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विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं. फेमा 23/ आरबी-2000

 दिनांक 3 मई 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उपधारा (1) के खंड (क) और उप-धारा (3), धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (ख) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है , अर्थात् :

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

1) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात)विनियमावली, 2000 कहा जाएगा ;

2) ये पहली जून, 2000 से लागू होंगे ।

2. परिभाषा

इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -

i) ‘अधिनियम’ से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है ;

ii) ‘प्राधिकृत व्यापारी’ से अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्ति अभिप्रेत है , जिसमें आढ़तिये (फैक्टर) के रूप में कारबार करनेवाला और उक्त धारा 10 के अंतर्गत इस रूप में प्राधिकृत व्यक्ति शामिल है ;

iii) ‘एग्जिम बैंक’ से भारतीय निर्यात-आयात बैंक अधिनियम, 1981 (1981 का 28) के अंतर्गत स्थापित निर्यात-आयात बैंक अभिप्रेत है ;

iv) ‘निर्यात’ में परेषण पर या बिक्री, पट्टे, किराया-खरीद के द्वारा या किसी भी नाम से उल्लिखित किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत भुति, समुद्र या वायु मार्ग से वस्तुएं देश से बारि ले जाना या भेजना और सॉफटवेयर के मामले में किसी इल्केटानिक माध्यम से संचारण भी शामिल है ;

v) पट्टे या किराया-खरीद द्वारा या ऐसी ही किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत किए जानेवाले निर्यात के संबंध में ‘निर्यात मूल्य’ में ऐसे पट्टे या किराया-खरीद या ऐसी ही किसी अन्य व्यवस्था के संबंध में देय प्रभार शामिल हैं, चाहे उन्हें किसी भी य्नाम से उल्लिखित किया जाता हो ;

vi) ‘फॉर्म’ से इन विनियमों के साथ संलग्न फॉर्म अभिप्रेत है ;

vii) ‘अनुसूची’ से इन विनियमों के साथ संलग्न अनुसूची अभिप्रेत है ;

viii) ‘सॉफटवेयर’ से अभिप्रेत है कोई कंप्यूटर प्रोग्राम, डेटाबेस, रेखांकन, डिज़ाइन, श्रव्य-दृश्य संकेतक, किसी भैतिक माध्यम में या इस से इतर किसी अन्य माध्यम से या इससे कोई अन्य सूचना, चाहे उसे किसी भी नाम से उलिाखित किया जाता हो ;

ix) ‘निर्दिष्ट प्राधिकारी’ से वह व्यक्ति या प्राधिकरण अभिप्रेत है जिसे विनियम 3 में निर्दिष्ट घोषणा प्रस्तुत की जानी है ;

x) ‘कार्य-दल’ से रिज़र्व बैंक द्वारा आस्थगित भुगतान की शर्तों पर या किसी टर्न-की परियोजना अथवा सिविल-निर्माण संविदा के निष्पादन में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के प्रस्तावों पर विचार करने के प्रयोजन के लिए गठित दल अभिप्रेत है ;

xi) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु परिभाषित न किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का क्रमश: वही अर्थ होगा जो अधिनियम में निर्दिष्ट हैं ।

3. वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के संबंध में घोषणा

1) भौतिक या अन्य किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नेपाल और भूटान को छोड़कर, भारत से बाहर किसी भी स्थान को वस्तुओं या सॉफटवेयर का निर्यात करनेवाला हर निर्यातक निर्दिष्ट प्राधिकारी को अनुसूची में निर्धारित फार्मों में से किसी एक में एक घोषणा प्रस्तुत करेगा जिसके समर्थन में निर्दिष्ट किया जा सकनेवाला साक्ष्य संलग्न हो और जिसमें निम्नलिखित की द्योतक राशि-सहित सही और तथ्यपरक महत्वपूर्ण ब्योरा दिया जाना चाहिए -

i) वस्तुओं या सॉफटवेयर का पूर्ण निर्यात-मूल्य; या

ii) यदि निर्यात के समय पूर्ण निर्यात-मूल्य का निश्चय न किया जा सकता हो, तो वह मूल्य जो निर्यातक विदेशी बाजार में वस्तुओं या सॉफटवेयर की बिक्री होने पर बाजार की चालू स्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्राप्त होने की अपेक्षा करे, और उक्त घोषणा में स्वीकार करे कि सॉफटवेयर या वस्तुओं का पूर्ण निर्यात-मूल्य (निर्यात के समय उसका निश्चय किया जा सकता हो या नहीं)धधनिर्दिष्ट अवधि के भीतर निर्दिष्ट तरीके से अदा कर दिया गया है या कर दिया जाएगा ।

2) घोषणाएं निर्दिष्ट संख्या के सेटों में निष्पादित की जाएंगी ।

3) संदेह के निवारण के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन सेवाओं के निर्यात के संबंध में इन विनियमों में निर्दिष्ट कोई फार्म लागू नहीं होता, निर्यातक बिना कोई घोषणा प्रस्तुत किए उन सेवाओं का निर्यात कर सकता हैं, किंतु वह ऐसे निर्यात के फलस्वरूप प्राप्य या उपर्जित होनेवाली विदेशी मुद्रा की राशि वूल करने और अन्य नियमों तथा विनियमों के उपबंधों के अंतर्गत भारत में प्रत्यावर्तित करने के लिए उत्तरदायी होगा ।

4. छूट

विनियम 3 में उल्लिखित किसी बात के होते हुए भी, निम्नलिखित मामलों में वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात घोषणा प्रस्तुत किए बिना ही किया जा सकता है :

क) नि:शुल्क आपूर्त की जानेवाली वस्तुओं के व्यापारिक नमूने और प्रचार-सामग्री ;

ख) यात्रियों के निजी सामान, चाहे वह उनके साथ हो या अलग से भेजा जाए ;

ग) केंद्र सरकार के या उसके द्वारा इस हेतु नियुक्त अधिकारियों के या सेना, नौसेना या वायुसेना की आवश्यकताओं के लिए सेना, नौसेना या वायुसेना के प्राधिकारियों के आदेशों के अंतर्गत आपूर्त किए जानेवाले जहाज के भंडार, पोतांतरण-नौभार और वस्तुएं ;

घ) वस्तुएं और सॉफटवेयर, जिनके साथ निर्यातक की यह घोषणा हो कि उनका मूल्य पच्चीस हजार रूपये से अधिक नहीं है ;

ड.) उपहारस्वरूप वस्तुएं, जिनके साथ निर्यातक की यह घोषणा हो कि उनका मूल्य एक लाख रुपये से अधिक नहीं है ;

च) विदेश में ओवरहॉलिंग और/या मरम्मत के लिए वायुयान या वायुयान के इंजन और स्पेयर पार्टस् , बशर्ते ाटवरॉलिंग/मरम्मत के बाद उन्हें उनके निर्यात की तिथि से छह माह की बअवधि के भीतर भारत में वापस आयात किया जाए ;

छ) पुनर्निर्यात के आधार पर नि:शुल्क आयातित वस्तुएं ;

ज) केंद्र सरकार और म्याँमार सरकार के बीच वस्तु-विनिमय व्यापार करार के अंतर्गत म्यँमार का निर्यातित प्रति लेनदेन 1,000 अमरीकी डॉलर या उसके समकक्ष राशि से अनधिक मूल्य की वस्तुएं ;

झ) निर्यात प्रसंस्करण अंचलों या मुक्त व्यापार अंचलों के विकास आयुक्त द्वारा पुनर्निर्यात किए जाने के लिए अनुमत निम्नलिखित वस्तुएं :

1) दोषपूर्ण पाई गई वस्तुएं, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं/सहयोगियों द्वारा उन्हें बदले जाने के प्रयोजन से ;
2) विदेशी आपूर्तिकर्ताओं/सहयोगियों से उशार के रूप में आयातित वस्तुएं ।

घ) फिलहाल, प्रचलित एक्ज़िम पालिसी प्रसवधानों के अनुसार नि:शुल्क निर्याति िमालों का प्रतिस्थापन ।

5. आयातक-निर्यातक कोड नंबर का उल्लेख

निर्यातक द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत घोषणा-पत्र की सभी प्रतियों पर और निर्यातक द्वारा रिज़र्व बैंक के प्राधिकृत व्यापारी के साथ किये जानेवाले सभी पत्राचार में, यथास्थिति, विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 (1992 का 22) की धारा 7 के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा आबंटित आयातक-निर्यातक कोड नंबर का उल्लेख किया जाएगा ।

6. किस प्राधिकारी को घोषणा-पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और घोषणा पर किस तरह कार्रवाई की जाएगी

क. जीआर/एसडीएफ फार्म में घोषणा

1) i) जीआर/एसडीएफ फार्म में घोषणा सीमा शुल्क आयुक्त को दो प्रतियों में प्रस्तुत किया जाएगा ।

ii) घोषणा पत्र का विधिवत् सत्यापन करने और अधिप्रमाणित करने के बाद सीमा शुल्क आयुक्त मूल घोषणा पत्र/ऑजकड़े रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय को भेजेगा और दूसरी प्रति प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करने के लिए निर्यातक को दे देगा ।

ख. पीपी फार्म में घोषणा

2) i)  पीपी फार्म में घोषणा पत्र उय्समें अंकित प्राधिकृत व्यापवरी को दो प्रतियों में प्रस्तुत किया जाएगा ।

ii) प्राक्कृत व्यापारी घोषणा पत्र पर प्रति हस्ताक्षर करने के बाद मूल घोषणा पत्र निर्यातक को दे देगा जो उसे उस डाक प्राधिकारी को प्रस्तुत करेगा, जिसके माध्यम से माल भेजा जा रहा है । डाक प्राधिकारी माल भेजने के बाद घोषणा पत्र रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय को भेज देगा ।

ग. सॉफटेक्स फार्म में घोषणा

3) i) कंप्यूटर सॉफटवेयर और ऑडियो/वीडियो/टेलीविजन सॉफटवेयर के निर्यात के संबंध में सॉफटेक्स फार्म में घोषणा पत्र भारत मे स्थित भारतीय सॉफटवेयर प्रौद्योगिकी पार्क या मुक्त व्यापार क्षेत्र या निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र में स्थित भारत सरकार के इलेक्टानिक विभाग के प्राधिकृत अधिकारी को तीन प्रतियों में प्रस्तुत किया जाएगा ।

ii) सॉफटेक्स फार्म की तीनों प्रतियां लेने के बाद उक्त प्राधिकृत अधिकारी मूल घोषणा पत्र सीधे रिज़र्व बैंक के निकटतम कायाग्लय को भेजेगा और दूसरी प्रति निर्यातक को वापस कर देगा । प्राधिकृत अधिकारी उसकी तीसरी प्रति अपने पास रिकार्ड के लिए रख लेगा ।

घ. रिज़र्व बैंक को घोषणा पत्र की दूसरी प्रति का प्रस्तुतीकरण

प्राधिकृत व्यापारी निर्यात आय प्राप्त करने के बाद विधिवत् रूप से प्रमाणित करे जीआर/एसडीएफ, पीपी या यथास्थिति, सॉफटेक्स फार्म की दूसरी प्रति निकटतम रिज़र्व बैंक कार्यालय को प्रस्तुत करेगा ।

7. घोषणा के समर्थन में साक्ष्य

सीमा शुल्क आयुक्त या डाक प्राधिकारी या इलेक्ट्रानिक विभाग का अधिकारी, जिसको घोषणा पत्र प्रस्तुत किया जाए, अधिनियम की धारा 7 और इन विनियमों के विधिवत् अनुपालन के संबंध में स्वयं संतुष्ट होने की दृष्टि से घोषणा के समर्थन में ऐसे साक्ष्य की अपेक्षा करेगा, जिससे यह सिद्ध हो कि ॐ
   
क) निर्यातक भारत का निवासी व्यक्ति है और भारत में उसके पास व्यावसायिक स्थल है ;

ख) घोषणा पत्र में उल्लिखित गंतव्य स्थान निर्यातित माल का अंतिम गंतव्य स्थान है ;

ग) घोषणा पत्र में उल्लिखित मूल्य -

1) माल या सॉफटवेयर का पूर्ण मूल्य है ; या
2) जहां निर्यात के समय माल या सॉफटवेयर का पूर्ण निर्यात मूल्य निश्चित नहीं हो वहां निर्यातक बाजार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए विदेशी बाजार से माल की बिक्री का जो मूल्य प्ा्राप्त करने का अनुमान करता होए वह मूल्य है ।

स्पष्टीकरण

इस धिवनियमन के प्रयोजनार्थ, ‘अंतिम गंतव्य स्थान’ का अभिप्राय किसी देश के उस स्थान से है, जहां निर्याति िमाल अंतत: आयात के रूप में पहुंचना है और उस देश के सीमा-शुल्क प्राधिकारी के द्वारा उसकी निकासी की जानी है ।

8. माल के निर्यात मूल्य की भुगतान-विधि

जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा अन्यथा प्राधिकृत न हो, निर्यातित माल के संपूर्ण निर्यात-मूल्य की राशि भुगतान प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000 में विनिर्दिष्ट रीति से किया जाएगा ।

9. किस अवधि के भीतर माल/सॉफटवेयर के निर्यात मूल्य की वसूली की जाएगी

निर्यातित माल या सॉफटवेयर के संपूर्ण नियाग्त मूल्य की राशि निर्यात की तिथि से छ: महीने के भीतर वसूलकी जाएगी और भारत को प्रत्यावर्तित की जाएगी :

बशर्तें जहां माल का निर्यात रिज़र्व बैंक की अनुमति से भारत के बाहर स्थित किसी गोदाम का किया जाए, वहाँ निर्यातित माल के संपूर्ण निर्यात मूल्य की राशि का भुगतान, जैसे ही उसकी वसूली हो या हर हाल में माल के लदान की तिथि से पद्रह महीने के भीतर प्राधिकृत  व्यापारी को किया जाएगा ।

बशर्तें रिज़र्व बैंक, या इस संबंध में संबंधित बैंक द्वारा जारी निदाशों के अधीन, प्राशिकृत व्यापारी, दर्शाये गये पर्याप्त और उचित कारण से, यथास्थिति, 6 महीने अथवा 15 महीने की उक्त अवधि बढ़ा सकता है ।

स्पष्टीकरण

इस धिवनियमन के प्रयोजन के लिए वस्तु से इतर रूप में सॉफटवेयर के निर्यात के संबंध में ‘निर्यात की तारीख’ ऐसे निर्यात के बीजक की तारीख मानी जायेगी ।

10. विस्तारित ऋण शर्तों पर निर्यात

कोई व्यक्ति माल के निर्यात के संबंध में ऐसी शर्तों पर कोई संविदा नहीं करेगा जिसमें निर्यात किये जानेवाले माल के भुगतान की छ: महीने से अधिक की अवधि का प्रावधान हो :

बशर्तें रिज़र्व बैंक, दर्शाये गये उचित और पर्याप्त कारण से, ऐसी शतर्सें पर संविदा करने की अनुमति देता है ।

11. निर्यात दस्तावेज़ों की प्रस्तुति

निर्यात संबंधी दय्तावेज निर्यात की तारीख अथवा सॉफटेक्स फसर्म के प्रमाणन की तारीख से, यथास्थिति, 21 दिन के अंदर संबंधित घोषणा फार्म में उल्लिखित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए :

बशर्तें समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदशों के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी 21 दिन की निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के बाद निर्यात संबंधी दस्तावेज, निर्यातक के नियंत्रण से परे कारण को मद्देनजर रखते हुए स्वीकार कर सकता है ।

12. प्रलेखों का हस्तातरण

विनियम 3 पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले, प्राधिकृत व्यापारी निर्यातों से संबंधित बीजक तथा विनिमय पत्र सहित पोतलदान प्रलेखों को बेचान अथवा वसूली के लिए अपने ग्राहक (विनियम 3 के अनुसार घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति नहीं) से स्वाकार कर सकता है :

बशर्तें बेचान या वसूली के लिए ऐसे प्रलेखों को स्वीकार करने से पूर्व, प्राधिकृत व्यापारी यह अपेक्षा करेगा कि -

क) जहु घोषणा में घोषित मूल्य तथा बेचान किये जा रहे अथवा वसूली के लिए भेजे जा रहे प्रलेखों में दर्शाये गये मूल्य में अंतर नहीं हो, अथवा

ख) जहु घोषणा में घोषित मूल्य, बेचान किये जा रहे अथवा वसूली के लिए भेजे जा रहे प्रलेखों में दर्शाये गये मूल्य से कम हो,

वहां संबंधित ग्राहक भी इस घोषणा पर हस्ताक्षर करे और इसके पश्चात् उक्त ग्राहक इस बात से प्रतिबद्ध होगा कि वह ऐसी मांग की पूर्ति करे और घोषणा पर हस्ताक्षर करनेवाला ऐसा ग्राहक, इन विनियमों के प्रयोजन के लिए निर्यातक समझा जाएगा जिसकी सीमा, बेचान किये गये अथवा वसूली के लिए भेजे गये प्रलेखों में दर्शाये पूर्ण मूल्य तक होगी और तदनुसार इन विनियमों द्वारा नियंत्रित होगी ।

13. निर्यात के लिए भुगतान

किसी माल या सॉफटवेयर के निर्यात के संबंध में, जिसके लिए विनियम 3 के अंतर्गत घोषणा प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है, कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना ऐसा कोई की काम नहीं करेगा अथवा काम करने से नहीं बचेगा अथवा काम करने से नहीं बचेगा अथवा कोई कार्रवाई नहीं करेगा या कार्रवाई करने से नहीं बचेगा जिसमें -

i) माल या सॉफटवेयर के लिए भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से न होकर किसी अन्य तरीके से किया गया है; अथवा

ii) इन विनियमों के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अवधि के बाद विलंब से भुगतान किया जाता है ; अथवा

iii) निर्यातित माल या सॉफटवेयर की बिक्री से प्राप्त राशि रिज़र्व बैंक अथवा रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अधीन किसी प्राधिकृत व्यापारी की अनुमति से की गई कटौती, यदि कोई हो, करने के बाद माल या सॉफटवेयर के पूर्ण निर्यात मूल्य को इंगित नहीं करती ।

बशता इन प्रावधानों के उल्लंघन के संबां में तब तक कोई कार्यवाही आरंभ नहीं की जाएगी जब तक विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त नहीं हो जाती और सॉफटवेयर या माल के निर्यात के पूर्ण मूल्य अथवा खंण्ड (iii) के अंतर्गत अनुमत कटौतियों के बाद, मूल्य का भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से नहीं कर दिया जाता ।

14. कतिपय निर्यात जिनके लिए पूर्व अनुमोदन अपेक्षित है

क. पट्टे, किराये, आदि पर माल का निर्यात

कोई भी व्यक्ति, केवल रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के मामले को छोड़कर, भारत के बाहर कोई माल थल, समुद्र या वायु मार्ग से पट्टे पर या किराया पर या किसी व्यवस्था के अंतर्गत या उक्त माल का निपटान या बिक्री से भिन्न किसी अन्य तरीके से नहीं ले जा सकता/भेज सकता ।

ख. व्यापार करार/रूपया जमा आदि के अंतर्गत निर्यात

i) केंद्र सरकार और किसी विदेश की सरकार के बीच की गयी विशेष व्यवस्था के अंतर्गत या केंद्र सरकार द्वारा विदेश की सरकार को दिये रुपया क्रेडिट के अंतर्गत माल का निर्यात, भारत के व्यापार नियंत्रण प्राधिकार द्वारा जारी संगत सार्वजनिक सूचना में दी गयी शर्तों और रिज़र्व बक्टं द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा ।

ii) निर्यातों के वित्तपोषण के लिए भारत से निर्यात-आयात बैंक द्वारा किसी विदेशी राज्य (स्टेट) में कार्यरत कोई बैंक या वित्तीय संस्था को ऋण व्यवस्था के अंतर्गत कोई निर्यात, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित शर्तों द्वारा नियंत्रित होगा ।
 
ग. प्रति (काउंटर) व्यापार

भारत से निर्यातित माल के मूल्य के बदले भारत में आयातित माल के मूल्य का सांमजस्य करन वाली किसी व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवय्श्यकता होगी ।

15. भुगतान की प्राप्ति में विलंब

जहां माल या सॉफटवेयर निर्यात संबंधी मामले में, जिसे विनिर्दिष्ट फार्म पर घोषित किया जाना अपेक्षित है, विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त हो गयी हो और इसके लिए यथोक्त भुगतान भी नहीं किया गया हो, रिज़र्व बैंक, ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जिसने माल या सॉफटवेयर बेचा या जो माल या सॉफटवेयर को बेचने का हक्क रखता है या इसके लिए बिक्री का प्रबंध किया है, ऐसा निदेश दे सकता है जो उसकी दृष्टि में निम्नलिखित को प्राप्त करने के प्रयोजन के लिए उचित है, (क) यदि माल या सॉफटवेयर बेचा जा चुका है तो उसका भुगतान प्राप्त करने के लिए, (ख) यदि इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर माल या सॉफटवेयर बेचा नहीं गया है या उसका भारत में पुन: आयात नहीं किया गया है जैसी भी परिस्थिति हो, तो उसकी बिक्री और भुगतान के लिए ;

बशर्तें रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश दिये जाने में किसी चूमक का प्रभाव यह नहीं होगा कि उल्लंघन करने वाला व्यक्ति उसके परिणाम से बच जाये ।

16.  निर्यातों पर अग्रिम भुगतान

(1) जहां कोई निर्यातक भारत के बाहर किसह क्रेतााट अग्रिम भुगतान (ब्याज के साथ या इसके बिना) प्राप्त करता है, निर्यातक का दायित्व होगा कि वह यह सुनिश्चित करे कि -

i) माल का पोतलदान अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष के भीतर किया जाता है ;

ii) अग्रिम भुगतान पर देय, ब्याज की दर यदि कोई है, लंदन हंटर बैंक ऑफर्ड रेट (एलआइबीओआर) + 100 आधार पाइन्टस् से अधिक न हो ; और

iii) पोतलदान संबंधी प्रलेख उस प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से जाने चाहिए जिसके जरिये अग्रित का भुगतान प्राप्त किया गया है ;

बशर्तें निर्यातक की इस असमर्थता की इस असमर्थता की स्थिति में कि वे अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष के अंतर्गत अंशत: अथवा पूर्णत: पोतलदान नहीं कर पाता है, अग्रिम भुगतान के अप्रयुक्त अंश की वापसी या ब्याज के  भुगतान के लिए कोई प्रेषण, एक वर्ष की उक्त अवधि की समाप्ति के बाद, रिज़र्व बैंक के पूवानुमोदन के बिना नहीं किया जाएगा ।

(2) उप विनियम (1) के खण्ड (i) में निहित किसी बात के होते हुए भी जहां निर्यात करार में यह प्रावधान है कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल का पोतलदान किया जा सकता है, निर्यातक को रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना होगा

17. कतिपय मामलों में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश जारी करना

1)  माल या सॉफटवेयर के निर्यात संबंधी विनियम 3 के प्रावधानों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिसे घोषित किया जाना है, रिनज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन से कि माल का पूर्ण निर्यात मूल्य या, जैसा भी मामला हो, निर्यातक विद्यमान बाजार की दशा को देखते हुए आशा करता है कि विदेशी (ओवरसीज़) बाजार में उस माल या सॉफटवेयर की बिक्री पर मूल्य सही समय पर और बिना विलंब के प्राप्त हुआ है, सामान्य या विशेष आदेश के द्वारा, समय-समय पर माल या सॉफटवेयर में किसी भी गंतव्य स्थान के लिए निर्यात के संबंध में या किसी भी श्रेणी के निर्यात लेनेदेन या किसी श्रेणी के माल या सॉफटवेयर या निर्यातकों की श्रेणी के लिए, ये निर्देश दे सकता है कि निर्यातक के पूर्व उन शर्तों को पूरा करेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट हैं, अर्थात्

क) माल या सॉफटवेयर का भुगतान अविकल्पी साख पत्र या आदेश में विनिर्दिष्ट अन्य व्यवस्था या प्रलेख द्वारा सुरक्षित है ;

ख) विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत की जाने वाली कोई घोषणा, रिज़र्व बैंक के पास इसके पूर्वानुमोदन के लिए भेजी जाएगी, ऐसा अनुमोदन परिस्थितियें को ध्यान में रखते हुए दिया जा सकता है या रोके रखा जा सकता है अथवा ऐसी शर्तो के अधीन दिया जा सकता है जो रिज़र्व बैंक की दृष्टी में उचित हो ।

ग)  कि विनिर्दिष्ट प्राधिकरण को प्रस्तुत की जानेवाली घोषणा की प्रति, यह प्रमाणित करने के लिए कि घोषणा में विनिर्दिष्ट वस्तुओं अथवा सॉफटवेयर का मूल्य उनके उचित मूल्य को दर्शता है, ऐसे प्राधिकरण अथवा संगठन को प्रस्तुत किया जायेगा जैसा कि आदेश में बताया गया है ।

2)  जब तक निर्यातक को मामले के संबंध में प्रतिवेदन करने का एक उचित अवसर नहीं दे दिया जाता है तब तक रिज़र्व बैंक उप विनियम (1) के अंतर्गत कोई निदेश नहीं देगा तथा उस उप विनियम के ख्डां (ख) के अंतर्गत किसी अनुमोदन को नहीं रोकेगा ।

18. परियोजना निर्यात

जहां वसतुओं अथवा सेवाओं का निर्यात आस्थगित भुगतान की शर्तों पर अथवा किसी टर्न की परियोजना के कार्यान्वयन अथवा सिविल निर्माण ठेके पर किया जाना प्रस्तावित है, वहां निर्यातक ऐसी कोई निर्यात व्यवस्था करने से पहले अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा, जो समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार प्रस्ताव पर विचार करेगा ।

स्पष्टीकरण

इस विनियम के प्रयोजन के लिए ‘अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण’ से कार्यकारी दल अथवा निर्यात-आयात बैंक अथवा प्राधिकृत व्यापारी अभिप्रेत है ।

(पी.आर. गोपाल राव)
कार्यपालक निदेशक


अनुसूची
(विनियम 3 के संदर्भ में)

फार्म बाजार  :

डाक से भेजे जानेवाले निर्यातों से इतर निर्याम, जिसमें मूल रूप में सॉफटवेयर यथा मैगनेटिक टेस्स/डिस्क्स और पेपर मिडियाशामिल है, के मामलों में दो प्रतियों  में भरा जाए ।

फार्म एसडीएफ :

दो प्रतियों में भरा जाए और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित उन सीमाशुल्क कार्यालयों को घोषित किये गये निर्यातों के पोत परिवहन बिल में संलग्न किया जाए जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित पोत परिवहन बिलों के प्रोसेसिंग के लिए एलेक्टानिक डाटा इंटरचेंज प्रणाली की शुरुआत की है ।

फार्म पीपी :

डाक द्वारा निर्यात के लिए दो प्रतियों में भरा जाए ।

फार्म सॉफटेक्स :

मूल रूप यथा मैगनेटिक टेपों / डिस्कों और पेपर मिडिया से इतर सॉफटवेयर के निर्यात की घोषणा के लिए तीन प्रतियों में भरें ।

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