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स्थावर संपदा और वाणिज्यिकस्थावर संपदा क्षेत्र को एक्सपोजर- शहरी सहकारी बैंक

भारिबैं/2009-10/487
शबैंवि.(पीसीबी)बीपीडी.परि.सं.69/09.22.010/2009-10

9 जून 2010

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय /महोदया

स्थावर संपदा और वाणिज्यिकस्थावर संपदा क्षेत्र को
एक्सपोजर- शहरी सहकारी बैंक

कृपया एक्सपोजरमानदंड और सांविधिक /अन्य प्रतिबंध पर 1 जुलाई 2009 के हमारे मास्टर परिपत्र शबैंवि (पीसीबी) बीपीडी.एमसी.सं.1 /13.05.000/2009-10 का पैरा 2.3.1 देखें। परिपत्र के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों का व्यक्तिगत आवास ऋण तथा वाणिज्यिक स्थावर संपदा सहित कुल स्थावर संपदा एक्सपोजर बैंक के कुल जमा स्रोतों के 15% तक सीमित है । कुछ बैंकों तथा महासंघ द्वारा किए गए अनुरोध को ध्यान में रखते हुए निम्नानुसार स्पष्ट किया जाता है :

2. 1 जुलार्ई 2009 के हमारे परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.एमसी.सं.2 /09.22.010/2009-10 के पैरा 2 में उल्लिखित पात्र उधारकर्ताओं के संवर्ग को दी गयी वित्तीय सहायता को आवास वित्त के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा ।

3. ऋण का उद्देश्य यह निर्धरित करेगा कि आल संपत्ति कीजमानतपर दिया गया ऋण स्थावर संपदा ऋण के रूप में वर्गीकृत करना आवश्यक है, उसी प्रकार चुकौती के स्रोत से यह निर्धारित किया जाएगा कि क्या एक्सपोजरवाणिज्यिक स्थावर संपदा एक्सपोजर है। इस प्रयोजन के लिए 23 अप्रैल 2010 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.59/09.14.000/2009-10 के अनुबंध 2 (प्रतिलिपि संलग्न) के दिशानिर्देशो के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों का मार्गदर्शन करें ।

4. 15% प्रतिशत की अधिकतम सीमा पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च के लेखापरीक्षित तुलनपत्र के आधार पर दी गई है । 15% की निर्धारित सीमा के लिए निधि और गैर निधि आधारित दोनो एक्सपोजरों की गणना की जाए।

5. हम सूचित करते है कि आवास योजना पर 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.एमसी.सं.2/09.22.010/2009-10 के विद्यमान पैरा 4.7.1 में निम्नानुसार परिवर्तन किया गया है :

” शहरी सहकारी बैंक अपने कुल जमाराशि की 15% राशि, आवास, स्थावर संपदा तथा सीआरई ऋण प्रदान करने के लिए उपयोग करें ”

यह भी सूचित किया जाता है कि जैसाकि मास्टर परिपत्र के पैरा 7 में दिया गया है, बिना अग्रिम लिए अपेक्षाकृत छोटे निर्माण कार्य करनेवाले ठेकेदारों को उनकी निर्माण सामग्री की जमानत पर दिए गए कार्यशील पूंजी ऋण, 15% की निर्धारित सीमा में शामिल नहे है ।

6. उपर्युक्त स्पष्टिकरण साना के लिए बोर्ड के समक्ष रखें ।

भवदीया

(उमा शंकर )
मुख्य महाप्रबंधक

अनु: यथोक्त


वाणिज्यिक स्थावर संपदा (सीआरई) एक्सपोजर की परिभाषा

स्थावर संपदा को सामान्यत: अचल आस्ति - भूमि ओर उस पर स्थायी रूप से जुड़े निर्माण - के रूप में परिभाषित किया जाता है । आय-उत्पादक स्थावर संपदा (आइपीआरई ) की परिभाषा बासल - II - ढाँचे के पैरा 226 में दी गयी है, जिसे नीचे उद्धृत किया जा रहा है :

"आय-उत्पादक स्थावर संपदा (आइपीआरई) का तात्पर्य स्थावर संपदा (उदाहरण के लिए, किराये पर देने के लिए कार्यालय भवन, खुदरा बिक्री के स्थान, बहुपारिवरिक आवासीय भवन, औद्योगिक या गोदाम की जगह और होटल ) को निधि उपलब्ध कराने की विधि से है, जिसमे एक्सपोजर की चुकौती और वसूली की संभावना मुख्यतया आस्ति से होने वाले नकदी प्रवाह पर निर्भर करती है । इन नकदी प्रवाहो का प्राथमिक स्रोत सामान्यत: आस्ति का पट्टा या किराये का भुगतान या बिक्री होती है । उधारकर्ता एक एसपीई (विशेष प्रयोजन हस्ती), स्थावर संपदा निर्माण या धारिताओं पर केंद्रीत परिचालन कंपनी या स्थावर संपदा से इतर आय के स्रोत वाली परिचालन कंपनी हो सकता है, पर ऐसा होना अपेक्षित नहीं है । स्थावर संपदा की संपार्श्विक जमानतवाले अन्य कार्पोरेट एक्सपोजर की तुलना में आइपीआरई को अलग करने वाली विशेषता यह है कि आइपीआरई में एक्सपोजर की चुकौती की संभावना तथा चूक होने की स्थिति में वसूली की संभावना के बीच मजबूत सकारात्मक संबंध है, क्योंकि दोनों मुख्यतया संपत्ति से होने वाले नकदी प्रवाह पर निर्भर हैं ।

2. आइपीआरई, वाणिज्यिक स्थावर संपदा (सीआरई) के समरूप है । आइपीआरई की उपर्युक्त परिभाषा से यह देखा जा सकता है कि आइपीआरई /सीआरई के रूप में किसी एक्सपोजर को वर्गीकृत करने के लिए आवश्यक विशेषता यह होगी कि निधीयन से स्थावर संपदा जैसे कि किराये पर देने के लिए कार्यालय भवन, खुदरा बिक्री के स्थान, बहुपारिवारिक आवासीय भवन, औद्योगिक या गोदाम की जगह और होटल ) का सृजन /अधिग्रहण होगा, जिसमें चुकौती की संभावना मुख्यतया आस्ति से होनेवाले नकदी प्रवाह पर निर्भर करेगी । इसके अलावा, चूक होने पर वसूली की संभावना भी इस प्रकार की निधि प्रदत्त आस्ति से जो जमानत के रूप में ली गई है, होनेवाले नकदी प्रवाह पर निर्भर करेगी । चूक की स्थिति में, यदि ऐसी आस्तियों को जमानत के रूप में लिया गया है तो वसूली के लिए भी प्राथमिक स्रोत ( अर्थात् नकदी प्रवाह का 50% से अधिक अंश ) सामान्यतया आस्तियों का पट्टा या किराया भुगतान या बिक्री होगा ।

3. कुछ निर्दिष्ट मामलो में जहाँ एक्सपोजर सीआरई के सृजन या अधिग्रहण से प्रत्यक्षत: संबद्ध न हो, लेकिन चुकौती सीआरई से उत्पन्न होने वाले नकदी प्रवाह से आएगी । उदाहरण के लिए, मौजूदा वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत पर लिए गए ऋण, जिनकी चुकौती मुख्यतया स्थावर संपदा के किराये /विक्रय राशि पर निर्भर करती है, सीआरई के रूप में वर्गीकृत किये जाने चाहिए । अन्य ऐसे मामले हैं : वाणिज्यिक स्थावर संपदा गतिविधियों में संलगन कंपनियों की ओर से गारंटी देना, स्थावर संपदा कंपनियों के साथ किए गए डेरिवेटिव लेनदेनों के कारण एक्सपोजर, स्थावर संपदा कंपनियों को िगए कार्पोरेट ऋण तथा स्थावर संपदा कंपनियों की ईक्विटी और ऋण लिखतों में निवेश ।

4. उपर्युक्त पैरा 2 और 3 में दी गई परिभाषा के अनुसार यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि चुकौती प्राथमिक रूप से अन्य घटकों पर, उदाहरण के लिए कारोबार परिचालनों से होनेवाले परिचालन लाभ, माल और सेवाओं की गुणवत्ता,पर्यटकों के आगमन आदि पर निर्भर करे तो एक्सपोजर को वाणिज्यिक स्थावर संपदा एक्सपोजर नहीं माना जाएगा।

5. शहरी सहकारी बैंकों को भूमि अधिग्रहण के लिए वित्तपोषण नहीं करना चाहिए चाहे वह परियोजना का ही मांग क्यो न हो । तथापि भूखंड की खरीद के लिए व्यक्तियों को वित्त मंजूर किया जा सकता है, बशर्ते उधारकर्ता से यह घोषणा प्राप्त की गयी हो कि वह उक्त भूखंड पर उस अवधि के भीतर मकान बनाएगा जिसे स्वयं बैंक ने निर्धारित किया हो ।

6. सीआरई का अन्य विनियामक संवर्गौं में साथ-साथ वर्गीकरण यह संभव है कि कोई एक्सपोजर एक साथ एक से अधिक संवर्गों मे जैसे कि स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा, इन्फास्ट्रक्चर इ. में वर्गीकृत हो, क्योंकि विभिन्न वर्गीकरण के लिए विभिन्न कारण है । इन मामलों में उन सभी संवर्गों के लिए जिनमें एक्सपोजर वर्गीकृत किया गया है, भारतीय रिज़र्व बैंक या स्वयं बैंक द्वारा निर्धारित विनियामक / विवेकपूर्ण एक्सपोजर सीमा के लिए एक्सपोजर को गणना में शामिल किया जाएगा । पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन से सभी संवर्गो में से जिस संवर्ग में सब से अधिक जोखिम भार लागू है, वही एक्सपोजर पर लागू होगा । इस दृष्टिकोण के पीछे तर्क यह है कि यद्यपि कभी-कभी प्रवाह को प्रोत्साहित करना हो सकता है, तथापि, इन एक्सपोजरों पर सूचित प्रबंधन /विवेकपूर्ण /पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू किया जाना चाहिए ताकि उनमें निहित जोखिम का ध्यान रखा जा सके इसी प्रकार, यदि कोई एक्सपोजर एक से अधिक जोखिम घटक के प्रति संवेदनशील है तो उसपर सभी प्रासंगिक जोखिम घटकों पर लागू जोखिम प्रबंधन ढाँचे को लागू किया जाना चाहिए ।

7. कोई एक्सपोजर सीआरई के रूप में वर्गीकृत किया जाए अथवा नहीं - यह निर्धारित करने में बैंकों को सहायता देने के लिए, ऊपर वर्णित सिद्धांतों के आधार पर कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं । उपर्युक्त सिद्धांतों और नीचे दिए गए उदाहरणों के आधार पर बैंकों को निर्धारित करना चाहिए कि उदाहरण में शामिल नहीं किया गया एक्सपोजर सीआई है अथवा नहीं तथा वर्गीकरण का औचित्य सिद्ध करते हुए एक तर्क संगत टिप्पणी दर्ज करनी चाहिए । उदाहरण

क. एक्सपोजर, जिन्हें सीआरई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए

1. भवन निर्माताओं को किसी ऐसी संपत्ति के निर्माण के लिए दिया गया ऋण जिसे बेचा जाएगा या पट्टे पर दिया जाएगा (अर्थात् आवासीय मकानों, होटलों, रेस्तराँ, जिमनाशियम, अस्पताल, कोंडोमिनियम, शॉपिंग माल, ऑफिस ब्लॉक, नाटयगृह, मनोरंजन पार्क, कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, शिक्षा संस्थान, ऑद्योगिक पार्क) ऐसे मामलों में सामान्यतया चुकौती का स्रोत संपत्ति की बिक्री /पट्टा किराया से होनेवाला नकदी प्रवाह होगा । ऋण में चूक की स्थिति में यदि एक्सपोजर उन आस्तियों की जमानत द्वारा सुरति किया गया है, जैसा कि सामान्यत: होगा, तो वसूली उक्त संपत्ति की बिक्री द्वारा भी की जाएगी ।

2. किराये पर दिये जानेवाले बहुल मकानों के लिए ऋण ऐसे आवासीय ऋण, जिनमें आवास किराये पर दिये जाते हैं, पर अलग कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि ऐसी इकाइयों की संख्या दो से अधिक हो तो तीसरी इकाई से एक्सपोजर को सीआरई एक्सपोजर माना जाना चाहिए, क्योंकि उधारकर्ता इन आवासीय इकाइयों को किराये पर दे सकता है तथा किराया आय ही चुकौती का प्राथमिक स्रोत होगी ।

3. समन्वित टाउनशिप योजनाओं के लिए ऋण जहां सीआरई किसी ऐसी बड़ी परियोजना का अंग हो, जिसमें छोटा गैर-सीआरई घटक हो, तो ऐसे एक्सपोजर को सीआरई एक्सपोजर के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, कयोंकि ऐसे एक्सपोजरों की चुकौती का प्रमुख स्रोत बिक्री के प्रयोजन से बने मकानों की विक्रय राशि होगा ।

4. स्थावर संपदा कंपनियों की प्रति एक्सपोजर स्थावर संपदा कंपनियों के प्रति एक्सपोजर प्रत्यक्षत: सीआरई के सृजन या अधिग्रहण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन चुकौती वाणिज्यिक स्थावर संपदा से होनेवाले नकदी प्रवाह से होगी । ऐसे एकसपोजरों के उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं :

  • इन कंपनियों को दिये गये कार्पोरेट ऋण

  • इन कंपनियों की ऋण लिखतों में किया गया निवेश

  • इन कंपनियों की ओर से गारंटी देना

5. सामान्य प्रयोजन ऋण जहां चुकौती स्थावर संपदा कीमतों पर निर्भर हो ऐसे एक्सपोजर जिनकी चुकौती उधारकर्ता के मौजूदा वाणिज्यिक स्थावर संपदा से होनेवाले किराये /विक्रय राशि से की जाएगी, जहां वित्तपोषण सामान्य प्रयोजन के लिए किया गया हो ।

ख. ऐसे एक्सपोजर जिन्हें सीआरई एक्सपोजर के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाए

1. कारोबारी गतिविधियों के प्रयोजन से स्थावर संपदा का अधिग्रहण करने के लिए उद्यमियों को दिये गये ऋण, जिनकी चुकौती कारोबारी गतिविधियों से हानेवाले नकदी प्रवाह से की जाएगी । ऐसे एकसपोजर की जमानत सामान्यत: उस स्थावर संपदा से दी जा सकती है, जहां कारोबारी गतिविधि की जा रही हो अथवा ऐसे एक्सपोजर गैर-जमानती भी हो सकते हैं ।

(क) सिनेमा गृह के निर्माण, मनोरंजन पार्क की स्थापना, होटल और अस्पताल, कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, शैक्षिक संस्थाएं, हेयर कटिंग सैलून और ब्यूटी पार्लर चलाने, जिम्नासियम आदि के लिए ऐसे उद्यमियों को दिए गए ऋण, जो इन उद्यमों को स्वयं चलाएंगे, इस संवर्ग के अंतर्गत आएंगे । ऐसे ऋणों को समान्यत: इन संपत्तियों की जमानत मिली होगी । उदाहरण के लिए, होटल और अस्पताल के मामले में सामान्यतया चुकौती का स्रोत होटल और अस्पताल द्वारा दी गयी सेवाओं से होनेवाला नकदी प्रवाह होगा । होटल के मामले में नकदी प्रवाह मुख्यतया पर्यटकों के आगमन को प्रभावित करनेवाले घटकों के प्रति संवेदनशील होगा, न कि स्थावर संपदा की कीमतों में घट-बढ़ से प्रत्यक्षत: जुड़ा होगा । अस्पताल के मामले में नकदी प्रवाह सामान्यतया अस्पताल के चिकित्सकों और अन्य निदानात्मक सेवाओं की गुणावत्ता के प्रति संवेदनशील होगा । इन मामलों में चुकौती का स्रोत कुछ हद तक स्थावर संपत्ति की कीमतों पर भी निभ्दार होगा, जहाँ तक कीमतों की घट-बढ़ कमरे के किराये को प्रभावित करती है, परंतु समग्र नकदी प्रवाह निर्धारित करने में यह एक छोटा घटक होगा । तथापि, इन मामलों में चूक की स्थिति में यदि एक्यपोजर के लिए वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत ली गयी है तो वसूली होटल / अस्पताल के विक्रय मूल्य और उपकरण व उपस्कर के रख-रखाव और गुणवत्ता पर निर्भर करेगी ।

उपर्युक्त सिद्धांत उन मामालों पर भी लागू होगा जहां स्थावर संपदा आस्तियां होटल, अस्पताल, गोदाम आदि ) के मालिकों /विकासकर्ताओं ने आय विभाजन या लाभ विभाजन के आधार पर आस्तियों को पट्टे पर दिया हो तथा एक्सपोजर की चुकौती नियत पट्टा किराया के बजाय दी गयी सेवाओं से उत्पन्न नकदी प्रवाह पर निर्भर करती हो ।

(ख ) औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों को दिए गए ऋण भी इसी सांवर्ग के अंतर्गत आएंगे । इन मामलों में चुकौती औद्योगिक इकाई द्वारा उत्पादित सामग्री की बिक्री से होनेवाले नकदी प्रवाह से होगी, जो मुख्यतया मांग और आपूर्ति के घटकों से प्रभावित होगी । चूक की स्थिति में वसूली अंशत: भूमि और भवन की बिक्री पर निर्भर करेगी, बशर्ते इन आस्तियों की जमानत मिली हो । अत: इन मामालों में देखा जा सकता है कि स्थावर संपदी की कीमतें चुकौती को प्रभावित नहीं करती., हालांकि ऋण की वसूली अंशत: स्थावर संपदा की बिक्री से हो सकती है ।

2. स्थावर संपदा गतिविधि से असंबद्ध किसी निर्दिष्ट प्रयोजन के लिए ऐसी कंपनी को ऋण देना जो स्थावर संपदा गतिविधि सहित मिश्रित गतिविधियों में लगी हो । उदाहरण के लिए किसी कंपनी के दो प्रभाग हैं एक प्रभाग स्थावर संपदा गतिविधि में लगा है ,तो दूसरा उर्जा उत्पादन में । ऐसी कंपनी को पावर संयंत्र स्थापित करने के लिए दिया गया संरचनात्मक ऋण, जिसकी चुकौती बिजली की बिक्री से की जाएगी, सीआरई के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा । इस एक्सपोजर को संयंत्र और मशीनरी की जमानत मिल भी सकती है और नहीं भी मिल सकती है ।

3. भावी प्राप्य किराये की जमानत पर ऋण कुछ बैंकों ने ऐसी योजनाएं बनायी हैं जिनमें शॉपिंग माल, कार्यालय परिसर जैसे विद्यमान स्थावर संपदा के स्वामियों को वित्तपोषित किया गया है, जिनकी चुकौती इन संपत्तियों द्वारा अर्जित किये जानेवाले किराये से होगी । यद्यपि ऐसे एक्सपोजर से वाणिज्यिक स्थावर संपदा का निधीयन /अधिग्रहण नहीं हो रहा है, तथापि चुकौती स्थावर संपदा के किराये में गिरावट से प्रभावित हो सकती है और इसलिए सामान्यतया ऐसे एक्सपोजरों को सीआरई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए । तथापि, यदि कोई सुरक्षा प्रदान करने वाली ऐसी शर्त हो जिससे चुकौती स्थावर संपदा कीमतों की अस्थिरता से असंबद्ध हो जाए - उदाहरण के लिए, पट्टाकर्ता और पट्टेदार क बीच हुए पट्टा किराया करार में एक लॉक-इन अवधि हो, जो ऋण की अवधि से कम न हो तथा ऋण की अवधि के दौरान किराये को घटाने की अनुमति देने वाली कोई शर्त न हो, तो बैंक ऐसे एक्सपोजरों को गैर-सीआरई एक्सपोजर के रूप में वर्गीकृत कर सकत हैं ।

4. ठेकेदारों के रूप में काम करनेवाली निर्माण कंपनियों को दी गयी ऋण सुविधा भवन निर्माता के रूप में नहीं, अपितु ठेकेदारों के रूप में कार्यरत निर्माण कंपनियों को दी गयी कार्यशील पूंजी सुविधा सीआरई एक्सपोजर नहीं मानी जाएगी, क्योंकि चुकौती कार्य पूरा करने में हुई प्रगति के अनुसार प्राप्त संविदात्मक भुगतानों पर निर्भर करेगी ।

5. स्वाधिकृत कार्यालय /कंपनी परिसरों के अधिग्रहण /नवीकरण का वित्तपोषण ऐसे एक्सपोजरों को सीआरई एक्सपोजर नहीं माना जाएगा क्योंकि चुकौती कंपनी आय से आयेगी । संयंत्र और मशीनरी की खरीद तथा कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए औद्योगिक इकाइयों के प्रति एक्सपोजर को सीआरई एक्सपोजर न माना जाए ।

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