माल और सेवाओं का निर्यात – एक वर्ष से ऊपर (विनिर्माण एवं पोत लदान) वाले पोत लदान संबंधी माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान की प्राप्ति - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात – एक वर्ष से ऊपर (विनिर्माण एवं पोत लदान) वाले पोत लदान संबंधी माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान की प्राप्ति
भारिबैंक/2011-12/403 21 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/आरबी-2000 के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 16 के उप-विनियम (2) की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार निर्यात करार में यह प्रावधान होने कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल के पोत लदान किये जा सकते हैं, निर्यातक द्वारा अग्रिम की प्राप्ति के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है । 2. उक्त क्रियाविधि को उदार बनाने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को, निम्नलिखित शर्तों के अधीन निर्यातकों को ऐसे माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान प्राप्त करने हेतु मंजूरी देने की अनुमति दी जाए, जिनके विनिर्माण तथा लदान में एक वर्ष से अधिक का समय लगेगा और जहाँ 'निर्यात करार' में यह प्रावधान है कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल के पोत लदान किये जा सकते हैं:- i. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा समुद्रपारीय क्रेता के लिए केवाईसी (KYC) और समुचित सावधानी (Due Diligence) बरतने संबंधी दिशानिर्देशों का पालन किया गया है; ii. धन शोधन निवारण (AML) मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया है; iii. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्यातक द्वारा प्राप्त किये गये निर्यात अग्रिम का उपयोग, निर्यात निष्पादित (execute) करने के लिए किया जाता है और किसी अन्य प्रयोजन के लिए नहीं अर्थात्, लेनदेन वास्तविक लेनदेन हैं; iv. कार्य की प्रगति के अनुसार किया जानेवाला भुगतान (progress payment), यदि कोई हो, संविदा की शर्तों के अनुसार ही (strictly) समुद्रपारीय क्रेता से सीधे प्राप्त किया जाना चाहिए; v. अग्रिम भुगतान पर यदि कोई ब्याज देय हो तो उसकी दर लिबोर+100 आधार बिंदु से अधिक नहीं होनी चाहिए; vi. विगत तीन वर्षों में प्राप्त अग्रिम भुगतान के 10% से अधिक की धन वापसी का मामला (instance) नहीं होना चाहिए; vii. पोत लदान को कवर करने वाले दस्तावेज़, उसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से भेजे जाने चाहिए, जिसके माध्यम से अग्रिम भुगतान प्राप्त किया गया है, और viii. निर्यातक द्वारा अंशत: या पूर्णत: लदान करने में असमर्थ होने की स्थिति में, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना, अग्रिम भुगतान के उपयोग न किये गये अंश की धनवापसी या ब्याज के भुगतान के लिए विप्रेषण नहीं किया जाएगा । 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध ( माल और सेवाओं का निर्यात ) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन, जहां कहीं आवश्यक हैं, अलग से जारी किये जाएंगे । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |