सेवा-क्षेत्र द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
सेवा-क्षेत्र द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार - उदारीकरण
आरबीआइ 2007-08/346
ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.46
2 जून 2008
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय
सेवा-क्षेत्र द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार - उदारीकरण
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधारों और समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.5/2000-आरबी से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.5 की ओर आकर्षित किया जाता है ।
2 बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी प्रचलित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत सेवा-क्षेत्र के उधारकर्ता स्वत: अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधारों के पात्र नहीं है । भारत सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि सेवा-क्षेत्र के प्रतिष्ठानों जैसे कि होटल, हॉस्पिटल, और साफ्टवेयर कंपनियों को अनुमोदित मार्ग के तहत पूँजीमाल मंगवाने के लिए प्रति वित्तीय 100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधारों की अनुमति प्रदान की जाए। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित रहेंगे ।
3. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि व्यापार ऋण पर प्रचलित दिशा-निर्देश , जिनमें कि सेवा-क्षेत्र की कंपनियों सहित अन्य कंपनियों को पूँजीमाल के आयात के लिए 3 वर्ष से कम की अवधि के लिए प्रति आयात ऋण 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक की अनुमति जाती है , जारी रहेंगे ।
4. ये परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
5. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना/उधार देना ) विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।
6. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।
7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए ं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक