माल और सेवाओं का निर्यात – दीर्घावधि निर्यात अग्रिम - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात – दीर्घावधि निर्यात अग्रिम
भारिबैंक/2013-14/597 21 मई 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – दीर्घावधि निर्यात अग्रिम प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.23/आरबी-2000 के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 16 के उप-विनियम (2) की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार निर्यात करार में यह प्रावधान होने पर कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल के पोत लदान किये जा सकते हैं, निर्यातक द्वारा अग्रिम की प्राप्ति के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। इसके अलावा, 21 फरवरी 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 81 में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को निर्यातकों द्वारा उस माल के निर्यात के लिए अग्रिम प्राप्त करने की अनुमति देने की मंजूरी दी गई है जिनके विनिर्माण और पोत लदान में एक साल से अधिक की अवधि लग सकती हो और जहां "निर्यात करार" में उक्त आशय का प्रावधान हो। 2. निर्यातकों से प्राप्त अनुरोधों को दृष्टिगत रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि न्यूनतम तीन वर्षों का संतोषजनक ट्रैक रेकार्ड रखने वाले निर्यातकों को, माल के निर्यात हेतु दीर्घावधि आपूर्ति संविदाओं को पूरा (execute) करने में उपयोग के लिए अधिकतम 10 वर्षों की तक की अवधि के दीर्घावधि अग्रिमों की प्राप्ति हेतु, निम्नलिखित शर्तों के तहत, अनुमति प्रदान करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को मंजूरी दी जाए: ए) पक्का अविकल्पी आपूर्ति आदेश प्राप्त हो। ओवरसीज़ पार्टी/क्रेता के साथ हुई संविदा की जांच की जानी चाहिए और उसमें उत्पाद के स्वरूप, राशि और साल-दर-साल समय से सुपुर्दगी (delivery) होने एवं गैर निष्पादन (non-performance) अथवा संविदा रद्द होने के मामले में दण्ड का स्पष्टत: उल्लेख होना चाहिए। उत्पाद की कीमत का निर्धारण प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय कीमत के अनुरूप किया जाना चाहिए। बी) वस्तुत: विनिर्दिष्ट समयावधि में आदेश की आपूर्ति होना सुनिश्चित करने के लिए कंपनी के पास तत्संबंधी क्षमता, प्रणाली और प्रसंस्करण की सुविधा होनी चाहिए। सी) यह सुविधा केवल उन एंटिटीज़ को दी जाए जो प्रवर्तन निदेशालय अथवा ऐसी किसी विनियामक एजेंसी की प्रतिकूल नाटिस में न हों अथवा जिन्हें सतर्कता सूची में न डाला गया हो। डी) ऐसे अग्रिमों को भावी निर्यातों के प्रति समायोजित किया जाना चाहिए। ई) यदि कोई ब्याज देय हो तो वह लिबोर+200 आधार अंक से अधिक नहीं होना चाहिए। एफ) दस्तावेज केवल एक प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से आने-जाने (route होने) चाहिए। जी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा एएमएल/केवायसी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए और ओवरसीज़ क्रेता के संबंध में समुचित सावधानी (due diligence) बरती जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसकी हैसियत अच्छी है/उसका ट्रैक रेकार्ड सुदृढ़ है। एच) ऐसे निर्यात अग्रिमों का उपयोग उन रुपया ऋणों की अदायगी के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदण्डों के तहत गैर अनर्जक परिसंपत्तियों (NPA) के रूप में वर्गीकृत किया गया हो। आई) निर्यात आदेशों के निष्पादन (की पूर्ति) हेतु कार्यशीलपूंजी के दोहरे वित्तपोषण से बचना चाहिए। जे) 100 मिलियन अमरीकी डालर अथवा उससे अधिक के ऐसे अग्रिमों की प्राप्ति को व्यापार (ट्रेड) प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 5वीं मंज़िल, अमर भवन, मुंबई एवं उसकी प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को संलग्न अनुबंध-I में रिपोर्ट किया जाए। 3. यदि निर्यात निष्पादन के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी से बैंक गारंटी अथवा आपाती साखपत्र (stand by letter of credit) की अपेक्षा हो तो निम्नलिखित दिशानिर्देशों का भी पालन किया जाए: ए) चूंकि बैक गारंटी/आपाती साखपत्र गैर-निधि एक्स्पोज़र हैं, उनका मूल्यांकन बोर्ड अनुमोदित नीति के आधार पर अन्य बातों के साथ-साथ, विवेकपूर्ण अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखते हुए किसी अन्य क्रेडिट प्रस्ताव की भांति कड़ाई के साथ किया जाए। ऐसी सुविधा केवल निर्यात गारंटी के लिए दी जाएगी। बी) बैक गारंटी/आपाती साखपत्र एक बार में दो वर्षों से अधिक अवधि के लिए जारी न किए जाएं और इसके बाद एक बार में रोल ओवर दो वर्षों तक का ही दिया जा सकता है बशर्ते संविदा के अनुसार निर्यात निष्पादन संतोषजनक हो। सी) बैक गारंटी/आपाती साखपत्र द्वारा केवल घटे हुए अग्रिम शेष को कवर किया जाना चाहिए। डी) ओवरसीज़ क्रेता के पक्ष में भारत से जारी बैक गारंटी/आपाती साखपत्र की निरंतरता को ओवरसीज़ शाखा/भारत में बैंक की सहायक संस्था द्वारा रद्द नहीं किया जाना चाहिए। ई) अग्रिम के उपयोग करने में निर्यातक द्वारा की गई प्रगति का विधिवत मूल्यांकन और निगरानी प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा की जानी चाहिए और तत्संबंध में एक वार्षिक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष की समाप्ति से एक माह के भीतर व्यापार (ट्रेड) प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 5वीं मंज़िल, अमर भवन, मुंबई एवं उसकी प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को संलग्न अनुबंध-II मेंरिपोर्टकीजानीचाहिए। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीय, (सी.डी.श्रीनिवासन) 100 मिलियन अमरीकी डालर अथवा उससे अधिक के दीर्घावधि अग्रिमों की रिपोर्टिंग निर्यातक का नाम और पता: निर्यातक का पैन नंबर (PAN) : जिससे दीर्घावधि अग्रिम लिया गया है उस ओवरसीज़ सप्लायर का नाम, पता और संबंध: कंपनी समीक्षा:
दीर्घावधि अग्रिम का ब्योरा
स्थान: दिनांक: प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता: दीर्घावधि निर्यात अग्रिमों के उपयोग के संबंध में (31 मार्च 20-------को समाप्त वर्ष के लिए) निर्यातक का नाम और पता: जिससे दीर्घावधि अग्रिम लिया गया है उस ओवरसीज़ सप्लायर का नाम और पता: भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय का नाम जिसे रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है: दीर्घावधि निर्यात अग्रिमों के उपयोग का ब्योरा:
जारी बैंक गारंटी/आपाती साखपत्र कस ब्योरा:
स्थान: दिनांक: प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता: |