माल और सेवाओं का निर्यात - विदेश में वेयरहाउसों को निर्यात - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात - विदेश में वेयरहाउसों को निर्यात
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.100 मई 2, 2003 सेवा में महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात - विदेश में वेयरहाउसों को निर्यात प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान सितंबर 9, 2003 के एपी (डीआईआर सिरीज) परिपत्र क्र.12 परिशिष्ट इ.6 की टिप्पणी ‘आ’ की आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार आवेदन करने पर रिज़र्व बैंक वैयक्तिक निर्यातकों को विदेश में, कुछ शर्ता के अधीन, वेयरहाउस किराए पर लेने की अनुमति दे सकता है। 2. अब यह निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी निर्यातकों से प्राप्त आवेदन पर विचार कर सकते हैं और विदेश में वेयरहाउस खोलने /किराए पर लेने के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन अनुमति दे सकते हैं- (क) आवेदक का निर्यात बकाया पिछले वर्ष में किए गए निर्यात के 5 प्रतिशत से ज्यादा न हो। (ख) आवेदक का पिछले साल में न्यूनतक निर्यात पण्यावर्त 1,00,000/- अमरीकी डॉलर हो। (ग) वसूली की अवधि लागू होगी, अर्थात, गैर-प्रस्थिति धारक निर्यातकों के लिए 180 दिन और प्रस्थिति धारक निर्यातकों के लिए 365 दिन। (घ) सभी लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी की नामित शाखा के माध्यम से किए जाएंगे। 3. प्राधिकृत व्यापारी ऐसी अनुमति प्रारंभत: एक साल के लिए दे सकते हैं और उसके बाद उसके नवीकरण हेतु आवेदक द्वारा उक्त 2(क) में अपेक्षित आवश्यकताओं की पूर्ति के अधीन विचार कर सकते हैं। अनुमति देने वाले प्राधिकृत व्यापारी दी गई अनुमतियों का उचित रिकार्ड रखेंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |