काल और सेवाओं का निर्यात - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
काल और सेवाओं का निर्यात - उदारीकरण
आर.बी.आइ/2004/54 11 फरवरी 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय काल और सेवाओं का निर्यात - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान सितम्बर 9, 2000 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 12 के परिशिष्ट के पैराग्राफ सी 20 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार उन्हें बेचान के लिए/ पोत लदान देस्तावेजों को सावधानी सूची में शामिल निर्यातकों से जीआर/ एसडीएफ/ पीपी/ सॉफटेक्स फार्मों पर घोषित अथवा उनके द्वारा भरी गई पीपी फार्मों पर पेतिहस्ताक्षर करने के लिए स्वीकार करने से मना किया गया था जब तक कि उन फार्मों पर रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन न हो। : 2. अब यह निर्णय किया गया है कि सावधानी सूची में शामिल निर्यातकों द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को दिए जाने वाले किसी भी घोषणा को पूर्वानुमोदन के लिए प्राधिकृत व्यापारी के पास प्रस्तुत किया जाना चाहिए। तदनुसार सावधानी सूची में शामिल किए गए निर्यातकों के जीआर/पीपी/सॉफटेक्स फार्मों को प्राधिकृत व्यापारी अनुमोदित कर सकते हैं बशर्ते कि संबंधित निर्यातक अग्रिम भुगतान प्राप्त करने के साक्ष्य प्रस्तुत करता हो अथवा वैध अप्रतिसंहरणीय साख पत्र जो उनके पक्ष में प्रस्ताव निर्यात के पूर्ण मूल्य के लिए हो। ऐसा अनुमोदन उन मामले में भी दिया जा सकता है जिन के लिए मीयादी बिल पोत लदान के लिए आहरित किए जाएंगे बशर्ते कि संबंधित साखपत्र निर्यात के पूर्ण मूल्य के लिए हो और ऐसे आहरणों तथा तीयादी बिल भुगतान के लिए पोत लदान की तारीख से छह माह के भीतर परिपक्व होता हो। 3. मई 3, 2000 की फेमा.23/आरबी-2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के संगत प्रावधानों के संशोधन की अधिसूचना अलग से जारी की जा रही है। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय ग्रेस कोशी |