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वस्तु और सेवाओं का निर्यात - प्रतिष्ठाधारक निर्यातकों के लिए सुविधाएं

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 35

1 अप्रैल 2002

प्रति

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय, /महोदया

वस्तु और सेवाओं का निर्यात - प्रतिष्ठाधारक निर्यातकों के लिए सुविधाएं

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान वस्तु और सेवाओं के निर्यात से संबधित निदेशों से अन्तर्विष्ट दिनांक 9 सितम्बर 2000 का ए पी (डीआइआर सिरीज) परपित्र सं.12 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. निर्यातों से संबंधित क्रियाविधि को सरल बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित सुविधाएं प्रमाणित ट्रैक रिकार्डवाले निर्यातकों को, जिन्हें निर्यात-आयात नीति के अनुसार प्रतिष्ठाधारक निर्यातकों के रुप में घोषित किया है, दी जाये :-

i) लदान दस्तावेजों को भेजना

9 सितम्बर 2000 के ए पी (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.12 के पैरा सी-7 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को, ातिपय मामलों में, परेषिति को दस्तावेजों को सीधे भेजने के लिए निर्यातकों के अनुरोधों को स्वीकार करने के लिए सूचित किया गया था। अब यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी उन निर्यातकों को, जिनका प्रमाणित ट्रैक रिकार्ड है और जिन्हें निर्यात आयात नीति के अनुसार प्रतिष्ठाधारक निर्यातकों के रुप में घोषित किया है, भारत के बाहर परेषिति को निर्यात दस्तावेजों को सीधे भेजने के लिए अनुमति दे सकते है, शर्त यह है कि (क) निर्यात आगमों को जीआर फार्म में उल्लिखित प्राधिकृत व्यापारी के जरिए प्रत्यावर्तित किया गया हो और (ख) निर्यातकों ने जीआर फार्म की डयूप्लिकेट प्रति निगरानी हेतु प्राधिकृत व्यापारी को निर्यात के पोतलदान की तिथि से 21 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया हो।

ii) निर्यात आगमों की वसूली हेतु सामान्य अवधि में बढ़ौत्तरी

3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 23/2000-आरबी के विनियम 9 के लिए बनाये गये द्वितीय परंतुक के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को निर्यात आगमों की वसूली और भारत को प्रत्यावर्तन हेतु छ: माह की अवधि बढ़ाने के लिए अधिकार दिये गये है। अब यह निर्णय लिया गया है कि निर्यातक जिनका प्रमाणित ट्रैक रिकार्ड है और निर्यात आयात नीति के अनुसार प्रतिष्ठाधारक निर्यातकों के रुप में घोषित किया है, पोतलदान की तिथि से बारह पहीनों की अवधि के भीतर निर्यात आगमों के पूर्ण मूल्य की वसूली और प्रत्यावर्तन कर सकते है।

3. विदेशी मंद्रा प्रबंध विनियमावली में आवश्यक संशोधनों को अलग से अधिसूचित किया जा रहा है।

4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये।

5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है।

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महाप्रबंधक

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