मालों और वस्तुओं के निर्यात - वसूली की अवधि में बढ़ौत्तरी - आरबीआई - Reserve Bank of India
मालों और वस्तुओं के निर्यात - वसूली की अवधि में बढ़ौत्तरी
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 20 28 जनवरी 2002 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया मालों और वस्तुओं के निर्यात - वसूली की अवधि में बढ़ौत्तरी समस्त प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 9 सितम्बर 2000 के ए.पी.(डीआइआरसिरीज) परिपत्र सं.12 के पैरा सी-15 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार उन मामलों में जहाँ निर्यातक को लदाई के आगमों को वसूली निर्धारित अवधि के अंदर (अर्थात निर्यातों को तिथि से छ:ह माहों के अंदर) करना उसके नियंत्रण के परे कारणों से संभव नहीं हुआ था, वहाँ निर्यातक के लिए वसूली की अवधि बढ़ाने हेतु फार्म ईटीएक्स में रिज़र्व बैंक को आवेदन करना आवश्यक है। अब यह निर्णय लिया गया है कि रिज़र्व बैंक को कोई संदर्भ किये बिना प्राधिकृत व्यापारी जिन्होने निर्यात दस्तावेजों पर व्यवहार किया है, निर्यातक से एक आवेदन पत्र प्राप्त कर निर्यात की तिथि से छ:ह माह के परे वसूली की अवधि निम्नलिखित शर्तों के अधीन बढ़ा सकते है जहाँ बीजक मूल्य 100000 अमरीकी डॉलर से अधिक नहें है।
2. 100000 अमरीकी डॉलर की सीमा वहाँ लागू नहीं होगी जहाँ निर्यातक ने विदेशी आयातक के खिलाफ याचिका दायर की है। ऐसे मामलों में समय में बढ़ौत्तरी एक बार छह माह तक उसमें शामिल हुई राशि की ओर ध्यान दिये बिना दे सकते है। 3. निम्नलिखित मामलों को शामिल वे मामले जो उक्त अनुदेशों द्वारा कवर नहीं है, उन्हें रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय से पूर्व अनुमोदन अपेक्षित नहीं होंगे।
4. निर्यात की तिथि से छह माह से अधिक बकाया सभी निर्यात बिलों का रिपोर्ट नित्य की नरह एक्सआएस विवरण में करें। तथापि जहाँ प्राधिकृत व्यापारी द्वारा समय में बढौत्तरी प्राप्त हुअी है, "टिप्पणियों के स्तंभ में किस तारीख तक बढ़ौत्तरी मिली है, उसे दर्शाया जाये" 5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 6. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय ग्रेस कोशी |