ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (प्राप्य व्यापार छूट प्रणाली) के दायरे का विस्तार - आरबीआई - Reserve Bank of India
ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (प्राप्य व्यापार छूट प्रणाली) के दायरे का विस्तार
आरबीआई/2023-24/37 7 जून 2023 ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम प्लेटफॉर्म ऑपरेटर और प्रतिभागी / महोदया / प्रिय महोदय, ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (प्राप्य व्यापार छूट प्रणाली) के दायरे का विस्तार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा अपने व्यापार प्राप्तियों को तरल निधि में परिवर्तित करने में आने वाली बाधाओं को कम करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 'ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (ट्रेड्स)' के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे (जिसे 2 जुलाई 2018 को अपडेट किया गया था)। दिशानिर्देश, अनुमत फाइनेंसरों द्वारा "दायित्व रहित" आधार पर एमएसएमई प्राप्तियों के वित्तपोषण / छूट की अनुमति देते हैं। वर्तमान में, तीन संस्थाएँ देश में ट्रेड्स प्लेटफार्मों का संचालन करती हैं; ऐसे प्लेटफार्म के परिचालन हेतु सैध्दांतिक रूप से एक और संस्था को अधिकृत किया गया है। 2. प्राप्त अनुभव के आधार पर, और जैसा कि 8 फरवरी 2023 को ‘विकासात्मक और नियामक नीतियों पर वक्तव्य’ में घोषित किया गया था, ट्रेड्स दिशानिर्देशों में निम्नलिखित संवर्द्धन करने का निर्णय लिया गया है: क) लेन-देन के लिए बीमा की सुविधा: खरीदारों की क्रेडिट रेटिंग को ध्यान में रखते हुए फाइनेंसर ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अपनी बोली लगाते हैं। वे आम तौर पर कम रेट वाले खरीदारों के देय के लिए बोली लगाने के इच्छुक नहीं होते हैं। इसे दूर करने के लिए, ट्रेड्स लेनदेन के लिए बीमा सुविधा की अनुमति दी जा रही है, जो फाइनेंसरों को डिफ़ॉल्ट जोखिमों को कम करने में मदद करेगी, जो निम्नलिखित के अधीन है:
ख) वित्तदाताओं की प्राप्यता का विस्तार करना: ट्रेड्स लेनदेन "फैक्टरिंग कारोबार" के दायरे में आते हैं, और बैंक, एनबीएफसी-फैक्टर और अन्य वित्तीय संस्थान (आरबीआई द्वारा अनुमति के अनुसार) वर्तमान में ट्रेड्स में फाइनेंसरों के रूप में भाग ले सकते हैं। फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 (एफआरए) कुछ अन्य संस्थाओं / संस्थानों को फैक्टरिंग लेनदेन करने की अनुमति देता है। तदनुसार, जिन संस्थाओं / संस्थानों को एफआरए और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों / विनियमों के अनुसार फैक्टरिंग कारोबार करने की अनुमति है उनकोअब ट्रेड्स में फाइनेंसरों के रूप में भाग लेने की अनुमति प्रदान की गयी है। इससे ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर फाइनेंसरों की उपलब्धता बढ़ेगी। ग) फैक्टरिंग इकाइयों (एफयू) के लिए द्वितीयक बाजार सक्षम करना: ट्रेड्स दिशानिर्देश रियायती / वित्तपोषित एफयू के लिए एक द्वितीयक बाजार प्रदान करते हैं, जो कि, हालांकि, अभी तक पेश नहीं किया गया है। प्राप्त अनुभव को देखते हुए, ट्रेड्स प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटर, अपने विवेक से, उसी ट्रेड्स प्लेटफ़ॉर्म के भीतर एफयू के हस्तांतरण के लिए द्वितीयक बाज़ार को सक्षम कर सकते हैं। हालांकि, इस तरह के हस्तांतरण आरबीआई के दिनांक 24 सितंबर 2021 के 'मास्टर निर्देश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण जोखिम का हस्तांतरण) निर्देश, 2021' (समय-समय पर अद्यतन) तथा उक्त मास्टर निर्देश के पैरा 3 में निर्दिष्ट अनुसार अंतरणकर्ता / अंतरिती की पात्रता सहित प्रावधानों के अधीन लागू होंगे। घ) गैर-छूट / अवित्तपोषित एफयू का निपटान: औसतन, ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए 17% एफयू रियायती / वित्तपोषित नहीं होते हैं; ऐसे एफयू के लिए, ट्रेड्स दिशानिर्देशों के अनुसार खरीदारों को प्रणाली के बाहर एमएसएमई विक्रेताओं को भुगतान करने की आवश्यकता होती है। एमएसएमई विक्रेताओं और खरीदारों को होने वाली असुविधा को दूर करने के लिए एवं बेहतर सामंजस्य के लिए, ट्रेड्स प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटरों को अब ट्रेड्स के लिए उपयोग किए जाने वाले एनएसीएच प्रक्रिया का उपयोग करके सभी एफयू वित्तपत / छूट प्राप्त या अन्यथा - का निपटान करने की अनुमति दी जाएगी। धन निपटान की समय-सीमा ट्रेड्स दिशानिर्देशों (संदर्भ के तहत) के प्रावधानों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 जैसे अन्य प्रासंगिक क़ानूनों के अधीन होगी। ड) बोलियों का प्रदर्शन: ट्रेड्स प्लेटफॉर्म फाइनेंसरों द्वारा पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली लगाने की सुविधा प्रदान करता है। प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए, प्लेटफॉर्म, अन्य बोलीदाताओं को एफयू के लिए लगी बोलियों का विवरण, प्रदर्शित कर सकते हैं; तथापि, बोली लगाने वाले का नाम प्रकट नहीं किया जाएगा। 3. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के तहत जारी किया गया है। भवदीय, (पी. वासुदेवन) |