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नान-रिकोर्स आधार पर निर्यात फैक्टरिंग

भारिबैंक/2015-2016/129
ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 5

16 जुलाई 2015

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

नान-रिकोर्स आधार पर निर्यात फैक्टरिंग

निर्यात को सुगम बनाने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को, भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना, समुद्रपारीय संस्थाओं के साथ गठबंधन व्यवस्था से आश्रयी (recourse) आधार पर निर्यात फैक्टरिंग सेवाएं निर्यातकों को देने के लिए अनुमति दी गई है, बशर्ते बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन होता हो।

2. निर्यातकों के लिए सुविधाएं और सेवाएं संबंधी तकनीकी समिति (अध्यक्ष श्री जी. पद्मनाभन) द्वारा की गई संस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को निर्यात प्राप्तियों की नान-रिकोर्स आधार पर फैक्टरिंग करने की अनुमति प्रदान की जाए ताकि निर्यातकों के नकदी प्रवाह में सुधार हो सके एवं निम्नलिखित शर्तों के तहत कार्यशील पूंजी संबंधी अपेक्षाओं की पूर्ति हो सके:

ए) प्राधिकृत व्यापारी बैंक नान-रिकोर्स आधार पर निर्यात फैक्टरिंग व्यवस्था के लिए अपने व्यावसायिक निर्णय ले सकते हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका ग्राहक आवश्यकता आधारित वित्तीय सहायता प्राप्त करे। तदनुसार, फैक्टरिंग के लिए खरीदी गई इनवासों के मूल्य को मद्देनज़र रखते हुए वे अपने ग्राहक की कार्यशील पूंजी की सीमा निर्धारित कर सकते हैं। वे यह देखें कि खरीदी गई इनवासें मौलिक ट्रेड इनवाइसों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

बी) यदि निर्यात फैक्टर द्वारा निर्यात वित्तपोषण न किया गया हो, तो निर्यात फैक्टर निर्यात वसूली से प्राप्त निवल मूल्य (राशि) वित्तपोषक बैंक/संस्था को दे।

सी) निर्यात फैक्टर होने के कारण प्राधिकृत व्यापारी बैंक को क्रेडिट मूल्यांकन एवं भुगतान की वसूली हेतु आयात फैक्टर के साथ व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

डी) इनवाइस पर अंकित कर देना चाहिए कि आयातक आयात फैक्टर को भुगतान करे।

ई) फैक्टरिंग कार्य पूरा होने पर निर्यात फैक्टर को निर्यात बिलों पर कार्रवाई पूर्ण दर्ज करना चाहिए एवं उसे भारतीय रिज़र्व बैंक के ईडीपीएमएस सिस्टम में रिपोर्ट करना चाहिए।

एफ) एकल फैक्टर के मामले में, समुद्रपारीय आयात फैक्टर को शामिल किए बिना, निर्यात फैक्टर अपने तदनुरूपी (Correspondent) बैंक से क्रेडिट मूल्यांकन ब्योरे प्राप्त कर सकता है।

जी) निर्यातक के संबंध में केवायसी (KYC) और समुचित सावधानी प्रक्रिया का अनुपालन निर्यात फैक्टर द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबन्धित घटकों को अवगत कराएं।

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(ए.के.पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक

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