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माल और सेवाओं का निर्यात निर्यात प्राप्तियों की वापसी - उदारीकरण

आरबीआइ/2006-07/313
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.37

अप्रैल 05, 2007

सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक श्रेणी I

महोदया/महोदय,

माल और सेवाओं का निर्यात निर्यात प्राप्तियों की वापसी - उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान सितंबर 9, 2000 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.12 के संलग्नक के पैरा ई.2 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक निर्यात प्राप्तियों की वापसी की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते ऐसे माल का खराब गुणवत्ता आदि के कारण भारत में पुन: आयात किया जाता है और पुन: आयात का सबूत प्रस्तुत किया गया है।

2. प्रक्रिया को और उदार बनाने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक, जिसके माध्यम से निर्यात प्राप्तियों की मूल रूप से वसूली की गई है, अब से आगे भारत से निर्यातित और खराब गुणवत्ता के कारण भारत में पुन: आयात किए जा रहे माल के निर्यात प्राप्तियों की वापसी के अनुरोध पर विचार करें। ऐसे लेनदेनों की अनुमति देते समय प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को निम्नलिखित करना आवश्यक है :

(i) निर्यातक के पिछले कार्य निष्पादन के संबंध में पर्याप्त तत्परता से कार्य करना
(ii) लेनदेनों की वास्तविकता का सत्यापन करना
(iii) विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी)/ सीमा शुल्क प्राधिकारियों द्वारा निर्यातक को जारी किया गया इस आशय का प्रमाणपत्र कि निर्यातक ने संबंधित निर्यात के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं लिया है अथवा संबंधित निर्यात हेतु लिए गए आनुपातिक प्रोत्साहनों, यदि कोई हो, को सौंप दिया है।
(iv) निर्यातक से इस आशय का वचनपत्र प्राप्त करना कि प्रेषण की तारीख से तीन महीने के अंदर माल का पुन: आयात किया जाएगा; और

(v) सुनिश्चित करना कि सामान्य आयातों पर यथा लागू सभी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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