माल और सेवाओं का निर्यात-उदारीकरण ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 40 (5 दिसंबर 2003) - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात-उदारीकरण
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 40 (5 दिसंबर 2003)
माल और सेवाओं का निर्यात-उदारीकरण भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 40 5 दिसंबर 2003 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय माल और सेवाओं का निर्यात-उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान माल और सेवाओं के निर्यात से संबंधित समय -समय पर यथा संशोधित 9 सितंबर 2000 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 12 तथा उक्त परिपत्र के भाग सी, जिसमें बट्टे खाते डालना, बीजक मूल्य में कमी तथा बकाया/अतिदेय निर्यात बिलों के संबंध में निर्यातकों को निर्यात राशि की वसूली के लिए समय सीमा में वृद्धि करने की अनुमति देने के लिए निर्देश जारी किये गये थे, की और आकर्षित किया जाता है। 2. प्रक्रिया सरल तथा उदार बनाने, सभी निर्यातकों को पूर्ण लचीलापन प्रदान करने तथा समय में विस्तार अथवा बीजक मूल्य में कमी अथवा बट्टे खाते डालने के लिए अनुरोध से संबंधीत कागजी कार्य कम करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि सभी निर्यातकों ( प्रतिष्ठाप्राप्त निर्यातकों सहित) को निम्नलिखित के लिए अनुमति दी जाए :- (i) बकाया निर्यात देय राशियों को बट्टे खाते डालना (बीजक मूल्य में कमी सहित), और बशर्ते, बट्टे खाते डाले गये (बीजक मूल्य में कमी सहित) इस प्रकार के निर्यात बिलों और वसूली के लिए अवधि-विस्तार दिये गये बिलों का समग्र मूल्य कैलेण्डर वर्ष के दौरान देय निर्यात राशि के 10 प्रतिशत से अधिक न हो तथा इस प्रकार के निर्यात बिल, प्रवर्तन निदेशालय/ केंद्रीय जाँच ब्यूरो अथवा किसी अन्य जाँचकर्ता एजेंसियों द्वारा जाँच मामले के अधीन न हों। यह सुविधा 1 जनवरी 2004 से देय होनेवाली निर्यात राशि के संबंध में उपलब्ध होगी। दूसरे शब्दों में, नयी सुविधा 1 जुलाई 2003 के बाद किये गये निर्यात के लिए तथा 1 जनवरी 2004 ( अर्थात् 180 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर) को वसूली के लिए देय राशियों के लिए उपलब्ध होगी। ऐसे निर्यातों के मामले में, जहाँ रिज़र्व बैंक ने वसूली के लिए दीर्घतर अवधि निर्धारित की है, उक्त सुविधा जुलाई 2003 के पहले किये गये निर्यातों के लिए उपलब्ध होगी, परंतु जिसकी आगम राशियाँ एक वर्ष की निर्धारित अवधि के भीतर वसूली के लिए देय हैं। 3. एक से अधिक प्राधिकृत व्यापारियों के साथ व्यवहार करनेवाले निर्यातक प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी के जरिये इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं अर्थात् स्वयं बट्टे खाते डालने (बीजक मूल्य में कमी सहित) के लिए 10 प्रतिशत की सीमा तथा निर्यात राशियों की वसूली के लिए समय में विस्तार उस प्राधिकृत व्यापारी के साथ वसूली के लिए दायर किये गये निर्यात बिलों के लिए लागू होगी। तथापि, बैंकों के सहायता संघ के तहत अथवा बहुविध बैंकों के साथ परिचालन करनेवाले निर्यातकों को सभी बैंकों के साथ समग्र आधार पर 10 प्रतिशत सीमा परिकलित करने का भी विकल्प होगा, बशर्ते सहायता संघ का अग्रणी बैंक अथवा बहुविध बैंकों के मामले में नोडल बैंक सभी बैंकों की ओर से निर्यातक का वार्षिक कार्यनिष्पादन सत्यापित करने का वचन देता है। 4. कैलेण्डर वर्ष की समाप्ति से एक माह के भीतर, निर्यातकों को देय, वसूल किये गये और वसूल न किये गये निर्यात राशियों के ब्योरे देते हुए संलग्न फॉर्मेट के अनुसार एक विवरण संबंधित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करना चाहिए। वर्ष 2004 में देय निर्यात बिल, जिसके लिए निर्यातक ने अपने आप वसूली की अवधि (10 प्रतिशत सीमा के भीतर) बढ़ायी है अथवा प्राधिकृत व्यापारी से समय में विस्तार माँगा था परंतु कैलेण्डर वर्ष 2004 के अंत तक वसूली न की गयी हो तो देय निर्यात राशि के लिए उसका आगामी वर्ष में परिकलन किया जाएगा। प्राधिकृत व्यापारियों को चाहिए कि वे अपने अभिलेखों के साथ विवरण का सत्यापन करें तथा इस तथ्य का पता लगाने के लिए कैलेण्डर वर्ष के दौरान निर्यातक के निर्यात कार्य की समीक्षा करें कि ऐसे मामलों में स्वयं-विस्तार, बट्टे खाते डालने(बीजक मूल्य में कमी सहित) की 10 प्रतिशत की सीमा तथा वसूली नहीं किये जाने का कोई उल्लंघन तो नहीं किया गया है, निर्यातक ने कैलेण्डर वर्ष के समाप्ति से पहले 10 प्रतिशत सीमा से अतिरिक्त के लिए बट्टे खाते डालने, बीजक मूल्य में कमी अथवा समय में विस्तार, जैसी भी स्थिति हो, के लिए आवश्यक अनुमोदन लिया था। ऐसे मामलों में जहाँ निर्यातक इस आवश्यकता का पालन करने में असफल होते हैं, प्राधिकृत व्यापारियों को उक्त निर्यातक को समय में विस्तार/ बीजक मूल्य में कमी/10 प्रतिशत की सीमा से अतिरिक्त वसूली न किये जाने के संबंध में बट्टे खाते डालने के लिए तुरंत सूचित करना चाहिए, ऐसा न करने पर प्राधिकृत व्यापारी, निर्यातक को एक महीने के भीतर स्वयं बट्टे खाते डालने / समय में विस्तार की इस सुविधा हटाये जाने के संबंध में सूचित करें तथा उसकी सूचना रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें। 5. उपर्युक्त पैराग्राफ 4 के अनुसार निर्यातकों से प्राप्त अनुरोधों पर प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्यात राशि की वसूली के लिए समय में विस्तार, बीजक मूल्य में कमी तथा बट्टे खाते डालने संबंधी मौजूदा अनुदेशों के अनुसार कार्रवाई की जाए। 6. उपर्युक्त सुविधा के तहत जीआर/सॉफ्टेक्स/एसडीएफ/पीपी फॉर्मों के निपटान के संबंध में, प्राधिकृत व्यापारी, निर्यातक द्वारा बट्टे खाते डालने (बीजक मूल्य में कमी) संबंधी संबंधित फॉर्मों को जारी करें, बशर्ते निर्यातक वार्षिक विवरण के साथ लिये गये निर्यात प्रोत्साहनों, यदि कोई हो, को वापस लौटाने के लिए प्राधिकृत व्यापारी को साक्ष्य प्रस्तुत करता है। 10 प्रतिशत की सीमा के भीतर निर्यातक द्वारा वसूली के लिए विस्तारित निर्यात बिलों के मामले में, प्राधिकृत व्यापारी ऐसे बिलों को एक्सओएस विवरण में ''निर्यातक द्वारा विस्तारित'' टिप्पणी के साथ बकाये के रूप में रिपोर्ट करें। 7. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु अपने संबंधित घटकों के ध्यान में लाएं। 8. इस परिपत्र में दिये गये निर्देश फेमा, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) तथा 11 (1) के तहत जारी किये गये हैं। भवदीया ग्रेस कोशी |