बहुराज्य सहकारी समितियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार - आरबीआई - Reserve Bank of India
बहुराज्य सहकारी समितियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार
आरबीआइ/2005-06/281
ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.23
जनवरी 23, 2006
सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक
महोदया/महोदय,
बहुराज्य सहकारी समितियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए पात्र उधारकर्ताओं के संबंध में अगस्त 1, 2005 के ए.पी.(डीआइआर) सिरीज़ परिपत्र सं.5 के अनुबंध के पैरा 1(आ)(व) की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. हाल की गतिविधियों और विभिन्न संगठनों से प्राप्त अभ्यावेदनों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि विनिर्माण कार्यकलापों में लगी बहुराज्य सहकारी समितियों को बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने की अनुमति दी जाए। विनिर्माण कार्यकलाप में लगी हुई बहुराज्य सहकारी समितियों के बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रस्तावों पर रिज़र्व बैंक अनुमोदन मार्ग के तहत विचार करेगा, बशर्ते :
(i) सहकारी समिति वित्तीय रूप से शोधक्षम है,
(ii) सहकारी समिति अपना अद्यतन लेखा परीक्षित तुलनपत्र प्रस्तुत करती है, तथा
(iii) उपरिनिर्दिष्ट अगस्त 1, 2005 के परिपत्र के पैराग्राफ 1(आ) में यथाउल्लिखित मान्यता प्राप्त उधारकर्ता, अनुमत अंतिम उपयोग, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत सीमा जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अन्य सभी मानदंडों का प्रस्ताव अनुपालन करता है।
3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक ग्राहकों को अवगत करा दें।
4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(विनय बैजल)
मुख्य महाप्रबंधक