विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 23/ आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उपधारा (1) के खंड (क) और उप-धारा (3), धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (ख) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है , अर्थात् : 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ 1) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात)विनियमावली, 2000 कहा जाएगा ; 2) ये पहली जून, 2000 से लागू होंगे । 2. परिभाषा इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो - i) ‘अधिनियम’ से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है ; vii) ‘अनुसूची’ से इन विनियमों के साथ संलग्न अनुसूची अभिप्रेत है ; viii) ‘सॉफटवेयर’ से अभिप्रेत है कोई कंप्यूटर प्रोग्राम, डेटाबेस, रेखांकन, डिज़ाइन, श्रव्य-दृश्य संकेतक, किसी भैतिक माध्यम में या इस से इतर किसी अन्य माध्यम से या इससे कोई अन्य सूचना, चाहे उसे किसी भी नाम से उलिाखित किया जाता हो ; ix) ‘निर्दिष्ट प्राधिकारी’ से वह व्यक्ति या प्राधिकरण अभिप्रेत है जिसे विनियम 3 में निर्दिष्ट घोषणा प्रस्तुत की जानी है ; x) ‘कार्य-दल’ से रिज़र्व बैंक द्वारा आस्थगित भुगतान की शर्तों पर या किसी टर्न-की परियोजना अथवा सिविल-निर्माण संविदा के निष्पादन में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के प्रस्तावों पर विचार करने के प्रयोजन के लिए गठित दल अभिप्रेत है ; xi) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु परिभाषित न किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का क्रमश: वही अर्थ होगा जो अधिनियम में निर्दिष्ट हैं । i) वस्तुओं या सॉफटवेयर का पूर्ण निर्यात-मूल्य; या 4. छूट क) नि:शुल्क आपूर्त की जानेवाली वस्तुओं के व्यापारिक नमूने और प्रचार-सामग्री ;
घ) फिलहाल, प्रचलित एक्ज़िम पालिसी प्रसवधानों के अनुसार नि:शुल्क निर्याति िमालों का प्रतिस्थापन । निर्यातक द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत घोषणा-पत्र की सभी प्रतियों पर और निर्यातक द्वारा रिज़र्व बैंक के प्राधिकृत व्यापारी के साथ किये जानेवाले सभी पत्राचार में, यथास्थिति, विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 (1992 का 22) की धारा 7 के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा आबंटित आयातक-निर्यातक कोड नंबर का उल्लेख किया जाएगा । 6. किस प्राधिकारी को घोषणा-पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और घोषणा पर किस तरह कार्रवाई की जाएगी
स्पष्टीकरण जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा अन्यथा प्राधिकृत न हो, निर्यातित माल के संपूर्ण निर्यात-मूल्य की राशि भुगतान प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000 में विनिर्दिष्ट रीति से किया जाएगा । 9. किस अवधि के भीतर माल/सॉफटवेयर के निर्यात मूल्य की वसूली की जाएगी निर्यातित माल या सॉफटवेयर के संपूर्ण नियाग्त मूल्य की राशि निर्यात की तिथि से छ: महीने के भीतर वसूलकी जाएगी और भारत को प्रत्यावर्तित की जाएगी : बशर्तें जहां माल का निर्यात रिज़र्व बैंक की अनुमति से भारत के बाहर स्थित किसी गोदाम का किया जाए, वहाँ निर्यातित माल के संपूर्ण निर्यात मूल्य की राशि का भुगतान, जैसे ही उसकी वसूली हो या हर हाल में माल के लदान की तिथि से पद्रह महीने के भीतर प्राधिकृत व्यापारी को किया जाएगा । बशर्तें रिज़र्व बैंक, या इस संबंध में संबंधित बैंक द्वारा जारी निदाशों के अधीन, प्राशिकृत व्यापारी, दर्शाये गये पर्याप्त और उचित कारण से, यथास्थिति, 6 महीने अथवा 15 महीने की उक्त अवधि बढ़ा सकता है । स्पष्टीकरण 10. विस्तारित ऋण शर्तों पर निर्यात कोई व्यक्ति माल के निर्यात के संबंध में ऐसी शर्तों पर कोई संविदा नहीं करेगा जिसमें निर्यात किये जानेवाले माल के भुगतान की छ: महीने से अधिक की अवधि का प्रावधान हो : बशर्तें रिज़र्व बैंक, दर्शाये गये उचित और पर्याप्त कारण से, ऐसी शतर्सें पर संविदा करने की अनुमति देता है । निर्यात संबंधी दय्तावेज निर्यात की तारीख अथवा सॉफटेक्स फसर्म के प्रमाणन की तारीख से, यथास्थिति, 21 दिन के अंदर संबंधित घोषणा फार्म में उल्लिखित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए : बशर्तें समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदशों के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी 21 दिन की निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के बाद निर्यात संबंधी दस्तावेज, निर्यातक के नियंत्रण से परे कारण को मद्देनजर रखते हुए स्वीकार कर सकता है । 12. प्रलेखों का हस्तातरण विनियम 3 पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले, प्राधिकृत व्यापारी निर्यातों से संबंधित बीजक तथा विनिमय पत्र सहित पोतलदान प्रलेखों को बेचान अथवा वसूली के लिए अपने ग्राहक (विनियम 3 के अनुसार घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति नहीं) से स्वाकार कर सकता है : बशर्तें बेचान या वसूली के लिए ऐसे प्रलेखों को स्वीकार करने से पूर्व, प्राधिकृत व्यापारी यह अपेक्षा करेगा कि - क) जहु घोषणा में घोषित मूल्य तथा बेचान किये जा रहे अथवा वसूली के लिए भेजे जा रहे प्रलेखों में दर्शाये गये मूल्य में अंतर नहीं हो, अथवा वहां संबंधित ग्राहक भी इस घोषणा पर हस्ताक्षर करे और इसके पश्चात् उक्त ग्राहक इस बात से प्रतिबद्ध होगा कि वह ऐसी मांग की पूर्ति करे और घोषणा पर हस्ताक्षर करनेवाला ऐसा ग्राहक, इन विनियमों के प्रयोजन के लिए निर्यातक समझा जाएगा जिसकी सीमा, बेचान किये गये अथवा वसूली के लिए भेजे गये प्रलेखों में दर्शाये पूर्ण मूल्य तक होगी और तदनुसार इन विनियमों द्वारा नियंत्रित होगी । 13. निर्यात के लिए भुगतान किसी माल या सॉफटवेयर के निर्यात के संबंध में, जिसके लिए विनियम 3 के अंतर्गत घोषणा प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है, कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना ऐसा कोई की काम नहीं करेगा अथवा काम करने से नहीं बचेगा अथवा काम करने से नहीं बचेगा अथवा कोई कार्रवाई नहीं करेगा या कार्रवाई करने से नहीं बचेगा जिसमें - i) माल या सॉफटवेयर के लिए भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से न होकर किसी अन्य तरीके से किया गया है; अथवा ii) इन विनियमों के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अवधि के बाद विलंब से भुगतान किया जाता है ; अथवा iii) निर्यातित माल या सॉफटवेयर की बिक्री से प्राप्त राशि रिज़र्व बैंक अथवा रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अधीन किसी प्राधिकृत व्यापारी की अनुमति से की गई कटौती, यदि कोई हो, करने के बाद माल या सॉफटवेयर के पूर्ण निर्यात मूल्य को इंगित नहीं करती । बशता इन प्रावधानों के उल्लंघन के संबां में तब तक कोई कार्यवाही आरंभ नहीं की जाएगी जब तक विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त नहीं हो जाती और सॉफटवेयर या माल के निर्यात के पूर्ण मूल्य अथवा खंण्ड (iii) के अंतर्गत अनुमत कटौतियों के बाद, मूल्य का भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से नहीं कर दिया जाता । 14. कतिपय निर्यात जिनके लिए पूर्व अनुमोदन अपेक्षित है क. पट्टे, किराये, आदि पर माल का निर्यात कोई भी व्यक्ति, केवल रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के मामले को छोड़कर, भारत के बाहर कोई माल थल, समुद्र या वायु मार्ग से पट्टे पर या किराया पर या किसी व्यवस्था के अंतर्गत या उक्त माल का निपटान या बिक्री से भिन्न किसी अन्य तरीके से नहीं ले जा सकता/भेज सकता । ख. व्यापार करार/रूपया जमा आदि के अंतर्गत निर्यात i) केंद्र सरकार और किसी विदेश की सरकार के बीच की गयी विशेष व्यवस्था के अंतर्गत या केंद्र सरकार द्वारा विदेश की सरकार को दिये रुपया क्रेडिट के अंतर्गत माल का निर्यात, भारत के व्यापार नियंत्रण प्राधिकार द्वारा जारी संगत सार्वजनिक सूचना में दी गयी शर्तों और रिज़र्व बक्टं द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा । ii) निर्यातों के वित्तपोषण के लिए भारत से निर्यात-आयात बैंक द्वारा किसी विदेशी राज्य (स्टेट) में कार्यरत कोई बैंक या वित्तीय संस्था को ऋण व्यवस्था के अंतर्गत कोई निर्यात, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित शर्तों द्वारा नियंत्रित होगा । भारत से निर्यातित माल के मूल्य के बदले भारत में आयातित माल के मूल्य का सांमजस्य करन वाली किसी व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवय्श्यकता होगी । 15. भुगतान की प्राप्ति में विलंब जहां माल या सॉफटवेयर निर्यात संबंधी मामले में, जिसे विनिर्दिष्ट फार्म पर घोषित किया जाना अपेक्षित है, विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त हो गयी हो और इसके लिए यथोक्त भुगतान भी नहीं किया गया हो, रिज़र्व बैंक, ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जिसने माल या सॉफटवेयर बेचा या जो माल या सॉफटवेयर को बेचने का हक्क रखता है या इसके लिए बिक्री का प्रबंध किया है, ऐसा निदेश दे सकता है जो उसकी दृष्टि में निम्नलिखित को प्राप्त करने के प्रयोजन के लिए उचित है, (क) यदि माल या सॉफटवेयर बेचा जा चुका है तो उसका भुगतान प्राप्त करने के लिए, (ख) यदि इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर माल या सॉफटवेयर बेचा नहीं गया है या उसका भारत में पुन: आयात नहीं किया गया है जैसी भी परिस्थिति हो, तो उसकी बिक्री और भुगतान के लिए ; बशर्तें रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश दिये जाने में किसी चूमक का प्रभाव यह नहीं होगा कि उल्लंघन करने वाला व्यक्ति उसके परिणाम से बच जाये । 16. निर्यातों पर अग्रिम भुगतान (1) जहां कोई निर्यातक भारत के बाहर किसह क्रेतााट अग्रिम भुगतान (ब्याज के साथ या इसके बिना) प्राप्त करता है, निर्यातक का दायित्व होगा कि वह यह सुनिश्चित करे कि - i) माल का पोतलदान अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष के भीतर किया जाता है ; ii) अग्रिम भुगतान पर देय, ब्याज की दर यदि कोई है, लंदन हंटर बैंक ऑफर्ड रेट (एलआइबीओआर) + 100 आधार पाइन्टस् से अधिक न हो ; और iii) पोतलदान संबंधी प्रलेख उस प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से जाने चाहिए जिसके जरिये अग्रित का भुगतान प्राप्त किया गया है ; (2) उप विनियम (1) के खण्ड (i) में निहित किसी बात के होते हुए भी जहां निर्यात करार में यह प्रावधान है कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल का पोतलदान किया जा सकता है, निर्यातक को रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना होगा 17. कतिपय मामलों में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश जारी करना 1) माल या सॉफटवेयर के निर्यात संबंधी विनियम 3 के प्रावधानों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिसे घोषित किया जाना है, रिनज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन से कि माल का पूर्ण निर्यात मूल्य या, जैसा भी मामला हो, निर्यातक विद्यमान बाजार की दशा को देखते हुए आशा करता है कि विदेशी (ओवरसीज़) बाजार में उस माल या सॉफटवेयर की बिक्री पर मूल्य सही समय पर और बिना विलंब के प्राप्त हुआ है, सामान्य या विशेष आदेश के द्वारा, समय-समय पर माल या सॉफटवेयर में किसी भी गंतव्य स्थान के लिए निर्यात के संबंध में या किसी भी श्रेणी के निर्यात लेनेदेन या किसी श्रेणी के माल या सॉफटवेयर या निर्यातकों की श्रेणी के लिए, ये निर्देश दे सकता है कि निर्यातक के पूर्व उन शर्तों को पूरा करेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट हैं, अर्थात् क) माल या सॉफटवेयर का भुगतान अविकल्पी साख पत्र या आदेश में विनिर्दिष्ट अन्य व्यवस्था या प्रलेख द्वारा सुरक्षित है ; ख) विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत की जाने वाली कोई घोषणा, रिज़र्व बैंक के पास इसके पूर्वानुमोदन के लिए भेजी जाएगी, ऐसा अनुमोदन परिस्थितियें को ध्यान में रखते हुए दिया जा सकता है या रोके रखा जा सकता है अथवा ऐसी शर्तो के अधीन दिया जा सकता है जो रिज़र्व बैंक की दृष्टी में उचित हो । ग) कि विनिर्दिष्ट प्राधिकरण को प्रस्तुत की जानेवाली घोषणा की प्रति, यह प्रमाणित करने के लिए कि घोषणा में विनिर्दिष्ट वस्तुओं अथवा सॉफटवेयर का मूल्य उनके उचित मूल्य को दर्शता है, ऐसे प्राधिकरण अथवा संगठन को प्रस्तुत किया जायेगा जैसा कि आदेश में बताया गया है । 2) जब तक निर्यातक को मामले के संबंध में प्रतिवेदन करने का एक उचित अवसर नहीं दे दिया जाता है तब तक रिज़र्व बैंक उप विनियम (1) के अंतर्गत कोई निदेश नहीं देगा तथा उस उप विनियम के ख्डां (ख) के अंतर्गत किसी अनुमोदन को नहीं रोकेगा । 18. परियोजना निर्यात जहां वसतुओं अथवा सेवाओं का निर्यात आस्थगित भुगतान की शर्तों पर अथवा किसी टर्न की परियोजना के कार्यान्वयन अथवा सिविल निर्माण ठेके पर किया जाना प्रस्तावित है, वहां निर्यातक ऐसी कोई निर्यात व्यवस्था करने से पहले अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा, जो समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार प्रस्ताव पर विचार करेगा । इस विनियम के प्रयोजन के लिए ‘अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण’ से कार्यकारी दल अथवा निर्यात-आयात बैंक अथवा प्राधिकृत व्यापारी अभिप्रेत है । (पी.आर. गोपाल राव) अनुसूची
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