि को अलग-अलग व्यावासायिक लाभ और सुविधा के लिए प्रदान की गई है ।

ii) प्रेस प्रकाशनी 2002:03/365 दिनांक सितंबर 6, 2002 : निर्यात उन्मुख इकाइयों को प्रोत्साहन देने तथा विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते योजना को और तर्कसंगत बनाने एक उपाय के रुप में यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता धारकों की मात्र दो श्रेणियां होंगी । पहला जो विदेशी मुद्रा में अपनी प्राप्तियों का 100 प्रतिशत रख सकता है और दूसरा जो विदेशी मुद्रा में अपनी प्राप्तियों का 50 प्रतिशत रख सकते हैं । तदनुसार 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाई अथवा (क) एक्स्पोर्ट प्रोसेजिंग जोन (इपीजेड), अथवा (ख) सॉपटवेयर ठेक्नॉलजी पार्क (एसटीपी), अथवा (ग) इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नॉलजी पार्क (ईएफटीपी) में स्थित कोई इकाई अपने विदेशी मुद्रा प्राप्तियों के 70 प्रतिशत तक के जमा की वर्तमान पात्रता की तुलना में 100 प्रतिशत तक विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में जमा करने के लिए पात्र है ।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अधीन बनाई गई वर्तमान विनियमों के संशोधन की अधिसूचना के विचाराधीन मुद्ये के संबंध में प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त (i) और (ii) के संबंध में अपना आवेदन रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजें ।

4. भारत सरकार ने अब अधिसूचना सं. फेमा 69/2002-आरबी दिनांक अगस्त 26, 2002 (जी.एस.आर.755(ई) दिनांक नवंबर 8, 2002) और सं. फेमा 92/2002-आरबी दिनांक जून 7, 2003 (जी,एस.आर. 11(ई) दिनांक जून 7, 2004) (प्रतिलिपियां संलग्न ) द्वारा उपर्युक्त उदारीकरण को अधिसूचित किया है । तदनुसार प्राधिकृत व्यापारियों के लिए यह उचित होगा कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजे बगैर उपर्युक्त अधिसूचना के अनुसार विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते खोलने, रखने और अनुरक्षण की सुविधा प्रदान करें ।

5. प्राधिकृत व्यापारियों के ध्यान में यह भी लाया जाता है कि अधिसूचना सं. फेमा 92/2003-आरबी दिनांक जून 7, 2झ003 में "विनियमों में संशोधन" में भूलवश मद सं. "3" के स्थान पर "2" लिखा गया है । अत: प्राधिकृत व्यापारी इसे मद सं. 3 पढें । इस परिवर्तन को लागू करने के संबंध में आवश्यक शुध्दिपत्र अलग से जारी किया जा रहा है ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों को अवगत करा दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

गेस कोशी
मुख्य महाप्रबंधक

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